scriptआत्म-दर्शन : पेड़ हैं हमारे रिश्तेदार | Self-philosophy : Trees are our relatives | Patrika News

आत्म-दर्शन : पेड़ हैं हमारे रिश्तेदार

locationनई दिल्लीPublished: Jun 24, 2021 09:36:39 am

जीवन के हर पल में, जो सांस पेड़ बाहर छोड़ते हैं, उसे आप अंदर लेते हैं और जो सांस आप बाहर छोड़ते हैं, उसे पेड़ अंदर लेते हैं।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

पिछले पच्चीस सालों से मैं लगभग हर साल हिमालय में कुछ समय बिताता रहा हूं। साल के किसी भी मौसम में ये चोटियां हमेशा बर्फ से ढकी रहती थीं, लेकिन मुझे बहुत अफसोस है कि अब यहां की बहुत सी चोटियां बर्फ से रहित हैं। यह विनाश का सीधा सा नुस्खा है। जीवन के हर पल में, जो सांस पेड़ बाहर छोड़ते हैं, उसे आप अंदर लेते हैं और जो सांस आप बाहर छोड़ते हैं, उसे पेड़ अंदर लेते हैं।

इसका सीधा सा मतलब यह हुआ कि आपका आधा फेफड़ा पेड़ पर लटक रहा है। तो यह एक लगातार चलने वाला लेन-देन है, एक अनवरत साझेदारी, एक स्थाई रिश्ता जिसे कोई नहीं तोड़ सकता और जिसके बिना कोई जीवित नहीं रह सकता। इसलिए वनस्पति-जीवन से हमारा सबसे नजदीक का संबंध है। तो हमारे सबसे करीबी रिश्तेदार हैं पेड़। अगर हम पेड़ लगाएंगे, उनकी देखभाल करेंगे, तो वे हमारी देखभाल करेंगे। हम उन ेसब चीजों को रोकें जिनकी वजह से जलवायु बड़ी तेजी से बदल रही है।

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