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आत्म-दर्शन : सुख और आनंद

locationनई दिल्लीPublished: Jun 17, 2021 11:59:33 am

अगर मैं सूर्यास्त को निहारते हुए आनंद का अनुभव करता हूं, तो क्या यह सच्चा आनंद है? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह आनंदित होते हैं।

आत्म-दर्शन : सुख और आनंद

आत्म-दर्शन : सुख और आनंद

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

लोग अक्सर मुझसे पूछते हैं कि सच्चा आनंद क्या है? मिथ्या आनंद जैसी कोई चीज नहीं होती। जब इंसान सुख को ही आनंद समझ लेता है, तो उसके भीतर आनंद को लेकर तमाम सवाल उठने शुरू हो जाते हैं। जब आप असलियत में सत्य के सम्पर्क में होते हैं, तब आप सहज ही आनंद में होते हैं। आनंद में घिरे होकर भी उससे अनजान रहना दुखद है। यह सवाल शायद एक खास सोच से आता हुआ लगता है। अगर मैं सूर्यास्त को निहारते हुए आनंद का अनुभव करता हूं, तो क्या यह सच्चा आनंद है? इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप किस तरह आनंदित होते हैं।

आप किसी भी तरह आनंद का अनुभव करें, यही सबसे बड़ी बात है। अब सवाल है इसे कायम रखने का। इसे बरकरार रखने के काबिल कैसे बनें? अधिकतर लोग सुख को ही आनंद समझ लेते हैं। आप सुख को कभी स्थाई नहीं बना सकते हैं। यह आपके लिए हमेशा कम पड़ता है, लेकिन आनंद का मतलब है कि यह किसी भी चीज पर निर्भर नहीं है, यह तो आपकी अपनी प्रकृति है। सुख हमेशा किसी चीज या इंसान पर निर्भर करता है। आनंद को असल में किसी बाहरी प्रेरणा या किसी उकसावे की जरूरत नहीं होती।

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