scriptमाकूल और सटीक जवाब | Surgical Strike 2: Indian air force accurate replied to pakistan | Patrika News
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माकूल और सटीक जवाब

भारतीय वायु सेना के विभिन्न एयरबेस से सक्षम लड़ाकू विमानों के चुनाव के बाद पूरी योजना के साथ उठाए इस कदम में 12 दिन का अंतराल देर से उठाया कदम नहीं लगता है। इसीलिए इस तरह के कदमों की और समीक्षा व त्वरित कार्रवाई की तैयारी करनी चाहिए।

जयपुरFeb 27, 2019 / 06:45 pm

dilip chaturvedi

india attack on terror

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नीलेन्द्र कुमार, रक्षा विशेषज्ञ

सीमा पर बढ़ती आतंकी गतिविधियों और हाल ही पुलवामा में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के काफिले पर हुए घातक हमले के संदर्भ में भारतीय सेना ने पाकिस्तान को सटीक, प्रभावकारी और बहुत ही समसामयिक जवाब दिया है। कहने की आवश्यकता नहीं है कि पुलवामा हमले के बाद प्रधानमंत्री के स्तर पर भी सभी संभावित जवाबी कार्रवाइयों का विश्लेषण किया गया होगा। वायुसेना के मिराज लड़ाकू विमानों द्वारा किया गया यह शक्तिशाली प्रहार पाकिस्तान के विरुद्ध एक सही प्रतिक्रिया के रूप में असर कर सकेगा।

स्वाभाविक तौर पर संचार माध्यमों से जो विकल्प सामने आ रहे थे, उनमें सीमा पर एक सक्रिय मोर्चा खोलना या एक नई सर्जिकल स्ट्राइक या अमरीका द्वारा ओसामा बिन लादेन के संदर्भ में की गई ‘सरप्राइज रेडÓ या वायुसेना के प्रयोग के विकल्पों का आकलन किया जा रहा था।

प्रधानमंत्री मोदी ने यह स्पष्ट संकेत दे दिया था कि उन्होंने रक्षा विभाग या कहें कि सेना को समुचित जवाब देने की छूट दे दी थी। उन्होंने भारतीय सोशल मीडिया पर छाई तथाकथित युद्ध विशेषज्ञों की सलाह को नजरअंदाज करते हुए मुनासिब विकल्प चुना। हमने टेलीविजन मीडिया पर भी देखा कि ऐसे लोग भारतीय सेना की कार्रवाई का खुलासा कर रहे थे। सरकारी पुष्टि के पूर्व ही बता दिया गया कि 300 आतंकी मारे गए। इस मामले में कुछ परिपक्वता दिखानी चाहिए थी। कहा जा सकता था कि बड़ा नुकसान किया गया है।

फिलहाल यह खुलासा हो गया है कि नियंत्रण रेखा को पार करने में भारतीय पक्ष ने कोई हिचकिचाहट नहीं दिखाई। अलग-अलग एयरबेस से हमारे लड़ाकू विमानों ने उड़ान भरी। पूरे ऑपरेशन में उनका सामंजस्य भी अच्छा रहा है। ऑपरेशन में लक्ष्य निर्धारण सोच-समझ कर किया गया और आतंकवादियों के प्रशिक्षण के खेमों को निशाना बनाया गया। इस जवाबी भारतीय कार्रवाई में पाक अधिकृत कश्मीर में अंदर गहराई तक घुसकर लक्ष्य को भेदा गया। वहां पर मौजूद बड़ी संख्या में प्रशिक्षण पा रहे आतंकियों, उनके प्रशिक्षकों तथा हैंडलरों को इस बमबारी से निस्संदेह भारी नुकसान हुआ होगा। सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण यह रहा कि कार्रवाई गोपनीय रही, तीव्र गति से की गई और खुद को बिना किसी क्षति के हमारे विमान सुरक्षित वापस भी आ गए।

अब प्रश्न यह उठता है कि भारत की प्रभावी कार्रवाई पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया क्या होगी? इस संदर्भ में मेरा मानना है कि हम पाकिस्तान से चुप बैठने की उम्मीद नहीं कर सकते। हमें आशा नहीं करनी चाहिए कि अब कश्मीर में आतंकवाद समाप्त हो जाएगा। यह वास्तविकता से आंखें मूंदने के समान ही होगा। यद्यपि यह दीगर है कि इस्लामाबाद को भारतीय वायुसेना की जवाबी कार्रवाई से सही संकेत मिल गया है, भविष्य में भी भारत राष्ट्रहित के लिए उचित उत्तर देने में पीछे नहीं रहेगा। जहां तक पाकिस्तान की कथित लोकतांत्रिक सरकार की बात है तो उस पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चौतरफा दबाव है कि वह आतंकियों के विरुद्ध शिकंजा कसे, आतंकियों के अड्डों को नेस्तनाबूद करे। लेकिन, पूर्ववर्ती सरकारों की तरह इमरान खान की सरकार भी फौज के चंगुल में है और इसी कारण न केवल मजबूर है, बल्कि आगे भी खुद को मजबूर महसूस करती रहेगी।

यदि भारत की दृष्टि से देखा जाए तो निस्संदेह वायुसेना का यह मिशन गौरवान्वित करने वाला है। हम इस तरह के मिशन की हमेशा समीक्षा करते रहे हैं और इस मिशन की भी केस स्टडी बनाकर समीक्षा करनी होगी। हमें इस तरह के मिशन को और अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए जो वांछनीय कदम उठाए जाने चाहिए, उनके लिए तैयार रहना होगा। पाकिस्तान किसी भी कीमत पर इस ऑपरेशन के बाद चुप नहीं रहेगा।

पाकिस्तान इस समय अंतरराष्ट्रीय दबाव में है। यह दबाव और बढ़ेगा। अमरीका, फ्रांस सभी भारत के साथ खड़े हैं। पूर्व में पाकिस्तान में ही ओसामा बिन लादेन को मार डाला गया था और अब भारतीय सेना के आगे पाकिस्तान के सुरक्षा तंत्र की पोल खुल गई है। उसे एक बार फिर मुंह की खानी पड़ी है। इससे पाकिस्तानी सेना में बेहद विचलन है।

हालांकि कहने को तो लोग कह सकते हैं कि भारतीय सेना ने अपनी प्रतिक्रिया देने में 12 दिन लगा दिए। लेकिन मुझे लगता है कि तैयारियों में समय लगता है। पुलवामा हमले के बाद लगा समय कोई अधिक विलंब की प्रतिक्रिया नहीं है। भारतीय वायु सेना के विभिन्न एयरबेस से सही लड़ाकू विमानों के चुनाव के बाद पूरी योजना के साथ उठाए इस कदम में 12 दिन का अंतराल देर से उठाया कदम नहीं लगता है। और, इसीलिए मैं इस तरह के कदमों की समीक्षा और त्वरित कार्रवाई की तैयारी की बात करता हूं।

पाकिस्तान में इमरान खान की सरकार है, उनकी सरकार सेना के प्रभाव में है। यदि वे बोलते हैं तो समझना चाहिए कि पाकिस्तान की सेना ही बोल रही है। सीमा पर मंडराते युद्ध के बादल वास्तव में गरजेंगे और बरसेंगे भी, इससे इनकार नहीं किया जा सकता। हम अपनी तैयारी में ढील नहीं ला सकते। अबकी बार यह आर-पार की लड़ाई हो सकती है।

इधर भारत में, कश्मीर के संदर्भ में उच्चतम न्यायालय संविधान के अनुच्छेद 35 ए को समाप्त करने के लिए दायर याचिकाओं की सुनवाई करने वाला है। कश्मीर के बहुत से नेताओं को मिलने वाली सुरक्षा वापस ले ली गई है और महबूबा मुफ्ती अलग झंडे का राग अलाप रही हैं। इन सारी परिस्थितियों के बावजूद हमारी देश की आंतरिक स्थिति बिल्कुल सही है। पाकिस्तान के विरुद्ध कार्रवाई के संदर्भ में देश एकमत है।

भारत सरकार मजबूत है और कोई भी कदम उठाने में गंभीर दिखाई देती है। विपक्षी दल के नेता राहुल गांधी ने भी सैन्य कदम की सराहना करते हुए सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। हमने अपनी सैन्य ताकत के साथ लोकतांत्रिक एकता भी दुनिया को दिखाई है। भविष्य में भी हमें इसी तरह से एकजुट रहना होगा।

(लेखक, 1971 के भारत-पाक युद्ध में राजस्थान सेक्टर में सक्रिय भागीदारी। 2001-08 के दौरान फौज के जज एडवोकेट जनरल रहे।)

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