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आपकी बातः इतिहास की गलतियों को सुधारा जाना चाहिए या नहीं?

Published: Jan 24, 2022 06:44:00 pm

Submitted by:

Gyan Chand Patni

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

Amar Jawan Jyoti flame

Amar Jawan Jyoti flame

समय के साथ सुधार करना जरूरी है

मनुष्य है तो गलतियां होंगी लेकिन समय के साथ उन्हें सुधार लेना समझदारी है। इसीलिए इतिहास की गलतियों को भी अवश्य सुधारा जाना चाहिए। महिलाओं को शिक्षित करना, बाल-विवाह पर प्रतिबंध लगाना, विधवा पुनर्विवाह को वैधानिक मान्यता देना, विवाह की आयु-सीमा बढ़ाना इतिहास में परिवर्तन करना ही तो है। संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त करना ताजा उदाहरण है। सुभाष चन्द्र बोस ने ‘आज़ाद हिन्द फौज’ की स्थापना करके भारत की स्वतंत्रता की नींव रखी थी। अतः उनकी 125वीं जयंती पर इंडिया गेट पर प्रधानमंत्री द्वारा उनकी प्रतिमा को प्रस्थापित किया जाना स्वागतयोग्य है।
-विभा गुप्ता, बेंगलूरु

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बिना सुधार भविष्य उज्ज्वल नहीं

इतिहास की गलतियों को अवश्य सुधारना होगा। फिर चाहे वो सरकारी कामकाज हो, राजनीति हो, या आम आदमी। किसी भी क्षेत्र में परिवर्तन और सुधार किए बिना उज्ज्वल भविष्य की कामना नहीं की जा सकती।
-रजनी, श्रीगंगानगर, राजस्थान

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इतिहास से सबक लें

बीती हुई घटनाओं को हम इतिहास कहतें हैं। बीती हुई घटनाएं यदि ठीक हैं तो उन्हें अपनाने में हमें बिल्कुल भी संकोच नहीं करना चाहिए और उसमें कोई त्रुटि है तो उसमें सुधार करने में भी संकोच नहीं करना चाहिए परन्तु हम तो ठहरे लकीर के फकीर, जो जैसा चल रहा है उसे हम बदलना नहीं चाहते हैं। यही गलत है। इसलिए ही तो यह कहा जाता है कि इतिहास के पन्नों से हम सबक नहीं लेते हैं, इसीलिए इतिहास खुद को दोहराता है। ऐसा बार-बार न हो, इसके लिए इतिहास में भी परिवर्तन करते रहना चाहिए।
– कैलाश चन्द्र मोदी, सादुलपुर (चूरु)

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गलतियां बनाम गलत इरादे

आजादी के पहले अंग्रेजों को भगाने तक ही विभिन्नता में एकता थी। आजादी के बाद खुदगर्जी से पनपे बंटवारे को पूर्व नियोजित साजिश कह सकते हैं। तब से आज तक विभिन्नता में एकता कहीं नहीं है, मात्र विभिन्नता में अति विभिन्नता का ही अनुभव होता है। सुधारेंगे नहीं तो कट्टरता से कट्टरता और पनपेगी, स्वदेशी संस्कृति और संस्कारों का ह्रास अधिक होगा।
– मुकेश भटनागर, वैशालीनगर, भिलाई

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सुधारना जरूरी ताकि सभी वास्तविकता जान सकें

न तो मैं इतिहास का छात्र रहा हूं और न हीं मैंने इतिहास का गहन अध्ययन किया है इसलिए मुझे इसकी ज्यादा जानकारी नहीं थी किन्तु अभी सामाजिक संचार के माध्यम से जो जानकारी मिल रही है उससे ऐसा जान पड़ता है कि हमें जो पढ़ाया गया वो पूरी तरह प्रतिस्थापित था जिसमें एक पक्ष को पूरी तरह प्रकाशित किया गया तथा दूसरे पक्ष को अंधकार में रखा गया। उदहारण के तौर पर सामाजिक संचार से ही जानकारी मिली कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई को हराने में किन लोगों की प्रमुख भूमिका रही है। आजादी के दीवाने चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राजगुरु को फांसी से बचाया जा सकता था किन्तु नहीं बचाया गया। ऐसे और भी कई उदाहरण हैं। इसलिए गलतियों को सुधारा जाना चाहिए ताकि सभी को वास्तविकता का ज्ञान हो।
– सुरेंद्र कुमार त्रिपाठी, रतलाम (म.प्र.)

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बेहतर नियोजन हेतु आवश्यक

गलतियों को न सुधारना मूर्खता, संकुचित और संकीर्ण मानसिकता का पर्याय है। इतिहास में घटित गलतियों के उचित कारणों का पता लगाकर, उनमें सुधारात्मक कार्यवाही करके उचित नियोजन के मार्ग को प्रशस्त किया जा सकता है। उचित नियोजन, बेहतर निष्पादन का द्योतक है। अतः इतिहास की गलतियों में सुधार अति आवश्यक है। गलतियों में सुधारात्मक कार्यवाही सकारात्मक परिणामों को सुनिश्चित करने हेतु आवश्यक है।
– हिमांशु बसोनियां, असनावर, झालावाड़

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इतिहास से छेड़छाड़ का उद्देश्य ध्यान भटकाना

इतिहास तथ्यों पर आधारित होता है, अतः उससे छेड़-छाड़ करना उचित नहीं है। भूतकाल में जिससे भी जो भी गलती हुई है या सही हुआ है उसे ज्यों का त्यों आने वाली पीढ़ी को जानने का अधिकार है। इतिहास को न तो ठीक किया जा सकता है और न ही बिगाड़ा जा सकता है। जो भी किया जाएगा वह केवल सत्य को छुपाने का प्रयास होगा। इस प्रकार के प्रयास का एकमात्र उद्देश्य राजनीतिक लाभ और जनता का वास्तविक समस्याओं से ध्यान हटाना है। इतिहास को बदलने के बजाए उससे सीखना चाहिए।
– डॉ. मुहम्मद इकबाल सिद्दीकी

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सच से अवगत कराना जिम्मेदारों का कर्त्तव्य

उच्च पद पर आसीन और शिक्षित नागरिकों का यह कर्त्तव्य है कि संपूर्ण भारत को सच्चाई से अवगत कराएं ताकि जनता जागरूक हो। इतिहास को उसी रूप में पेश करना, जैसा कि वह है, जागरूक जनता का कर्त्तव्य है, ताकि हम देशद्रोहियों का गुणगान करने की बजाय, सच्चे देशभक्तों का गुणगान करें और सच्चे आदर्शों का अनुसरण करें। भावी पीढ़ी भी सत्कर्म करे इसके लिए उनका जानना जरूरी है कि उनके आदर्श कौन रहे हैं।
– अनिल कुमार धानका, अलवर, राजस्थान

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पारदर्शिता के लिए जरूरी

ऐतिहासिक वास्तविकता जिसमें हमारी संस्कृति और सभ्यता के आयामों का खजाना छुपा हो, उसे सामयिकता के साथ इतिहासकारों द्वारा की गई गलतियों को सुधारा जाना चाहिए जिससे सभी वास्तविक इतिहास से रूबरू हो सकें तथा इससे वैश्विक स्तर पर इतिहास की पारदर्शिता को सुदृढ़ बनाया जा सकता है।
– डॉ. कमल पाल सिंह केतु, जोधपुर

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देशहित में सुधार सही

विगत समय की अप्रासंगिक घटनाएं, रीति-रिवाज, नियम, संस्कार जो इतिहास बनकर वर्तमान में गलत रूप ले कर मानव कल्याण, देश हित को प्रभावित कर रही हैं, को बदल कर गलती सुधारनी चाहिए।
– बिपिन चन्द्र जोशी, बेंगलूरु

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समय की मांग को अनसुना करना ठीक नहीं

इंसान गलतियों का पुतला होता है। वह पूरे जीवन काल मे अनेक गलतियां करता है। उन्हें सही करने का मौका भी समय देता है। कर्म करते हुए हुई गलतियों को समय रहते कई बार ठीक कर लिया जाता है। जो गलतियां ठीक नहीं हो पाती हैं, वे आने वाली पीढ़ियों को दर्द देती रहती हैं। इतिहास बताता है कि देश मे बीते दशकों-सालों में अनेक गलतियां हुई हैं जिनमें अब कोई बदलाव नहीं किया जा सकता है पर उन गलतियों में सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इतिहास के अनेक किस्से कहानियां गौरवान्वित करने के साथ रोमांचकारी है। कुछ नासूर बन दुःख और दर्द देते हैं और मौके-बेमौके आपसी वैमनस्य बढ़ाते रहते हैं। यदि ऐसे इतिहास में बदलाव अथवा सुधार की जरूरत आज महसूस की जा रही है तो सुधार कर ही देना चाहिए। आज के समय की यही मांग है।
– नरेश कानूनगो, बेंगलूरु, कर्नाटक

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राजनीति से प्रेरित लोग नहीं कर सकते निष्पक्ष सुधार

बेशक इतिहास की गलतियां सुधारना चाहिए। मगर ईर्ष्या या राग-द्वेष की भावना से नहीं, क्योंकि अमर्यादित बोल और छींटाकशी से प्रेरित राजनीतिक लोग कभी भी निष्पक्ष सुधार नहीं कर सकते।इसके लिए शोधकर्ताओं, साहित्यकारों, इतिहासकारों, स्तंभकारों आदि का सानिध्य होना चाहिए ताकि तथ्यपूर्ण रूप से गलतियां सुधारी जा सकें। इतिहास में मतलबी और बेमतलबी दोनों ही गलतियां हैं, नतीजतन वास्तविक गलतियों में ही सुधार होना चाहिए।
– नंदू श्री मंत्री, मेड़ता सिटी

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मंशा सुधार की या चुनावी लाभ की?

क्या वास्तव में इतिहास में गलतियां हुई हैं? क्या हम इतिहास की गलतियों को सुधार सकते हैं? इसकी क्या गारंटी है कि जो आज सही है वो इतिहास में भी सही साबित होगा? या जो आज गलत है वो इतिहास में भी गलत साबित होगा? गलतियों को सुधारा जा रहा है या फिर दबाया जा रहा है? या फिर चुनावी फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है?
– चतुर्भुज अहीर, रामगंजमंडी (कोटा), राजस्थान

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देश की रक्षा के मसले पर एकमत रहें भारतीय

इतिहास तो गलतियां सुधारने के लिए ही पढ़ा जाता है। इतिहास हमें सिखाता है कि जो भी विदेशी भारत में आए उन्होंने देखा कि भारतीयों में एकता नहीं है, एक शासक दूसरे शासक को नीचा दिखाने का अवसर तलाशता है, राष्ट्रीय भावना की कमी है। जो भी विदेशी आए उन्होंने भारत के लोगों में फूट डाली और शासन किया। इतिहास से सबक लेकर सभी भारतीयों को राष्ट्रीय मुद्दों पर कभी राजनीतिक रोटियां नहीं सेकनी चाहिए। भारत देश की रक्षा विदेशियों से करने के मसले पर सभी भारतीयों को एकमत रहना चाहिए।
– रणजीत सिंह भाटी, राजाखेड़ी मंदसौर (मप्र)

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सही जानकारी ही बदल सकती है देश की दशा-दिशा

इतिहास की गलतियों को सुधारा जाना अति आवश्यक है। जो कार्य बिना पूर्वानुमान या कह सकते हैं कि बिना सोचे-समझे किए जाते हैं, उनका हर्जाना आने वाली पीढ़ियों को भरना पड़ता है और कालांतर में आपसी वैमनस्यता को बढ़ावा मिलता है। यदि परिस्थितिवश कोई गलती रह जाती है तो उसको ठीक किया जाना आवश्यक है। क्योंकि सही जानकारी, सही राह ही देश की दशा और दिशा बदल सकती है।
– एडवोकेट ललित सत्य सैन, नोखा, बीकानेर

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विकास के लिए सुधार जरूरी

भारतीय इतिहास में ऐसी बहुत सी गलतियां हुई हैं जिनकी वजह से भारत आज तक एक पूर्ण विकसित देश नहीं बन पाया है और एक विकासशील देश बनकर रह गया है। इतिहास की गलतियों को सुधारना होगा तभी भारत और भारत के लोगों का विकास हो पाएगा।
– रियाज अंसारी, वाड्रफनगर, छत्तीसगढ़

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गलत इतिहास पेश करने से बिगड़ता है वर्तमान-भविष्य

इतिहास को कभी भी न तो सुधारा जा सकता है, और न ही कभी बिगाड़ा जा सकता है। क्योंकि इतिहास हमेशा जैसा होता है, वैसा ही रहता है। अलबत्ता कुछ लोग गलत इतिहास पेश करते हैं, जो कि वास्तविकता से मुंह मोड़ना होता है। इससे इतिहास का तो कुछ नहीं बिगड़ता है, किंतु वर्तमान और भविष्य जरूर खराब हो जाता है। इसलिए इतिहास को हमेशा वैसा ही पेश करना चाहिए जैसा कि वह होता है।
– हारून रशीद

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बिना साक्ष्य न हो इतिहास से छेड़खानी

इतिहास को अगर गलत ढंग से पेश किया गया है तो सुधार कर सच्चाई सामने लाने में कोई हर्ज नहीं है। इससे नवीन पीढ़ी का वास्तविकता से परिचय हो सकेगा। महत्त्वपूर्ण यह है कि बिना किसी सबूत के ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़खानी भी ठीक बात नहीं है। सरकार को चाहिए कि अगर किसी बात पर संदेह की स्थिति है तो पुरातत्वविदों, इतिहासकारों व ख्यातिप्राप्त लेखकों के साथ मिलकर पूर्ण छानबीन करके ही प्राचीन तथ्यों की सच्चाई को स्पष्ट करे।
– कृष्णकुमार खीचड़, राजाला, जोधपुर

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गलतियां न दोहराने की सीख देता है इतिहास

इतिहास हमें सबक देता है और इतिहास में हुई गलतियों को नहीं दोहराने की सीख भी देता है। इसलिए हमें वर्तमान में इतिहास में हुई सभी गलतियों को सुधारने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि कभी-कभी इतिहास इतना क्रूर और भयावह होता है कि वर्तमान में उसकी परछाई देखकर भी डर लगता है।
– शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर, राजस्थान

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एक अवसर है इतिहास

इतिहास हमें अतीत में की गई गलतियों को वर्तमान में सुधारने का अवसर प्रदान करता है। हमारे इतिहास में भारत पर सदियों से विदेशी आक्रमण होते रहे हैं और कई बार भारत हारता रहा है इसलिए आजादी के बाद ठोस सुरक्षा नीति बनाई जाने की शिक्षा हमें इतिहास देता है।
– शारदा यादव, कोरबा, छत्तीसगढ़

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यह दिखाने का प्रयास कि पूरा इतिहास गलत

अगर इतिहास लिखने में त्रुटियां हुई हैं तो उसमें सुधार होना चाहिए। बशर्ते वह राजनीति से प्रेरित न हो। ऐसा नहीं है कि पूरा इतिहास ही गलत लिखा गया हो। लेकिन मौजूदा हालात में यह दिखाने का प्रयास किया जा रहा है कि जिन इतिहासकारों ने जो इतिहास लिखा है वह सारा का सारा ही गलत है यह राजनीतिक द्वेष को दर्शाता है जो कि नहीं होना चाहिए।
– महेश सक्सेना, साकेतनगर, भोपाल

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