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ताकि ऑपरेशन के दौरान शरीर में न छूटे सर्जिकल सामग्री

डॉ. विदुषी शर्मानेत्र सर्जन एवं लेखिकाहाल ही राजस्थान के कुचामन सिटी से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक महिला के सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर की लापरवाही के कारण उसके पेट में गॉज छोड़ दिया गया। यह घटना न केवल उस महिला के जीवन के लिए खतरे का कारण बनी, बल्कि इसने […]

जयपुरDec 06, 2024 / 04:00 pm

Sanjeev Mathur


डॉ. विदुषी शर्मा
नेत्र सर्जन एवं लेखिका
हाल ही राजस्थान के कुचामन सिटी से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें एक महिला के सिजेरियन ऑपरेशन के दौरान डॉक्टर की लापरवाही के कारण उसके पेट में गॉज छोड़ दिया गया। यह घटना न केवल उस महिला के जीवन के लिए खतरे का कारण बनी, बल्कि इसने पूरी चिकित्सा प्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। यह घटना एक उदाहरण है, जो गॉजीपाइबोमा या टेक्सटिलोमा जैसी जटिलताओं को उजागर करती है, जहां गॉज या स्पंज, सर्जिकल उपकरण, निडिल, क्लेम्प स्केल्पल, टॉवल आदि सामग्री ऑपरेशन के दौरान असावधानी के कारण मरीज के शरीर में रह जाती है। गॉजीपाइबोमा या टेक्सटिलोमा नामक शब्द जनसाधारण के लिए अनसुने हैं, लेकिन मेडिकल साइंस के प्रतिष्ठित जर्नल्स में इन जटिलताओं के बारे में अनेक शोध-पत्र प्रकाशित हो चुके हैं।
गॉजीपाइबोमा या टेक्सटिलोमा एक प्रकार की सर्जिकल जटिलता है, जिसमें ऑपरेशन के दौरान सर्जिकल सामग्री, जैसे गॉज या स्पंज, सर्जिकल उपकरण, निडिल, क्लेम्प स्केल्पल, टॉवल आदि रोगी के शरीर के अंदर रह जाते हैं। यह स्थिति सर्जरी के दौरान चिकित्सकीय असावधानी से उत्पन्न होती है और इसके परिणामस्वरूप मरीज को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस तरह की जटिलताओं का इलाज न केवल शारीरिक रूप से कठिन होता है, बल्कि मानसिक रूप से भी यह मरीज के लिए एक कठिन अनुभव साबित होता है। शरीर में अनजाने में छोड़ी गई सर्जिकल सामग्री संक्रमण, दर्द और अन्य जटिलताओं का कारण बन सकती है। गॉजीपाइबोमा या टेक्सटिलोमा नामक यह दुर्भाग्यपूर्ण मामले केवल भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि दुनियाभर में इस प्रकार की घटनाएं सामने आती रहती हैं।
उदाहरण के लिए, अमरीका में हर साल लगभग 4500 से 6000 घटनाएं दर्ज की जाती हैं, जब ऑपरेशन के दौरान सर्जिकल कैंची, सर्जिकल उपकरण या गॉज रोगी के शरीर के अंदर रह जाता है। ब्रिटेन के नेशनल हेल्थ सर्विस के अनुसार वर्ष 2021-2022 में 190 से अधिक ऐसी घटनाएं रिपोर्ट की गईं। ऑस्ट्रेलिया में 2018 में एक लाख रोगियों के डिस्चार्ज के बाद आठ गंभीर मामले सामने आए, जिसमें मरीज के पेट में गॉज या अन्य उपकरण छोड़ दिया गया। ये आंकड़े बताते हैं कि यह समस्या सिर्फ भारत या किसी एक देश तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक मुद्दा है। भारत में गॉजीपाइबोमा या टेक्सटिलोमा नामक इस प्रकार की घटनाओं के मुख्य कारण ऑपरेशन थियेटर में मानकों और प्रक्रियाओं का सही तरीके से पालन न करना है। देश के सरकारी अस्पतालों में अत्यधिक कार्यभार, स्वास्थ्य सेवाओं में संसाधनों एवं अनुभवी/प्रशिक्षित चिकित्सकों/स्टाफ की कमी और अंतरराष्ट्रीय मानकों (चेक लिस्ट) के अभाव में इस प्रकार की घटनाएं हो जाती हैं, जिससे मरीजों की जान जोखिम में पड़ जाती हैं। इन घटनाओं के कई कारण हो सकते हैं। सबसे बड़ा कारण है ऑपरेशन थियेटर में मानकों और प्रक्रियाओं का सही तरीके से पालन न किया जाना।
सर्जरी के दौरान उपयोग किए गए उपकरणों की गिनती का अभाव, चिकित्सक एवं कर्मचारियों पर अत्यधिक कार्यभार और अनुभवहीन स्टाफ ऐसी घटनाओं की आशंका बढ़ाते हैं। भारत में सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं पर जनसंख्या का भारी दबाव, प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मियों की कमी और वित्तीय संसाधनों की सीमित उपलब्धता भी एक बड़ी चुनौती है। विश्वभर के मेडिकल जर्नल में प्रकाशित गॉजीपाइबोमा या टेक्सटिलोमा नामक घटनाओं के आंकड़े चिंताजनक हैं। इन गलतियों के सुधार के लिए एक मरीज को परेशानी के साथ-साथ भारी खर्च भी उठाना पड़ता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार भारत जैसे विकासशील देशों में सर्जिकल जटिलताओं के कारण होने वाली मृत्यु दर 5 प्रतिशत तक होती है। इनमें से 50 प्रतिशत घटनाएं रोकी जा सकती हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2008 में सुझायी गई सर्जिकल सेफ्टी चेक लिस्ट ने विश्व के कई देशों में सर्जरी के दौरान त्रुटियों और जटिलताओं को कम करने में मदद की है। इस तरह यदि आधुनिक तकनीकों, सर्जिकल चेक लिस्ट तथा प्रोटोकॉल्स को अपनाया जाए तो ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है।

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