इस बात से संतोष जरूर किया जा सकता है कि कोरोना की दूसरी लहर की पीक खत्म होने के बाद अधिकांश प्रदेशों में कोरोना संक्रमण के मामले लगातार कम होते जा रहे हैं। लेकिन संक्रमितों की मौत के आंकड़े अभी चिंता पैदा करने को काफी हैं। गुरुवार को ही महाराष्ट्र में 439 व केरल में 142 मौतें दर्ज की गईं, जबकि देश भर में 911 कोरोना संक्रमितों की मौत हुई है। इसके अलावा तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश और असम में अब भी कोरोना संक्रमण के नए मामले ज्यादा हैं। कोरोना की दूसरी लहर ने जो कहर बरपाया, उसे भूल जाना बुद्धिमानी नहीं होगी। वह भी ऐसे वक्त में, जब टीकाकरण की रफ्तार उतनी नहीं है, जितनी विशाल आबादी वाले हमारे देश में होनी चाहिए।
वैक्सीन लगाने के बाद बेखौफ होने वालों की संख्या भी कम नहीं है। जबकि तमाम वैज्ञानिक शोध में कहा जा चुका है कि टीकाकरण सुरक्षा कवच जरूर है लेकिन बचाव के मापदण्डों की पालना के साथ ही। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी अपनी नई मंत्रिपरिषद की पहली मीटिंग में भी कोरोना को लेकर आगाह किया है। पुराने अनुभवों से सबक लेने की जरूरत समझते हुए पीएम ने साफ कहा कि जरा-सी भी ढिलाई खतरनाक हो सकती है। सरकारी तंत्र कानून-कायदों की पालना में ढिलाई बरत रहा हो इसका मतलब यह तो कतई नहीं होना चाहिए कि हम भी यह मान लें कि कोरोना अब नहीं आएगा? वह भी तब, जब तीसरी लहर के आने की लगातार आशंका व्यक्त की जा रही है।
कोरोना को लेकर भय का माहौल न बने, यह जितना जरूरी है उतनी ही आवश्यकता इस बात की है कि ऐसे हालात न बनने दिए जाएं जिससे संक्रमण बढऩे का खतरा फिर पैदा हो जाए। नेताओं के लिए चुनाव, जनसंपर्क व रैलियां भले ही संजीवनी का काम करती हों लेकिन जनता खुद भीड़ का हिस्सा बन ‘आ कोरोना मुझे मार’ कहे तो दोष किसका?