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सवाल क्या गलत नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ, जवाब सही बात

locationनई दिल्लीPublished: Aug 30, 2020 06:04:50 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था कि क्या गलत नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ। जवाब में मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं। पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

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गलत नीतियों से अर्थव्यवस्था को नुकसान
नीति निर्माण एक सामान्य व्यक्ति के जीवनयापन से लेकर वृहद् वैश्विक कार्यों के लिए भी आवश्यक होता है। सुनियोजित तथा तर्कसंगत नीतियों का निर्माण तथा उस पर किए गए कार्यों का परिणाम सदैव सकारात्मक होता है। इसके विपरीत गलत नीतियों के निर्माण से नकारात्मक प्रभाव तो होता ही है, साथ ही सकारात्मकता में लौटने में काफी समय लग जाता है। भारतीय परिदृश्य में बात की जाए तो, वर्तमान में अर्थव्यवस्था की दृष्टि से हमारा देश काफी समस्याएं झेल रहा है। इसका एक बड़ा कारण गलत नीतियों का क्रियान्वयन है। साथ ही अर्थव्यवस्था के नुकसान में अन्य कारक भी शामिल हैं। चाहे वह अर्थव्यवस्था हो या विकास की अन्य धुरी, गलत नीतियों से सदैव नुकसान ही होता है। अंतत: कहा जा सकता है कि अर्थव्यवस्था के नुकसान के लिए गलत नीतियां जिम्मेदार है।
-अमित कुमार गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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धराशायी अर्थव्यवस्था
पहले से ही मुश्किल में फंसी अर्थव्यवस्था लॉकडाउन के कारण धराशायी हो गई। कोरोना वायरस का हमला अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी मुश्किल लेकर आया। लॉकडाउन अपने आपमें बड़ा झटका था। इतना बड़ा डिसीजन लेने के लिये अर्थव्यवस्था के बारे में भी सोचना था ।
-गोपाल अरोड़ा, ,लौहरो की गली, जोधपुर
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सही क्रियान्वयन नहीं हुआ
सरकार की नीतियां तो अच्छी थीं, लेकिन जमीनी स्तर पर नहीं उतारी गईं। इससे अर्थव्यवस्था पटरी से उतर गई। आत्मनिर्भर भारत योजना सबसे अच्छी नीति मानी जाएगी। यह योजना भारत को हर क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी
-महेंद्र खोजा, जोधपुर
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ध्वस्त हो गई अर्थव्यवस्था
देश की अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव ही नहीं पड़ा, बल्कि सरकार ने जो फैसले लिए उनसे अर्थव्यवस्था ध्वस्त होकर रह गई। गलत कदमों से नुकसान हुआ है। नोटबन्दी और त्रुटिपूर्ण जीएसटी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी से उतारा है। लॉकडाउन जैसे गलत फैसले ने कोढ़ में खाज का काम किया है। गलत नीतियों के कारण बेरोजगारी, महंगाई को बढ़ावा मिला है। देश की औद्योगिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। सरकार के गलत फैसलों व गलत नीतियों ने अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाया है।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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टूट गई आम जनता की कमर
इसमे संदेह नही है कि सरकार की कुछ नीतियां अर्थव्यवस्था के बिगड़ते हालात के लिए जिम्मेदार है। उनमें हम नोटबन्दी, त्रुटिपूर्ण गुड्स एंड सर्विस टैक्स प्रणाली और कोरोना के दौर में लॉकडाउन की बात कर सकते हैं। इनके चलते लोगों के सामने क्या करें, क्या न करें की स्थिति पैदा हो गई है। लॉकडाउन ने तो लोगों की कमर तोड़ दी। करोड़ों लोगों के धंधे चौपट हो गए। सबसे खराब हालत निजी कर्मचारियों की हुई है।
-अशोक कुमार शर्मा, झोटवाड़ा, जयपुर
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कुप्रबंधन का नतीजा
चौतरफा कुप्रबंधन के चलते अर्थव्यवस्था में मंदी आई है। नोटबंदी के फैसले से भी अर्थव्यवस्था गड़बड़ाई। आज अर्थव्यवस्था की स्थिति बहुत चिंताजनक है। जीएसटी के नुकसान से भी अभी तक अर्थव्यवस्था नहीं उबरी है।
-भारती काल्या, कोटा
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सुशासन की कमी
सरकार की गलत नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ। नोटबंदी के बाद त्रुटिपूर्ण जीएसटी ने देश की अर्थव्यवस्था को बहुत नुकसान पहुंचाया। विफल लॉकडाउन ने हालत खराब कर दी। बढ़ते भ्रष्टाचार और सुशासन की कमी के साथ विपक्ष के सुझावों की अनदेखी ने समस्या गंभीर बना दी। देश में लाइसेंस राज का मकडज़ाल फैलता जा रहा है। देश की प्रत्येक समस्या का चुनावी नफा-नुकसान की दृष्टि से आकलन किया जा रहा है।
-डॉ.प्रकाश मेहता, बेंगलूरु
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चली गईं नौकरियां
मजूबूत अर्थव्यवस्था किसी भी राष्ट्र की धुरी मानी जाती है। अर्थव्यवस्था तभी मजबूत होती है, जब उस राष्ट्र की नियम-नीतियां एक सही तरीके से चलें। यदि नीतियां गलत होंगी, तो अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा ही। मंदी, मांग में कमी के कारण आती है। मांग में कमी आम लोगों के पैसों की कमी के कारण आती है और पैसों की कमी सरकार की गलत नीतियों के कारण कमी आती है। सरकार की गलत नीतियों की वजह से ही लोगों की आमदनी कम हुई है और उनकी नौकरियां गई है।
नरेंद्र रलिया, भोपालगढ, जोधपुर
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दिखावे के सुधार
सरकारी नीतियां सिर्फ दिखावा मात्रा हैं, जो कि आम जनता को आकर्षित तो करती हैं, परन्तु जमीनी स्तर पर उन नीतियों का कोई खास प्रभाव नहीं दिखाई देता। सरकार हमेशा से ही अर्थव्यवस्था की बदहाल के लिए परिस्थितियों को जिम्मेदार ठहराती रही है, जबकि इसका असल कारण कुछ और ही है। हमें दूसरे देशों की नीतियों का भी अध्ययन करना चाहिए और उनसे सीखना चाहिए।
-लक्ष्य शर्मा, बारां
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पटरी पर आ रही है अर्थव्यवस्था
कोविड की वजह से पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा है। भारत सरकार की नीति लोगों के जान की रक्षा करने की रही, जिसमें वह सफल रही। पूरे विश्व में इसकी प्रशंसा हुई। अब लॉकडाउन खुलने के साथ ही साथ अर्थव्यवस्था वापस पटरी पर आ रही है। लोगों में जागरूकता भी आ रही है। इससे आम जनता कोविड से बचते हुए अपना व्यापार भी कर रहे है।
-मगन गोयल, सुमेरपुर, पाली
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लॉकडाउन से उद्योगों को नुकसान
उद्योग अर्थव्यवस्था की आधारभूत इकाई है। अचानक लॉकडाउन की नीति के कारण उद्योगों को भारी नुकसान हुआ है, क्योंकि उद्योगों में कार्यरत कई मशीनों का यदि लंबे समय उपयोग ना करना हो तो उन्हें पूर्णत: शटडाउन करना होता है। एक दिन का जनता कर्फ्यू कहकर जब 2-3 महीने का लॉकडॉउन कर दिया गया, तो उद्योगों को काफी नुकसान झेलना पड़ा, जिससे अर्थव्यवस्था पर बुरा असर पड़ा।
-पूनम लखेसर, श्री गंगानगर
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नहीं रखा समय का ध्यान
देश की अर्थव्यवस्था को इतने सालों से भ्रष्टाचार का दीमक लगा हुआ था। इससे उबारने के लिए सरकार ने नोटबंदी और जीएसटी जैसे फैसले लिए। फिर लॉकडाउन लगाना पड़ा। इससे अर्थव्यवस्था कोमा में चली गई है। कदम तीनों ही अच्छे हो सकते हंै, लेकिन समय और अंतराल का ध्यान नहीं रखा। इससे कितने ही रोजगार खत्म हो गए और कितने ही खत्म होने के कगार पर है।
-भगवती लाल जैन, राजसमंद
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नोटबंदी, जीएसटी और लॉकडाउन से खस्ता हुई अर्थव्यवस्था
सरकार की गलत नीतियों के कारण हमारी अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हुआ है। मंदी के दौर में अचानक की गई नोट बन्दी ने हमारी अर्थव्यवस्था की हालत खराब कर दी। फिर जीएसटी ने हमारी अर्थव्यवस्था को और नीचे गिरा दी। रही-सही कसर लॉकडाउन ने पूरी कर दी। कई लोग रोजगार से हाथ धो चुके हंै।
-रामेश्वर लाल आमेटा, कारोलिया, राजसमन्द
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क्या गलत नीतियों के कारण नुकसान
किसी भी देश की सरकार की नीतियों से उस देश की जनता का जीवन प्रभावित होता है। वर्तमान सरकार की नीतियों और घोषणाओं के कारण देश की जनता को काफी नुकसान हुआ हैं। मध्यम वर्ग को इन नीतियों का खमियाजा भुगतना पड़ रहा हैं। देश के समृद्ध कुछेक बड़े परिवारों को लाभ देने का खेल खेला जा रहा है, जो अर्थव्यवस्था के लिए घातक साबित हो रहा हैं ।
-सुनील कुमार पाटनी, बगरू, जयपुर
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सरकार नहीं ले पाई सही निर्णय
केंद्र सरकार की गलत नीतियों के कारण अर्थव्यवस्था बिगड़ी है पहला कारण नोटबंदी और दूसरा कारण जीएसटी। जीएसटी में कई फेरबदल भी हुए, लेकिन फिर भी व्यवस्था सही नहीं हुई। तीसरा कारण कोरोनावायरस , जिसके कारण पूरा देश बर्बाद हो गया। ।
-हस्तीमल चावड़ा, जोधपुर
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सजिश का परिणाम
गलत नीयत के साथ बनाई नीतियों ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी है। सरकारी पीएसयू कम्पनियों को औने-पौने दाम पर बड़े कोरपोरेटर्स को बेचने की नीति को साजिश ही कहेगें। पिछले 70 सालों में इन कम्पनियों का देश के विकास में अविस्मरणीय योगदान रहा है। इनके गठन के वक्त लाभ कमाने का नहीं, केवल देश के विकास का उद्देश्य था। आज इनके पास अकूल सम्पत्ति है। बैंकों को एनपीए के कारण बीमार बताया जा रहा है। आखिर इस खराब लोन की वसूली सरकार उसी तरह क्यों नहीं कर सकती जिस तरह टैक्स व जीएसटी की वसूली करती है? सच तो यह है कि वर्तमान सरकारें, अधिकारी, ठेकेदार आकंठ भ्रष्टाचार में लिप्त हैं।
अशोक कुमार गुप्ता, मानसरोवर, जयपुर
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आम जनता भी जिम्मेदार
भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की सबसे तीव्रता से अग्रसर होने वाली अर्थव्यवस्था का तमगा खो चुकी है। उम्मीदों से भरा भारत आज सुस्ती और मंदी के बीच में कहीं खड़ा है। इसके लिए आम जन भी जिम्मेदार है। उन्ही की वजह से केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं संबंधित प्रशासन को नियमित एवं आंशिक लॉकडाउन करना पड़ रहा है। इससे हर क्षेत्र की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है । आज अगर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाना है, तो हर आम आदमी को कोरोना से बचाव के लिए बताई गई आवश्यक सावधानियों के साथ काम करना होगा। हर नागरिक की जिम्मेदारी है कि मजबूत इच्छाशक्ति के साथ नियमबद्ध तरीके से इस कोरोनकाल में अपने कार्य करे।
-डॉ. नयनप्रकाश गांधी कोटा
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सकारात्मक परिणाम आएंगे
किसी भी व्यवस्था को चलाने के लिए एक सही नीति की आवश्यकता होती है, किंतु अर्थव्यवस्था के नीचे जाने के पीछे नीतियों के साथ-साथ समय, काल, परिस्थितियों का भी कारण होता है। सरकार निरंतर आर्थिक नीतियों में परिवर्तन कर रही है। नोटबन्दी, जीएसटी एवं आत्मनिर्भर भारत अभियान के सकारात्मक परिणाम जरूर आएंगे।
ऋषभ नामदेब, नरसिंहपुर, मध्यप्रदेश
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गलत नीतियां ही जिम्मेदार
गलत नीतियों के कारण ही अर्थव्यवस्था को नुकसान हुआ, यह कटु सत्य है। लॉकडाउन की योजना सही नहीं होने के कारण उद्योग-व्यापार ठप्प हो गए। श्रमिक पलायन कर गए, सारी व्यवस्था बेपटरी हो गई। इसी प्रकार बिना तैयारी के जल्दबाजी मे नोटबंदी एवं जीएसटी लागू किया गया। यह सब अर्थ व्यवस्था के लिय घातक सिद्ध हुए।
राधावल्लभ खण्डेलवाल, रतलाम
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बुनियादी ढांचे की उपेक्षा
निस्संदेह देश की माली हालत विगत वर्षों में काफी कमजोर हुई है। इसका मुख्य कारण गलत आर्थिक नीतियां हंै। सरकार को प्राप्त राजस्व एवं आय को देश की बुनियादी ढांचागत सुविधाओं जैस शिक्षा, चिकित्सा एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में खर्च करना होगा तब जाकर देश की चौमुखी उन्नति होगी।
-महेश आचार्य, नागौर
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