scriptआत्म-दर्शन: आत्मविश्लेषण का समय | Self-Philosophy : Time for Self-analysis | Patrika News

आत्म-दर्शन: आत्मविश्लेषण का समय

locationनई दिल्लीPublished: Apr 20, 2021 07:23:17 am

हमें इस कोरोना काल में आध्यात्मिक सौंदर्य एवं मानवीय मूल्यों को बचाने में समर्थ हमारे प्राचीन ग्रंथों को बाहर निकालकर जीवन में आस्था को बनाए रखना है।

स्वामी अवधेशानंद गिरी, (आचार्य महामंडलेश्वर, जूना अखाड़ा)

स्वामी अवधेशानंद गिरी, (आचार्य महामंडलेश्वर, जूना अखाड़ा)

स्वामी अवधेशानंद गिरी, (आचार्य महामंडलेश्वर, जूना अखाड़ा)

कोविड-19 से लड़ाई में हम निर्णायक जीत हासिल करेंगे। कोरोना वॉरियर्स निर्विकार भाव से बिना डर, थकान के लोगों की सेवा करने और उन्हें सुरक्षित बनाने में लगे हुए हैं। ये आत्मानुसंधान यानी आत्मविश्लेषण का समय है। इसमें दोहरा लाभ छिपा है। जहां घर में रहकर कोरोना के संक्रमण से बचा जा सकता है, वहीं आत्मस्थ क्षमताओं के विकास का लाभ भी लिया जा सकता है।

रात हमेशा नहीं रहती, उतना ही बड़ा सत्य यह है कि दिन भी निरन्तर नहीं रहता। कृष्ण और शुक्ल पक्ष नियति चक्र का हिस्सा हंै। जैसे बाढ़ आती है, ज्वालामुखी फूटता है, तो संहार होता है, पर उसी के अनन्तर निर्माण या सृजन के साधन भी उपजते हैं। इसलिए घर में रहकर समय का सही चिन्तन में निवेश किया जाना चाहिए। हम सोचें कि वस्तुत: प्रगति आखिर है क्या? हमने खूब शिक्षा पाई, पर सुशिक्षित न हो सके। इसी का भयावह परिणाम विश्व के सम्मुख है। शिक्षा वह जो संस्कारित करे, जो स्वाध्याय, सत्संग और सद्गुरु सन्निधि से प्राप्त हो सकती है।

आशावाद अनन्त ऊर्जा का स्रोत है। इसका दूसरा नाम सकारात्मकता है। सकारात्मक व्यक्ति हर विरोधी परिस्थिति में भी अनुकूलता ढूंढ लेता है। वह कभी निराश नहीं होता। पुरातनकाल में आकस्मिक विपत्ति के समय लोग गड़ा हुआ धन खोदकर निकालते थे। हमें इस कोरोना काल में आध्यात्मिक सौंदर्य एवं मानवीय मूल्यों को बचाने में समर्थ हमारे प्राचीन ग्रंथों को बाहर निकालकर जीवन में आस्था को बनाए रखना है।

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