...तो क्या मार्टिन ली को उनके हाल पर छोड़ दें
- लोकतंत्र समर्थक मार्टिन ली को कोर्ट में अपना बचाव खुद ही करना होगा, कोई उम्मीद नहीं कि कोई बैरिस्टर उनकी पैरवी के लिए आएगा।
- हांगकांग: बीजिंग के कानून थोप रहे शी जिनपिंग।

फ्रेड हायट, स्तम्भकार
वाशिंगटन पोस्ट में कोविड महामारी, टेक्सास में बिजली आपूर्ति प्रभावित होने समेत अन्य खबरों के बीच एक वयोवृद्ध भद्रपुरुष के उत्पीडऩ की भी खबर है। यह खबर है मार्टिन ली के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की। इस खबर की उम्मीद थी, फिर भी यह धक्का पहुंचाने वाली थी। चीन की क्रूरताओं का जब भी जिक्र होता है तो उसमें लाखों उइगर मुसलमानों से भरे नजरबंदी शिविरों के साथ ही उत्पीडऩ के अन्य कई सनसनीखेज मामले भी शामिल होते हैं। मार्टिन ली केवल एक शख्स नहीं हैं। वह हांगकांग और चीन में स्वतंत्रता के कट्टर समर्थकों में से एक हैं। वह कानून के शासन को मानने वाले हैं। वह कानून जानते हैं, बैरिस्टर हैं और कानून की इज्जत करते हैं।
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 82 वर्षीय ली को जेल में डालना चाहते हैं क्योंकि वह तानाशाह के अवमाननापूर्ण कानूनों को उजागर करते हैं। इससे यही लगता है कि हांगकांग में कोई भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के दमन से ज्यादा दिन सुरक्षित नहीं है। और यदि अमरीका, ब्रिटेन समेत अन्य लोकतांत्रिक देश ली के साथ नहीं आते हैं तो जैसा शी का मानना है कि कोई भी अत्याचारों के खिलाफ आवाज नहीं उठाएगा, इस तथ्य की पुष्टि ही होगी कि कोई भी अत्याचार हो, दुनिया वैसे ही चलती रहेगी। अत्याचारों में सिर्फ नजरबंदी शिविर ही नहीं, तिब्बत में दमघोंटू माहौल, स्वीडिश, कनाडाई और आस्ट्रेलियाई बंधकों को अपने कब्जे में रखना, कैथोलिकों और फेलन गॉन्ग (चीन की एक परम्परा जो सहनशीलता के जरिए नैतिक चरित्र को बढ़ाने में भरोसा रखते हैं) अनुयायियों, अकादमिक लोगों और उद्यमियों का दमन भी शामिल है।
हांगकांग कई कारणों से खास है। कम्युनिस्टों ने कभी भी हांगकांग को आगे बढ़ाने का जोखिम नहीं उठाया होगा, पर चीन के राजनेता और सुधारक देंग शियाओपिंग और उनके उत्तराधिकारियों ने हांगकांग में कुछ अभियानों के लिए अनुमति दी, जैसे कि निजी घरानों की राज्य स्वामित्व वाली कंपनियों से प्रतिस्पर्धा, गांवों तक मतदान प्रयोग और बहस और चर्चा के लिए थोड़ी गुंजाइश। यह सब तब तक, जब तक कि कोई प्रत्यक्ष रूप से पार्टी शासन को चुनौती न दे। शी ने सामूहिक नेतृत्व की जगह एक व्यक्ति का शासन कर दिया, सवाल या आलोचना करने की हिम्मत करने पर कैद करना, निजी व्यवसाय पर पार्टी नियंत्रण को पुन: स्थापित करना इसमें शामिल हैं। उनके लिए हांगकांग, ताइवान की तरह है क्योंकि दोनों ने सिद्ध किया है कि कानून का शासन पश्चिमी देशों का गुण नहीं, बल्कि मानव गरिमा के लिए जरूरी चीज है। मार्टिन ली से ज्यादा इस सच्चाई को कोई नहीं समझ सकता।
मेरे एक पुराने मित्र ने मुझसे कहा कि मैं अब उनका अदालती ट्रायल देख रहा हूं। मैं हर वक्त यही सोचता हूं कि मार्टिन को कोर्ट में अपना बचाव खुद ही करना होगा, कोई उम्मीद नहीं कि कोई बैरिस्टर उनकी पैरवी के लिए आएगा। हर वक्त उन्होंने खुद को आश्वस्त किया है कि जीतेंगे। न्याय में यह उनका विश्वास ही तो है। दशकों से स्वभाव और विचारधारा में, ली लोकतंत्र के पुजारी रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि कानून के शासन को पोषित करने के लिए स्वअनुशासन जरूरी है। 2019 में बड़े पैमाने पर हुए लोकतंत्र समर्थक विरोध-प्रदर्शन में भाग लेने और आयोजन करने के मामले में अब वह ट्रायल पर हैं। यदि वह अपराधी हैं तो फिर एक करोड़ सत्तर लाख हांगकांग के लोग भी। वे दोषी हैं क्योंकि शी अब बीजिंग के कानून हांगकांग पर थोप रहे हैं जहां शांतिपूर्ण प्रदर्शन अपराध है। ली के साथ कठघरे में कई हस्तियों के साथ एक अखबार के निडर मालिक जिम्मी लाइ भी हैं। तो फिर क्या बीजिंग में अगले वर्ष होने वाले शीतकालीन ओलंपिक में विश्व के लोकतांत्रिक देश वास्तव में हिस्सा लेंगे। हालांकि अभी कुछ नहीं हो रहा है? क्या हम तय करेंगे कि राष्ट्र अपनी चुप्पी तोड़ें, अपनी संधि प्रतिबद्धताओं को अनदेखा करें? ली का मामला अदालत में है क्योंकि वह सिद्धांतों का त्याग नहीं करेंगे। तो क्या हम उन्हें उनके हाल पर छोड़ देंगे?
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