scriptनई पीढ़ी को मिलेगा मार्गदर्शन | The new generation will get New way of life from this | Patrika News

नई पीढ़ी को मिलेगा मार्गदर्शन

locationनई दिल्लीPublished: Jun 11, 2020 06:24:53 pm

Submitted by:

shailendra tiwari

‘नई शुरुआत’ पर प्रतिक्रियाएं
 

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राजस्थान के विकास में अहम योगदान करने वाली अलग-अलग क्षेत्रों की शख्सियतों को दसवीं के पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने के राजस्थान सरकार के निर्णय को युवा पीढ़ी को संस्कृति से जोडऩे की दिशा में अभिनव कदम बताने वाले पत्रिका के प्रधान सम्पादक गुलाब कोठारी के अग्रलेख ‘नई शुरुआतÓ को पाठकों ने सराहा है। उन्होंने कहा है कि सरकार का यह कदम पुरानी पीढ़ी को यथोचित सम्मान देने वाला और नई पीढ़ी में संस्कृति का बीजारोपण करने वाला है। अन्य सरकारों को भी इसका अनुकरण करना चाहिए। पाठकों की प्रतिक्रियाएं विस्तार से

नई पीढ़ी को मिलेगा मार्गदर्शन
राजस्थान सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में विभूतियों के योगदान को पाठ्यक्रम में दलगत राजनीति से उठकर जोडऩे का सराहनीय कार्य किया है। पत्रिका के संस्थापक कर्पूरचन्द्र कुलिश का नाम भी पाठ्यक्रम में शामिल होना पत्रिका से किसी भी रूप में जुड़े हर व्यक्ति के लिए गर्व की बात है। नई पीढ़ी को विभूतियों के जीवन से मार्गदर्शन मिलेगा। राजस्थान सरकार का ये कार्य पुरानी पीढ़ी को यथोचित सम्मान और नई पीढ़ी को अपने पूवर्जो की गाथा से जोड़े रखने का अभिनव प्रयोग है।
लतीफ अहमद राइन, राज्यपाल सम्मान से सम्मानित शिक्षक, छतरपुर
जीवन के अनुभवों से मिलेगी सीख
‘नई शुरुआत’ आलेख में गुलाब कोठारी के विचार सटीक है। राजस्थान की विभूतियों के नाम पाठ्यक्रम में जोडऩे से छात्र -छात्राओं उनके जीवन के अनुभवों से सीखने का मौका मिलेगा। इनके जीवन मूल्यों को अपनाकर युवा पीढ़ी को आगे बढऩे का मौका मिलेगा। -ओमप्रकाश शर्मा, कांकरोली
शिक्षा प्रणाली में बदलाव का *****
हमारी शिक्षा प्रणाली में कई बदलाव आवश्यक हैं। सबसे बड़ी जरूरत यही है कि हम पाठ्यक्रम में हमारे वीर कर्मयोगी, तपस्वियों का परिचय आने वाले पीढ़ी को कराएं। इससे वे जान सकें कि हमारे पुरखों का अनुसरण आज के वक्त में कितना जरूरी है।
सोनाक्षी गौतम, झालावाड़
पाठ्यक्रमों को राजनीतिक दखलंदाजी से बचाएं
शिक्षा सामाजिक विकास की आधारशिला है। लेकिन सत्ता का प्रभाव और हस्तक्षेप अब पाठ्यक्रम तक दिखाई देने लगा है। पाठ्यक्रमों को तो राजनीतिक दखलंदाजी से बचाया जाना चाहिए। राजस्थान सरकार की यह पहल अन्य राज्यों में भी हो और इसमें इतिहास के साथ स्थानीय भूगोल को भी शामिल किया जाना चाहिए। ज्ञानेश चौबे, शिक्षाविद, हरदा
सराहनीय निर्णय
वर्तमान युग में शिक्षा लोगों के लिए व्यवसाय का माध्यम बन गई है। किताबों में सिर्फ वह लिखा और पढ़ाया जाता है, जिससे सरकार का फायदा हो, सरकार से जुड़े लोगों का फायदा हो। राजस्थान सरकार का बुद्धिजीवी, कवि और साहित्यकारों के जीवन परिचय को पढ़ाने का निर्णय लेना सराहनीय है। इससे नई पीढ़ी को सही दिशा मिलेगी।
ओमदीप, समाजसेवी, सीहोर
कुलिश का योगदान अमूल्य
राजस्थान में दसवीं के पाठ्यक्रम में पत्रिका के संस्थापक कर्पूरचंद्र कुलिश का नाम सूची में शामिल करना गौरव की बात है। उन्होंने राजस्थान के इतिहास और संस्कृति को गौरवान्वित करने में अपना अमूल्य योगदान दिया है। पाठ्यक्रमों में सरकारों द्वारा अपने-अपने दलीय महापुरुषों को स्थान देने के परम्परा के विपरीत राजस्थान सरकार का यह प्रयास निश्चित ही सराहनीय है।
मनोज श्रीवास्तव, विधिक सलाहकार, गुना
बच्चों के लिए प्रेरक कदम
कोठारी ने सही लिखा है कि शिक्षा में व्यापक दृष्टि होनी चाहिए, संकुचित मानसिकता नहीं। हमें नौकर पैदा नहीं करने हैं। इसलिए शिक्षा का आधार स्वावलंबन होना चाहिए। शिक्षा वही है जो मनुष्य में मानवता पैदा करे और सलीके से जीना सिखाए। ऐसे में महान व्यक्तित्वों को पढ़कर बच्चे निश्चित तौर पर प्रेरित होंगे।
सुरेन्द्र तिवारी, रिटायर्ड नेवी ऑफिसर, भोपाल
मध्यप्रदेश में भी ऐसा हो
कोठारी ने सही कहा है कि शिक्षा कभी भी जड़ नहीं होनी चाहिए। उसमें वक्त के साथ बदलाव होना जरूरी है। राजस्थान सरकार ने यह बदलाव किए, उसके लिए वह धन्यवाद की पात्र है। मध्यप्रदेश में भी प्रदेश के बड़े व्यक्तित्वों को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए, ताकि बच्चे उनसे प्रेरणा ले सकें।
राजेश चौरसिया, संरक्षक, मध्यप्रदेश इंजीनियरिंग स्ट्रक्चरल एसोसिएशन, भोपाल
मील का पत्थर
राजस्थान सरकार ने राजनीति से ऊपर उठकर जो निर्णय लिया है, वह स्वागत योग्य है। पत्रिका के संस्थापक कुलिश का नाम इस सूची में शामिल करना यह दर्शाता है कि सरकार प्रदेश की विभूतियों से वर्तमान और आने वाली पीढ़ी को रूबरू कराना चाहती है। राजनीतिक वातावरण से ऊपर उठकर लिया गया यह फैसला सच में देश के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा।
हरिओम शर्मा, रिटायर्ड सीएसपी, जबलपुर
अन्य सरकारों के लिए सीख
राजस्थान सरकार का यह कदम साहसपूर्ण है। इसे याद रखा जाएगा, क्योंकि राजस्थान की आने वाली पीढ़ी उन विभूतियों के बारे में पढ़ सीख सकेगी, जिन्होंने राजस्थान को गढऩे में अलग क्षेत्रों में अपना अहम योगदान दिया है। कोठारी ने उन सरकारों को सीख भी दी है जो शिक्षा के शिक्षा और इतिहास को भी राजनीति के नफे नुकसान के तराजू में तौलकर उन तमाम विभूतियों के योगदान को अनदेखा करती हैं जिनके योगदान, त्याग को आने वाली पीढ़ी को समझना जरूरी है।
शिवकुमार शर्मा, समाजसेवी, ग्वालियर
क्रांति लाने की कोशिश
राजस्थान सरकार ने दो विषयों में बदलाव कर शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाने की कोशिश की है। दूसरी सरकारों को भी इस ओर ध्यान देने की जरूरत है। शिक्षा का मतलब सिर्फ शिक्षित करने की जरूरत नही है, हमें उन्हें जीने की कला भी शिक्षा के जरिए देनी चाहिए। वर्तमान में बहुत अच्छी संभावनाएं हैं और सभी को इस दिशा में काम करना चाहिए।
रमेश शर्मा, शिक्षक, ग्वालियर

भावी पीढ़ी की सोच के लिए सार्थक
अग्रलेख असल में एक नई शुरुआत है। वर्तमान में स्कूली शिक्षा प्रणाली में ऐसी विभूतियों को स्थान दिया जाना जरूरी है, जो कर्मशील रहे हैं और उनके सार्थक प्रयासों से समाज और देश को नई शुरूआत का मौका मिला है। कुलिश का नाम भी ऐसी विभूतियों में शामिल है। ऐसी विभूतियों को पाठ्यक्रम में स्थान मिलने से देश की भावी पीढ़ी की सोच में सार्थकता आएगी।
अजय शर्मा, प्राचार्य, महिदपुर कॉलेज, उज्जैन

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