वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने उत्पाद शुल्क में कटौती की घोषणा के बाद राज्यों से अपील की कि वे भी वैट घटाकर जनता को राहत दें। राज्यों के लिए वैट संवेदनशील मुद्दा है। इस पर राजनीति भी खूब होती रही है। कुछ अर्सा पहले मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्यों को पेट्रोल-डीजल पर वैट घटाने की सलाह दी थी, तब भी राजनीति गरमाई थी। कुछ राज्यों ने वैट घटाने के बजाय केन्द्र से उत्पाद शुल्क घटाने की मांग उठाई थी। केन्द्र ने अब उत्पाद शुल्क घटाकर गेंद उनके पाले में डाल दी है।
दरअसल, पिछले साल नवंबर में जब केन्द्र ने पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाया था, तब कुछ राज्यों ने अपनी वित्तीय हालत का हवाला देकर वैट घटाने में असमर्थता जताई थी। इसीलिए इस बार वित्त मंत्री को कहना पड़ा कि नवंबर 2021 में वैट नहीं घटाने वाले राज्यों को भी इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। महंगाई के गणित में ईंधन की कीमतों की बड़ी भूमिका है। ईंधन की कीमतें बढऩे से ढुलाई महंगी हो जाती है, उत्पादन लागत पर सीधे असर पड़ता है। उपभोक्ता तक पहुंचते-पहुंचते चीजों के दाम कई गुना बढ़ जाते हैं।
ईंधन की कीमतों के कारण शहरों के मुकाबले ग्रामीण इलाकों में महंगाई ज्यादा तेजी से बढ़ी है, क्योंकि वहां पानी के पम्प, ट्रैक्टर आदि के लिए डीजल पर निर्भरता ज्यादा है। महंगे डीजल से कृषि उत्पादों की लागत भी बढ़ी है। ढुलाई के अलावा अनाज व सब्जियों की कीमतें बढ़ने का यह भी एक कारण है। ग्रामीण इलाकों को सस्ता डीजल मुहैया कराना सभी राज्यों की प्राथमिकता होनी चाहिए। ईंधन की कीमतों को नीचे लाना इसलिए भी जरूरी है कि कोरोना काल में कई लोग रोजगार गंवा चुके हैं। केन्द्र के मुताबिक, देश के 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन मुहैया कराया जा रहा है। जाहिर है, इस आबादी के पास रोजगार के पर्याप्त साधन नहीं हैं। ऐसे में महंगाई पर अंकुश की किसी भी कोशिश में ‘किंतु-परंतु’ की गुंजाइश नहीं होनी चाहिए।