विचार औषधि हैं। स्वस्थ और सकारात्मक विचारों से साधक में चरित्र की उच्चता, चिंतन की शुद्धता एवं आचरण की पारदर्शिता आती है और जीवन सिद्धि-श्रेष्ठता का मार्ग प्रशस्त होता है। अत: जीवन में विचार सम्पन्नता रहे। विचार ही हमारे जीवन की दशा और दिशा निर्धारित करते हैं। विचारों का उद्गम स्थल है- हमारा मन। अत: मन पर नियंत्रण से हम गलत विचारों पर रोक लगा सकते हैं तथा अच्छे विचारों से मन को आप्लावित कर सकते हैं। यदि जीवन रूपी बगिया को सुंदर बनाना है, उसे रंगों से सराबोर करना है तथा उसे भीनी-भीनी सुगंध से महकाना है, तो मन रूपी बगिया में चुन-चुन कर अच्छे विचार बीजों को बोइए।
सफल जीवन जीने की आकांक्षा साकार करनी हो, तो पहला कदम आत्म-निरीक्षण में उठाया जाना चाहिए। अपने विचारों, मान्यताओं, आस्थाओं और अभिमान की समीक्षा करनी चाहिए। उनमें जितने भी अवांछनीय तत्व हों, उन्हें उन्मूलन करने के लिए जुट जाना चाहिए। और, यह तभी संभव है, जब उनकी स्थान पूर्ति के लिए सद्विचारों के आरोपण की व्यवस्था बना ली जाए। विचार-परिवर्तन के आधार हैं – संयम, सेवा, स्वाध्याय, सत्संग, साधना और स्वात्मोत्थान।