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परीक्षा से जुड़े मुद्दों पर हो विद्यार्थियों से गंभीर चर्चा

Published: Jan 31, 2023 08:19:28 pm

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Patrika Desk

जब हम सब तनाव के कारणों को समझ जाएंगे और बच्चों को यह समझा पाएंगे के जीवन एक अनवरत चलने वाली परीक्षा है, तो हालात भी बदल जाएंगे। जब यह बात मन में अच्छी तरह बैठ जाएगी कि किसी एक पड़ाव की परीक्षा हमारी सफलता या विफलता निर्धारित नहीं कर सकती, तो हम अपने बच्चों के हौसलों को नई उड़ान दे पाएंगे।

परीक्षा से जुड़े मुद्दों पर हो विद्यार्थियों से गंभीर चर्चा

परीक्षा से जुड़े मुद्दों पर हो विद्यार्थियों से गंभीर चर्चा

डॉ. डेजी शर्मा
असिस्टेंट प्रोफेसर, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर

परीक्षा और इससे संबंधित तनाव विद्यार्थियों के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण मुद्दा है। आज का विद्यार्थी कल के भारत का भविष्य है। वह भारत का भाग्य विधाता है। इसलिए हम सब की यह नैतिक एवं आवश्यक जिम्मेदारी बनती है कि हम उसे ऐसा माहौल उपलब्ध कराएं, जिसमें वह हर्षित, उल्लासित, पुष्पित और पल्लवित रहे, जिसमें निराशा, हताशा, परेशानी का कोई स्थान न हो। इसलिए हमें न केवल परीक्षा के प्रति अपना नजरिया बदलना होगा, बल्कि एक ऐसा माहौल पैदा करना होगा, जिसमें परीक्षा प्रतिभा प्रदर्शन का नहीं, बल्कि प्रतिभा पहचानने का मंच बन सके। परीक्षा यह जानने का साधन है कि विद्यार्थी किस विषय में रुचि रखता है और उसमें बेहतर कर सकता है। परीक्षा निश्चित समय में कार्य करने के लिए विद्यार्थी को प्रशिक्षित करने का पहला अवसर है। इसमें सफलता या विफलता से उसकी योग्यता को मापना सही नहीं है।
परीक्षा के तनाव का मुख्य कारण है यह है कि माता-पिता अपने बच्चों की तुलना रिश्तेदारों एवं पड़ोसियों के बच्चों से करते हैं। उन्हें सदैव दूसरों से प्रतिस्पर्धा कर, उनसे ज्यादा अंक लाने के लिए प्रेरित करते हैं। कम अंक आने पर उन्हें डांटते हैं, फटकारते हैं। उन्हें यह अहसास करवाते हैं कि वे विफल हो गए हैं या वे अयोग्य हैं। जाने-अनजाने वे अपने इस व्यवहार से बच्चों के कोमल मन पर दबाव बनाते चले जाते हैं। इससे बच्चे तनाव का शिकार हो जाते हैं। इस कारण परीक्षा बच्चों के लिए बड़ा बोझ बन जाती है। कभी न खत्म होने वाली इस दौड़ में शामिल होकर वे अपनी स्वतंत्र और गरिमामय पहचान तक खो बैठते हैं।
इसलिए सबसे पहले हमें परीक्षा के प्रति इस संकीर्ण रवैये को बदलने की जरूरत है। बच्चों को दूसरों से प्रतिस्पर्धा करना न सिखाएं, दूसरों से बेहतर बनने के लिए न कहें, बल्कि उसे बताएं कि उनका मुकाबला ख़ुद से है। उन्हें अपने भविष्य को बेहतर करना है। अगर देश का प्रत्येक विद्यार्थी अपने ख़ुद के भविष्य को बेहतर बनाने में जुट जाएगा, तो भारत को विश्व गुरु बनने से कोई ताकत नहीं रोक सकती। इसके लिए विद्यार्थियों को प्रतिदिन आत्म परीक्षण करना होगा, ख़ुद का आकलन स्वत: करना होगा। जब विद्यार्थी आत्म परीक्षण करेंगे, तो परीक्षा का डर स्वत: दूर हो जाएगा। बच्चों को समझाना होगा कि एक परीक्षा उनका भविष्य तय नहीं कर सकती। उन्हें महान लोगों के उदाहरणों से यह बात समझाई जा सकती है। चुनौतियों से जूझने का हौसला हमें हर विद्यार्थी के मन में भरना होगा। आमतौर पर तनाव तब पैदा होता है, जब विद्यार्थी में पूर्ण आत्मविश्वास न हो। इसके लिए विद्यार्थियों को छोटे-छोटे लक्ष्य बनाकर आगे बढऩा चाहिए। जब विद्यार्थी प्रतिदिन अपने स्वयं के निर्धारित लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध और समर्पित होकर मेहनत करेंगे, तो परीक्षा के दिनों में अनावश्यक तनाव से बच सकेंगे। तनाव से मुक्ति पाने का सबसे अच्छा साधन है अनुशासित जीवन। जिसके जीवन में अनुशासन होता है, वह कई समस्याओं से बच जाता है। समय पर उठना, समय पर सोना, अच्छी नींद लेना और प्रात: जल्दी उठकर कठिन विषय की पढ़ाई करना, लिखने का नियमित अभ्यास करना जैसे उपाय तनाव से दूर रखते हंै। शारीरिक व्यायाम भी तनाव कम करने में मददगार है।
तनाव को रोकने के लिए सकारात्मक विचार महत्त्वपूर्ण ढाल का काम करते हैं। परीक्षा के तनाव को कम करने का एक और सबसे महत्त्वपूर्ण साधन है कि इसके बारे में खुल कर चर्चा की जाए। इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम वर्ष 2018 में आरंभ किया गया है। इस प्रकार के कार्यक्रम नियमित रूप से विभिन्न स्तरों पर आयोजित किए जाने चाहिए। अधिकतर छात्रों की समस्याएं लगभग एक जैसी होती हैं। जब उन विषयों पर खुलकर चर्चा होती है, तो छात्रों के कोमल मन को कहीं न कहीं मार्गदर्शन मिलता है और वे अपने आपको तनाव रहित महसूस करते हैं। अत: जब हम सब तनाव के कारणों को समझ जाएंगे और बच्चों को यह समझा पाएंगे के जीवन एक अनवरत चलने वाली परीक्षा है, तो हालात भी बदल जाएंगे। जब यह बात मन में अच्छी तरह बैठ जाएगी कि किसी एक पड़ाव की परीक्षा हमारी सफलता या विफलता निर्धारित नहीं कर सकती, तो हम अपने बच्चों के हौसलों को नई उड़ान दे पाएंगे।
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