बचत का बहाना
कर्मचारियों की कमी सरकारी महकमों में हमेशा रहती आई है। इसे दूर करने के लिए संविदा भर्ती का एक रास्ता निकाल लिया गया है। ये कार्मिक स्थायी कर्मचारियों की तरह पूरा वेतन व अन्य सुविधाओं के लाभ से वंचित रहते हैं। कम वेतन पर नियुक्तियां देकर सरकार युवा बेरोजगारों के साथ छल कर रही है।
-साजिद अली चंदन नगर इंदौर
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कर्मचारियों की कमी सरकारी महकमों में हमेशा रहती आई है। इसे दूर करने के लिए संविदा भर्ती का एक रास्ता निकाल लिया गया है। ये कार्मिक स्थायी कर्मचारियों की तरह पूरा वेतन व अन्य सुविधाओं के लाभ से वंचित रहते हैं। कम वेतन पर नियुक्तियां देकर सरकार युवा बेरोजगारों के साथ छल कर रही है।
-साजिद अली चंदन नगर इंदौर
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संविदा एक बेहतर विकल्प
स्थायी रोजगार की अपेक्षा संविदा पर नियुक्ति बेहतर विकल्प है। इसमें कठिन परिश्रम से कामकाज की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। जरूरत पडऩे पर नियोक्ता बदलकर अपने मनमाफिक तनख्वाह ली जा सकती है। देखा यही जाता है कि स्थायी रोजगार से कार्मिकों के काम में शिथिलता आ जाती है, क्योंकि इनको नौकरी जाने का डर नहीं रहता।
-रामा शंकर सिंह , जमशेदपुर,झारखंड
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स्थायी रोजगार की अपेक्षा संविदा पर नियुक्ति बेहतर विकल्प है। इसमें कठिन परिश्रम से कामकाज की गुणवत्ता बढ़ाई जा सकती है। जरूरत पडऩे पर नियोक्ता बदलकर अपने मनमाफिक तनख्वाह ली जा सकती है। देखा यही जाता है कि स्थायी रोजगार से कार्मिकों के काम में शिथिलता आ जाती है, क्योंकि इनको नौकरी जाने का डर नहीं रहता।
-रामा शंकर सिंह , जमशेदपुर,झारखंड
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नियमित करें संविदाकर्मियों को
राज्य सरकारों को संविदा कर्मचारियों को नियमित करना चाहिए। सभी शासकीय कार्यालयों में खाली पदों को स्थायी रूप से भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से भरा जाना चाहिए। नियमित भर्ती के माध्यम से बेरोजगारों को रोजगार दिलाना सरकार का कर्तव्य है।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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राज्य सरकारों को संविदा कर्मचारियों को नियमित करना चाहिए। सभी शासकीय कार्यालयों में खाली पदों को स्थायी रूप से भर्ती प्रक्रिया के माध्यम से भरा जाना चाहिए। नियमित भर्ती के माध्यम से बेरोजगारों को रोजगार दिलाना सरकार का कर्तव्य है।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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संविदा पर नियुक्ति के खतरे हजार
संविदा की बजाय स्थायी रोजगार बेहतर माना जाता है। संविदा कर्मियों को वेतन समय पर न मिलना, अकारण नौकरी से निकालने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। स्थायी रोजगार को प्रोत्सहन देने से भारत की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी और बेरोजगारी भी कम होगी। बेहतर यह भी होगा कि युवा पीढ़ी अपनी योग्यता और प्रतिभा पर भरोसा कर आगे बढ़े।
- प्रियंका महेश्वरी
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संविदा की बजाय स्थायी रोजगार बेहतर माना जाता है। संविदा कर्मियों को वेतन समय पर न मिलना, अकारण नौकरी से निकालने जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। स्थायी रोजगार को प्रोत्सहन देने से भारत की अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी और बेरोजगारी भी कम होगी। बेहतर यह भी होगा कि युवा पीढ़ी अपनी योग्यता और प्रतिभा पर भरोसा कर आगे बढ़े।
- प्रियंका महेश्वरी
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स्थायी रोजगार के अवसर दें
संविदा कर्मचारी को न्यूनतम वेतन दिया जाता है, पर वे काम स्थायी कर्मचारी जितना ही करते हैं। संविदा पर बरसों से काम कर रहे इन कार्मिकों को स्थायी किया जाना चाहिए। साथ ही बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ाए जाएं।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
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संविदा कर्मचारी को न्यूनतम वेतन दिया जाता है, पर वे काम स्थायी कर्मचारी जितना ही करते हैं। संविदा पर बरसों से काम कर रहे इन कार्मिकों को स्थायी किया जाना चाहिए। साथ ही बेरोजगारों के लिए रोजगार के अवसर भी बढ़ाए जाएं।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
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सुरक्षित भविष्य की दें गारंटी
स्थायी नियुक्तियां एक तरह से सुरक्षित भविष्य की गारंटी हंै। संविदा के आधार पर मिलने वाली नौकरी में कर्मियों का वेतन तो सीमित होता ही है, साथ ही नियमित कर्मचारियों की तरह छुट्टियां, महंगाई भत्ता, आवास सुविधा नहीं मिलने से उन्हें हीन भावना होने लगती है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतें तो दिनोंदिन बढ़ जाती हंै, लेकिन वेतन सीमित ही रहने से आर्थिक के साथ-साथ मानसिक बोझ भी बढ़ जाता है।
-विभा गुप्ता, मैंगलोर, कर्नाटक
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स्थायी नियुक्तियां एक तरह से सुरक्षित भविष्य की गारंटी हंै। संविदा के आधार पर मिलने वाली नौकरी में कर्मियों का वेतन तो सीमित होता ही है, साथ ही नियमित कर्मचारियों की तरह छुट्टियां, महंगाई भत्ता, आवास सुविधा नहीं मिलने से उन्हें हीन भावना होने लगती है। दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतें तो दिनोंदिन बढ़ जाती हंै, लेकिन वेतन सीमित ही रहने से आर्थिक के साथ-साथ मानसिक बोझ भी बढ़ जाता है।
-विभा गुप्ता, मैंगलोर, कर्नाटक
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संविदा के दंश से मिले मुक्ति
संविदा के दंश से मुक्ति मिलनी ही चाहिए। संविदा आधारित सेवाओं से कार्यकुशलता, गुणवत्ता एवं दक्षता से समझैता किया जाता है। संविदा पर नियुक्ति पूर्ण रूप से अस्थायी सेवा है। सदैव नौकरी से बेदखल करने का डर लगा रहता है। अल्प मानदेय अधारित सेवा मेें दबाव में नौकरी करनी होती है। न सामाजिक सुरक्षा और ना ही पारिवारिक सुरक्षा ।
-खुशवन्त कुमार हिण्डोनिया, चित्तौडगढ़
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संविदा के दंश से मुक्ति मिलनी ही चाहिए। संविदा आधारित सेवाओं से कार्यकुशलता, गुणवत्ता एवं दक्षता से समझैता किया जाता है। संविदा पर नियुक्ति पूर्ण रूप से अस्थायी सेवा है। सदैव नौकरी से बेदखल करने का डर लगा रहता है। अल्प मानदेय अधारित सेवा मेें दबाव में नौकरी करनी होती है। न सामाजिक सुरक्षा और ना ही पारिवारिक सुरक्षा ।
-खुशवन्त कुमार हिण्डोनिया, चित्तौडगढ़
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स्थायी नौकरी की मिले गारंटी
आजकल सभी विभागों मे संविदा कर्मचारी रखने का कल्चर हो गया है। वेतन भले ही कम हो, पंरतु कर्मचारी को अगर स्थायी रोजगार यानी नौकरी मिल जाती है तो वह अपने और अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित महसूस करता है। अत: संविदा की बजाय स्थायी रोजगार देना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
-महेश सक्सेना, साकेतनगर, भोपाल
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आजकल सभी विभागों मे संविदा कर्मचारी रखने का कल्चर हो गया है। वेतन भले ही कम हो, पंरतु कर्मचारी को अगर स्थायी रोजगार यानी नौकरी मिल जाती है तो वह अपने और अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित महसूस करता है। अत: संविदा की बजाय स्थायी रोजगार देना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए।
-महेश सक्सेना, साकेतनगर, भोपाल
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स्थायी रोजगार जरूरी
भर्ती प्रक्रिया में संविदा पर नियुक्ति का तरीका अपनाया जाने लगा है। रोजगार के लिए बहुत मेहनत करने के बाद जब संविदा कर्मियों के रूप में नियुक्ति होती है तो व्यक्ति खुद को ठगा सा महसूस करता है। देश, समाज और परिवार के लिए स्थायी रोजगार बढऩे चाहिए।
-गजेन्द्र सिंह राठौर, मंदसौर
भर्ती प्रक्रिया में संविदा पर नियुक्ति का तरीका अपनाया जाने लगा है। रोजगार के लिए बहुत मेहनत करने के बाद जब संविदा कर्मियों के रूप में नियुक्ति होती है तो व्यक्ति खुद को ठगा सा महसूस करता है। देश, समाज और परिवार के लिए स्थायी रोजगार बढऩे चाहिए।
-गजेन्द्र सिंह राठौर, मंदसौर