scriptभ्रष्टाचार की जड़ में है कालाधन, करों का बोझ काम करने से ही थमेगा भ्रष्टाचार | The root of corruption is black money | Patrika News

भ्रष्टाचार की जड़ में है कालाधन, करों का बोझ काम करने से ही थमेगा भ्रष्टाचार

locationजयपुरPublished: Sep 30, 2018 02:36:45 pm

सत्तासीन सरकारों के काला धन वापस लाने के अथक प्रयासों के बावजूद विदेशी खातों में निरन्तर व्रद्धि हो रही है।

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सत्तासीन सरकारों के काला धन वापस लाने के अथक प्रयासों के बावजूद विदेशी खातों में निरन्तर व्रद्धि हो रही है।

कभी हमारा देश सोने की चिड़िया कहलाता था। यह अथाह प्राकृतिक भू – सम्पदा का धनी देश था। दूध-घी की नदियां बहती थीं।परन्तु आजादी के बाद भौतिकता की अंधी चकाचोंध में देश काले धन के अंधकार में डूब गया है। हमारे देश के नेताओं ने हमारे ही देश की गरीब जनता को लूट कर पैसे विदेशी स्विस बैंकों में जमा करा दिया है, पर जब देश के शीर्ष नेताओं का पैसा विदेशी स्विस बैंक जमा हो तो काला धन वापिस लाने की बात बेमानी है।

सत्तासीन सरकारों के काला धन वापस लाने के अथक प्रयासों के बावजूद विदेशी खातों में निरन्तर व्रद्धि हो रही है। काले धन का मुख्य कारण हमारी खर्चीली चुनाव प्रणाली भी है, चुनाव में बे हिसाब धन खर्च होता है, चुनाव वही जीत सकता है,जिसके पास काला धन हो।काले धन के सहारे वह संसद में पहुंच जाता है और फिर वह खर्च किये हुए धन को वसूलने के जुगाड़ में लग जाता है,और उन लोगों को लाभ पहुंचाना शुरू कर देता है, जिन्होंने चुनाव में बे- हिसाब दिया था,यह सतत प्रक्रिया जारी रहती है,और एक क्रमबद्ध श्रंखला बन जाती है,अगर विदेशों में जमा काला धन वापस लाया जाये तो हमारी अर्थव्यवस्था उच्चस्तरीय हो सकती है। सबको रोटी, कपड़ा और मकान मिल सकता है। लेकिन ये सब प्रबल राजनैतिक इच्छा शक्ति व दृढ़ संकल्प से ही सम्भव होगा,और हमारा देश फिर से सोने की चिड़िया बन जायेगा।

दूसरी मुख्य बात सरकार आम जनता की मेहनत की कमाई पर कर लगाती है, इससे विवश होकर जनता अपनी मेहनत की कमाई छिपाती है व बचाती है। कालाधन हमारी हमारी अर्थव्यवस्था में इस कदर रच बस गया है, उससे मुक्त होना नामुमकिन से लगता है। सरकार को चाहिए कि जनता की कमाई पर से सारे कर हटा दे। काले धन व भ्रष्टाचार के विरुद्ध जब कोई आवाज़ उठाता है तो उसकी आवाज को दबा दिया जाता है। प्रशासनिक अधिकारी से लेकर चपरासी तक इस भ्रष्टाचार में शामिल रहते हैं,आये दिन अखबारों में रिश्वत की खबरें छपती रहती हैं, आयकर की वजह से ये कर्मचारी भी रिश्वत लेने के लिए मजबूर हो जाते हैं ।

– लता अग्रवाल

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