सफल जीवन जीने की आकांक्षा साकार करनी हो, तो पहला कदम आत्म-निरीक्षण में उठाया जाना चाहिए। अपने विचारों, मान्यताओं, आस्थाओं और अभिमान की समीक्षा करनी चाहिए। उनमें जितने भी अवांछनीय तत्व हों, उन्हें उन्मूलन करने के लिए जुट जाना चाहिए। और, यह तभी संभव है, जब उनकी स्थान पूर्ति के लिए सद्विचारों के आरोपण की व्यवस्था बना ली जाए। विचार-परिवर्तन के आधार हैं – संयम, सेवा, स्वाध्याय, सत्संग, साधना और स्वात्मोत्थान।