पहली बार ऐसा हुआ है कि इंटरनेट आधारित तकनीकों के संदर्भ में काफी हद तक आय एवं वर्ग के बीच का अंतर खत्म हो गया। करीब पांच साल में 38 फीसदी मार्केट शेयर हासिल करने वाली जिओ की बदौलत जन-जन तक इंटरनेट पहुंचा, हर उपभोक्ता को फायदा हुआ और मीडिया के उपभोग स्वरूप में आया बदलाव जगजाहिर है। सवाल यह है कि क्या दर्शकों का टीवी से ज्यादा ‘ओवर द टॉप’ (ओटीटी) चैनलों की ओर रुझान, बदले भारत की नई तस्वीर है या फिलहाल ऐसा कहना जल्दबाजी होगी, क्योंकि संभव है आंकड़े भारत जैसे बड़े दर्शक बाजार के बारे में सही स्थिति न बता पाएं।
अक्टूबर 2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, देश की करीब आधी जनसंख्या के पास इंटरनेट सुविधा है। इनमें से 90 प्रतिशत से ज्यादा उपभोक्ता स्मार्टफोन पर नेट चलाते हैं। मोटे तौर पर यह उत्तरी अमरीका और पश्चिमी यूरोप के इंटरनेट उपभोक्ताओं की कुल संख्या के बराबर है। वास्तव में भारत में डेटा उपयोग अधिक है! 2021 के लिए बेन इवान की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, डिज्नी, नेटफ्लिक्स, कॉमकास्ट, यूट्यूब व अन्य कंटेंट पर करीब 10 बिलियन डॉलर सालाना का बजट ले कर चलते हैं। एप एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म ‘एप एनी’ के अनुसार 2020 में भारतीयों ने फोन पर प्रतिदिन 4.6 घंटे बिताए जबकि 2019 में 3.3 घंटे।
स्ट्रीमिंग चैनल भारत में विकास की अपार संभावनाएं देख रहे हैं। चीन ने तो वैसे भी उनके व्यवसाय के लिए अपने दरवाजे बंद कर रखे हैं। नेटफ्लिक्स ने 2019 व 2020 में भारतीय कंटेंट के लिए 400 मिलियन पाउंड का निवेश किया। भारत का उनकी वैश्विक उपस्थिति में काफी कम योगदान है, लेकिन भारत से नेटफ्लिक्स को वैश्विक इस्तेमाल के लिए पुरस्कार योग्य कंटेंट मिला है।
ओटीटी के अगले 10 करोड़ सबस्क्राइबर पाने के लिए बड़े स्ट्रीमिंग चैनलों में चल रही प्रतिस्पद्र्धा के बीच भारत प्रयोगों, बाजार अविष्कारों, कीमतों एवं रियायतों का साक्षी बन रहा है। कुछ लोगों का मानना है कि ओटीटी कंटेंट रचने वाले केवल एक छोटे से वर्ग पर ही फोकस कर रहे हैं, जिसकी सोच पाश्चात्य या वैश्विक है। क्या यह सारे भारतीयों को एक ही प्रकार से लुभा पाएगा?
इस क्षेत्र की अपार संभावनाओं के बावजूद ऐसा नहीं लगता कि भारत में जल्द ही यह पैसा कमाने की मशीन बन जाएगा। यूट्यूब और मैक्सप्लेयर के सर्वाधिक उपभोक्ता हैं। हॉटस्टार इस मामले में नेटफ्लिक्स से आगे है। (हॉटस्टार का शुल्क पांच गुना कम है तो दर्शक भी 6-8 गुना ज्यादा हैं)। नेटफ्लिक्स इंडिया, एपीएसी (एशिया पैसिफिक) की तुलना में आधा ही शुल्क वसूलता है। अन्य स्ट्रीमर्स के शुल्क भी कम हैं।
ज्यादा दर्शकों तक पहुंच के लिए सस्ते और मोबाइल विशिष्ट प्लान उपलब्ध हैं। भारत में क्रीमीलेयर बढ़ रही है तो निचला तबका भी ऊपर उठ रहा है। इसलिए ग्रामीण इलाकों में बड़ा बाजार उभरने की संभावना है, जहां अभी तक टीवी का ही आकर्षण था। कुल मिलाकर, लगता है कि हम त्रिस्तरीय माध्यमों के साक्षी होंगे द्ग ओटीटी, टेलीविजन और क्षेत्रीय कंटेेंट।
(लेखक ग्लोबल मार्केट लीडर और ब्रांड बिजनेस कोच हैं)