ओपिनियन

जीत का जुगाड़

पार्टी को इससे फर्क नहीं पड़ता कि प्रत्याशी अपराधी
है अथवा दल-बदलू। लगता है भाजपा के लिए भी राजनीति पूरी तरह व्यवसाय बन चुकी है।
जसमें जीत के लिए कोई भी दांव खेलने से परहेज नहीं

Sep 27, 2015 / 10:31 pm

शंकर शर्मा

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