scriptसज्जनता की जीत | Team India has created history from its gentle game in Australia | Patrika News

सज्जनता की जीत

locationजयपुरPublished: Jan 08, 2019 02:52:19 pm

Submitted by:

dilip chaturvedi

यह हार-जीत सबक है। ऑस्ट्रेलिया की क्रिकेट टीम अपने खराब व्यवहार के कारण हारी है और भारत की टीम ने अपने सज्जन खेल से इतिहास रच दिया है।

team india

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भारतीय क्रिकेट टीम को ऑस्ट्रेलिया में मिली पहली टेस्ट शृंखला जीत न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया के लिए यादगार सबक है। कोई संदेह नहीं, आधुनिक विश्व में खेलों के माध्यम से भी देश का मान-सम्मान बढ़ता है और भारतीय क्रिकेट टीम की इस जीत ने देश का मान बढ़ाया है। सोमवार 7 जनवरी को जब भारत को सिडनी में 2-1 से शृंखला विजेता घोषित कर दिया गया, तब भारतीय क्रिकेट के इतिहास के कई दुखद पन्ने पलटने की जरूरत पड़ गई। कई मौके आए थे, जब ऑस्ट्रेलिया हमारे जबड़े से जीत को ‘येन-केन-प्रकारेण’ छीन ले गया और हम आंखों में आंसू लेकर ही ऑस्ट्रेलिया महादेश से लौटते थे। तब निराशाजनक टिप्पणियों की बाढ़ आ जाती थी। यहां तक कह दिया जाता था कि ऐसी बेकार टीम को भारत लौटने की बजाय प्रशांत महासागर में डूब मरना चाहिए। धन्य है विराट कोहली की टीम, जिसने अपने उन पूर्वज क्रिकेटरों और क्रिकेट के दीवानों को राहत का अहसास कराया है, जिन्हें अपने दिल में कंगारुओं की जमीन पर मिली हार की चुभन बार-बार महसूस होती है। बारिश यदि बाधा नहीं बनती, तो भारत निश्चित ही 3-1 से जीत हासिल करता। भारत के सफलतम कप्तान विराट कोहली, बल्लेबाजी में चितेश्वर पुजारा (521 रन), रिषभ पंत (350 रन), मयंक अग्रवाल, तो गेंदबाजी में जसप्रीत बुमराह (21 विकेट), मोहम्मद समी (16 विकेट), ईशांत शर्मा (11 विकेट) सदा प्रेरणा स्रोत रहेंगे। इस बहुप्रतीक्षित और अनिवार्य जीत से भारतीय टीम का मनोबल तो बढ़ेगा ही, खिलाडिय़ों के प्रदर्शन में भी उत्तरोत्तर आवश्यक सुधार आएगा।

आज जब हम यह सोच रहे हैं कि विगत 71 वर्ष के टेस्ट इतिहास में ऑस्ट्रेलियाई टीम को उसकी जमीन पर हम मात्र 7 बार ही क्यों हरा पाए हैं, तब हमें यह भी सोचना चाहिए कि थाईलैंड जैसे छोटे देश को फुटबॉल में हराने में हमें 33 वर्ष कैसे लग गए। हमें ज्यादा मैच जीतने चाहिए, हमें ज्यादा पदक-कप जीतने चाहिए। ताजा टेस्ट शृंखला जीत और फुटबॉल में जीत के साथ ही भारत के लिए जीत का एक नया युग शुरू हो। खेल को आधुनिक दुनिया युद्ध की तरह लेती है, तो खेल से किसी खिलवाड़ की अब गुंजाइश नहीं है। दुनिया में सबसे लोकप्रिय खेल फुटबॉल में भारत की दौड़ फिर शुरू हो रही है, तो हमें फुटबॉल में सुनील क्षेत्री जैसे खिलाड़ी-कप्तान की जरूरत है। सुनील क्षेत्री ने अतरराष्ट्रीय फुटबॉल में ६६वां गोल करके अपना ही नहीं, भारतीय फुटबॉल का मान बढ़ाया है।

जीत के जज्बे, जुनून, जश्न के बीच हमें यह भी देखना है कि ऑस्ट्रेलिया में मिली जीत केवल अच्छे खेल की जीत नहीं है, बल्कि यह अच्छे व्यवहार की भी जीत है। भारत सदा से जेंटलमैन क्रिकेटरों का देश रहा है, जबकि यही बात ऑस्ट्रेलिया के लिए नहीं कही जा सकती। इतिहास देखिए, कंगारू खिलाड़ी कम और शिकारी ज्यादा रहे हैं। जमीन पर टप्पा खा चुकी गेंद उठाकर कैच और विकेट लेने का जश्न शुरू कर देना और अंपायर की ओर आउट देने का इशारा करना, बल्ले के पास से गेंद गुजरकर विकेटकीपर की दस्तानों में चली जाए तब भी प्रतिद्वंद्वियों को आउट करा लेने का समृद्ध इतिहास रहा है। उनकी जमीन पर प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ी की कोई बात बुरी लग जाए, तो उस पर जुर्माना और एकाधिक मैचों के लिए प्रतिबंध लगाने की भी परंपरा रही है। बेहूदा टीका-टिप्पणी करके बल्लेबाज का दिमाग भटकाकर विकेट लेने में उन्हें महारथ हासिल रही है।

हालांकि अब ऑस्ट्रेलियाई टीम की इन धूर्तताओं को दुनिया जान चुकी है। अब कैमरे भी चौकस हैं। अपने पूर्वज खिलाडिय़ों की कारगुजारियों से प्रेरित होकर ही ऑस्ट्रेलियाई कप्तान स्टीव स्मिथ ने बॉल से खिलवाड़ किया था और पकड़े जाने के बाद 12 महीने का प्रतिबंध भुगत रहे हैं। साथ में एक और दिग्गज खिलाड़ी डेविड वार्नर पर भी प्रतिबंध लगा। आज अपनी गलत हरकतों के कारण ही ऑस्ट्रेलिया की टीम कमजोर हुई है। कहीं न कहीं बुराई आपके प्रदर्शन को प्रभावित करती है और आपको अपने ही जाल में उलझाकर हार की ओर धकेल देती है। भारत से मिली हार ऑस्ट्रेलिया के लिए भी सबक बने। भारत की जीत ईमानदारी व सज्जनता की जीत है। इससे हर वह व्यक्ति सबक ले, जो बुराई के रास्ते पर है। सच्चाई और अच्छाई अंतत: आपको जीत, सुख और संतोष की ओर ले जाती है।

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