नेपतर: प्रकृति की मनोहारी छटा के बीच अध्यात्म का आनंद
प्रकृति के मनोहारी दृश्यों के बीच बसे नेपतर गांव की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग दो हजार मीटर है। यह केदानाथ ट्रैकिंग के लिए अंतिम गांव है, जहां तक टैक्सी से जाया जाता है।
Published: July 06, 2022 06:46:57 pm
संजय शेफर्ड ट्रैवल राइटर और ब्लॉगर
नेपतर गांव कालीमठ घाटी का आखिरी गांव है। केदार वाइल्ड लाइफ सेंचुरी की वजह से लोग यहां पर शोध के लिए भी आते हैं। जो लोग नेपतर आते हैं, वे तारा देवी मंदिर जरूर जाते हैं, क्योंकि यह वह मंदिर है, जो खूबसूरत है। साथ ही साथ लोगों की मान्यता है कि यह मंदिर गांववासियों की बीमारियों से रक्षा करता है। मुझे भी ऋषिकेश से निकलने से पहले कुछ लोगों ने कहा था कि इस मंदिर में जरूर जाना। इसलिए मैंने इस जगह पर जाने का मन पहले से ही बना लिया था। यह जगह ऋषिकेश से 215 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां का सबसे नजदीकी बस स्टेशन जाल मल्ला है। प्रकृति के मनोहारी दृश्यों के बीच बसे नेपतर गांव की समुद्र तल से ऊंचाई लगभग दो हजार मीटर है। यह केदानाथ ट्रैकिंग के लिए अंतिम गांव है, जहां तक टैक्सी से जाया जाता है। इस गांव के पश्चात मनोहारी बुग्यालों और पर्वत शृंखलाओं के मध्य से केदारनाथ तक ट्रैकिंग का रास्ता है, जो पर्यटकों को मनोहारी छटा से अभिभूत कर देता है। एक तरह से देखा जाए, तो यहां तक कि यात्रा बहुत ही सरल और सुगम है। हां, नेपतर से बाद की यात्रा चुनौतियों से भरी हुई है।
ज्यादा ऊंचाई का ट्रैक होने के कारण आपको जिला पर्यटन कार्यालय और वन विभाग से इजाजत लेनी होती है। एक गाइड हायर करना होता है, जो कम से कम बेसिक माउंटेनरिंग का सर्टिफिकेट कोर्स किया हुआ हो। यहां से ऊपर की चढ़ाई कठिन होती है और तकरीबन 18 किलोमीटर का रास्ता दो दिन में पूरा होता है। यदि मौसम बिगड़ गया, तो तीन दिन लगते हैं और वापस आने में दो दिन। इस तरह यह कुल चार से पांच दिन का ट्रैक बनता है। इसलिए मैंने तय किया कि तारा देवी मंदिर तक ही जाऊंगा, जिसके लिए महज तीन से चार किलोमीटर का ट्रैक करना होता है।
ट्रैक शुरू होते ही नेपतर गांव से ऊपर गोरगंगा नामक स्थान पर प्रकृति की मनोहारी छटा के बीच तारा माता का सुंदर और भव्य मंदिर स्थित है। तारा माता मंदिर में माता की मूर्ति काष्ठ की है, जो काष्ठ कला का अद्भुत नमूना है। यह मंदिर लगभग 250 साल पुराना है। शारदीय नवरात्रि के समय यहां देवी का भव्य पूजन होता है। साथ ही मेले एवं कुश्ती का आयोजन भी होता है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से सैकड़ों लोग यहां पहुंचते हैं। इतिहासकारों के अनुसार तारा देवी क्वोंथल रियासत के राज परिवार की कुलदेवी थी। यह ट्रैक केदारनाथ वाइल्डलाइफ सेंचुरी के अंदर आता है। इसलिए इस ट्रैक पर बढ़ते हुए कई तरह की जैव-विविधता देखने को मिलती है। कई तरह के जानवर और परिन्दे अनायास ही दिख जाते हैं। मंदिर के पास ही इस घाटी में प्रयोगिक तौर पर पहला सेब का बागान लगाया गया है। यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो घाटी में खूब सारे सेब के बागान नजर आएंगे।

नेपतर: प्रकृति की मनोहारी छटा के बीच अध्यात्म का आनंद
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