scriptआत्म-दर्शन : अन्न ही ब्रह्म | Self philosophy : Food is Brahman | Patrika News

आत्म-दर्शन : अन्न ही ब्रह्म

locationनई दिल्लीPublished: Oct 19, 2021 11:50:18 am

Submitted by:

Patrika Desk

भौतिक जीवन के पोषक तत्व अन्न को ब्रह्म का ही एक रूप माना गया है।

आत्म-दर्शन : अन्न ही ब्रह्म

आत्म-दर्शन : अन्न ही ब्रह्म

स्वामी अवधेशानंद गिरी

देह रक्षण, पोषण और संवर्धन की आधारभूत सत्ता है – अन्न। अत: कृषि-कृषक, धरा-उर्वरा और भंडारण-वितरण के प्रति संवेदनशील बनना चाहिए। वैसे तो भारतीय दर्शन चर-अचर में ब्रह्म तत्व की उपस्थिति स्वीकार करता है, लेकिन भौतिक जीवन के पोषक तत्व अन्न को ब्रह्म का ही एक रूप माना गया है।

शास्त्रों में स्पष्ट विधान है कि जो भी वस्तु मानव जीवन को सुखद और विकासमान बनाने में सहायक होती है, वह श्रद्धेय है। इसलिए ऐसी सभी वस्तुओं में देव तत्व का निरूपण कर मनीषियों ने उनके परम महत्त्व का निरूपण किया है। उपनिषद में ऋषि कहते हैं कि ऐसा मानना चाहिए कि अन्न ही ब्रह्म है। उक्त सूत्र कृषि के महत्त्व के साथ-साथ जीवनोपयोगी साधनों के प्रति आदर भाव दिखाने की प्रेरणा है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो