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आत्म-दर्शन : रिश्तों की जटिलता

locationनई दिल्लीPublished: Sep 25, 2021 12:07:07 pm

Submitted by:

Patrika Desk

अगर आपकी उम्मीद यह है कि दूसरा आपको समझे और आपकी हर इच्छा पूरी करे, जबकि आप उसकी सीमितताओं, संभावनाओं, जरूरतों और योग्यताओं को नहीं समझते, तो फिर संघर्ष ही होगा।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

किसी के साथ रिश्ता जितना ज्यादा नजदीक का होता है, आपको उसे समझने की उतनी ही ज्यादा कोशिश करनी चाहिए। जब आप किसी को ज्यादा बेहतर समझेंगे, तो वह आपके ज्यादा नजदीक होगा और ज्यादा प्रिय भी। अगर वह आपको ज्यादा अच्छी तरह समझे, तो उसको रिश्ते की नजदीकी का आनंद मिलेगा और अगर आप उसे ज्यादा अच्छी तरह समझे, तो इसका आनंद आपको मिलेगा।

अगर आपकी उम्मीद यह है कि दूसरा आपको समझे और आपकी हर इच्छा पूरी करे, जबकि आप उसकी सीमितताओं, संभावनाओं, जरूरतों और योग्यताओं को नहीं समझते, तो फिर संघर्ष ही होगा। हरेक में कुछ सकारात्मक और कुछ नकारात्मक पहलू होते हैं। अगर आप यह सब अच्छी तरह समझ लें, तो आप रिश्ते को वैसा बना लेंगे, जैसा आप चाहते हैं। अगर रिश्तों को वाकई सुंदर रहना है, तो ये बहुत महत्त्वपूर्ण है कि मनुष्य दूसरे की ओर देखने से पहले, खुद अपने अंदर मुड़ कर अपने आपको गहराई से देखे।

अगर आप अपने आप में ही आनंद का स्रोत बनते हैं और अपने रिश्ते में आप अपना आनंद साझा करने में यकीन रखते हैं, तो किसी के भी साथ आपके रिश्ते अद्भुत होंगे। क्या दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति हो सकता है – जिसे आपके साथ कोई समस्या हो, जब आप अपना आनंद उसके साथ बांटते हों? नहीं।

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