शहर के व्यस्त जीवन में विरोधाभास का संकेत भी है, जहां कई लोग अपनी गरीबी और पीड़ा में खुद को अकेला पाते हैं। ऐसी स्थितियां हमें अपनी उदासीनता से बाहर आने के लिए विवश करती हैं। जो पीड़ा में हैं, उनके प्रति दया दिखाने और जो जीवन के भार से दबे हुए हैं, उन्हें कोमलता के साथ ऊपर उठाने के लिए सभी को आगे आना चाहिए। हम जानते हैं कि इसके लिए अच्छा दिल और मानवीय ताकत आवश्यक है। जब हम एक गरीब व्यक्ति का सामना करते हैं तो हम उसे अपने भाई या बहन के रूप में देखें, क्योंकि यीशु उस व्यक्ति में उपस्थित हंै।