खूबसूरत पहाड़, सदाबहार झरने और छोटी घुमावदार धाराएं। गर्मी हो या मानसून या फिर सर्दी, मौसम यहां किसी जादू की तरह उतरता है और सहयाद्री पर्वत शृंखला की इस छोटी सी पहाड़ी को पूरी तरह से ढक लेता है। हम लोगों को पुणे से कुल दो से तीन घंटे का समय लगा और पंचगनी पहुंच गए। यह बात उस जगह पर जाकर ही समझ में आई कि पंचगनी का अर्थ है पांच पहाडिय़ां और यह जगह समुद्र सतह से लगभग 1,350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मुझे यह जगह ही नहीं, यहां तक पहुंचने के रास्ते भी पसंद आए। यही वजह है कि इस जगह ज्यादातर लोग सड़क मार्ग से आना पसंद करते हैं। रास्ते इतने खूबसूरत हैं कि यात्रा की थकान छूमंतर हो जाती है।
पंचगनी का सौंदर्य हर बदलते मौसम के साथ और भी ज्यादा निखर जाता है। दूर पहाडिय़ों से परे सूर्यास्त देखना, स्ट्रॉबेरी तोडऩा, आराम से नाव की सवारी करना, हमें आनंद से भर देता है। हवा में रोमांचक उड़ान भरने की इच्छा हो, तो पैराग्लाइडिंग भी कर सकते हैं। साढ़े चार हजार फुट की ऊंचाई से खूबसूरत घाटियों और मंत्रमुग्ध कर देने वाले पहाड़ के दृश्यों को देखना यात्रा के रोमांच को कई गुना बढ़ा देता है।
इस जगह पर आने के बाद पारसी पॉइंट और सिडनी पॉइंट देखना खूब भाता है। लोग कहते हैं कि इन दो जगहों को यदि आपने नहीं ंदेखा तो आपने पंचगनी देखा ही नहीं। हालांकि इसके अलावा भी यहां घूमने और देखने के लिए काफी कुछ है। भिलार जलप्रपात मानसून के दौरान बहुत अच्छा दिखता है। व्यापक धूम बांध वाई गांव के निकट एक नौका विहार है, जहां से कृष्णा नदी के रमणीय सौंदर्य को निहारा जा सकता है।
ऐतिहासिक गुफाओं और मंदिरों की यहां एक विस्तृत शृंखला है, जिसे एक्सप्लोर करके अपनी यात्रा को और भी रोमांचक और महत्त्वपूर्ण बनाया जा सकता है। यहां सड़क मार्ग से जाना बहुत ही सकून भरा अनुभव होता है। यदि मुंबई से यात्रा कर रहे हैं, तो मुंबई-पुणे राजमार्ग का उपयोग कर सकते हैं, जो आपको पहले पंचगनी पहुंचाएगा। यदि आप मुंबई से गोवा रोड पर जाते हैं, तो पहले महाबलेश्वर पहुंचेंगे, फिर पंचगनी। पंचगनी एक ऐसी जगह है, जहां पूरे साल आया जा सकता है।