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आत्म-दर्शन : विचार और कर्म

गलत काम की कीमत आप इसलिए चुकाते हैं, क्योंकि आप चालाकी करते हैं। यही चालाकी आपको नरक में ले जाती है।

Jul 01, 2021 / 01:11 pm

विकास गुप्ता

आत्म-दर्शन : विचार और कर्म

सद्गुरु जग्गी वासुदेव

दो मित्र अक्सर वेश्या के पास जाया करते थे। एक शाम जब वे वहां जा रहे थे, तो रास्ते में किसी संत का प्रवचन चल रहा था। एक मित्र ने कहा कि वह प्रवचन सुनना पसंद करेगा। उसने उस दिन वेश्या के यहां न जाने का फैसला किया। दूसरा आदमी अपने मित्र को वहीं छोड़ कर वेश्या के यहां चला गया।

अब जो आदमी प्रवचन में बैठा था, वह सोच रहा था कि उसका मित्र मजे ले रहा होगा और मैं इस नीरस जगह आ बैठा। जो आदमी वेश्या के पास बैठा था, वह सोच रहा था कि उसके मित्र ने मुक्ति का मार्ग चुना है। प्रवचन में बैठे व्यक्ति ने वेश्या के बारे में सोच कर बुरे कर्म बटोरे।

गलत काम की कीमत आप इसलिए चुकाते हैं, क्योंकि आप चालाकी करते हैं। यही चालाकी आपको नरक में ले जाती है। कर्म ठीक उसी तरह से बनता है, जिस तरह से आप उसे महसूस करते हैं। आप जो कर रहे हैं, उससे इसका संबंध नहीं है। जिस तरीके से आप चीजों को अपने दिमाग में ढोते हैं, कर्म का संबंध केवल उसी से है।

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