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…दिल के टुकड़े हजार

Published: Nov 29, 2016 11:13:00 pm

आशिकों के दिल जब टूटते हैं तो उसके चार नहीं बल्कि हजार टुकड़े होते हैं।
होने तो चार चाहिए क्योंकि इंसान का दिल दो आलिन्द और दो निलय मिलकर बना
होता है

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व्यंग्य राही की कलम से
आशिकों के दिल जब टूटते हैं तो उसके चार नहीं बल्कि हजार टुकड़े होते हैं। होने तो चार चाहिए क्योंकि इंसान का दिल दो आलिन्द और दो निलय मिलकर बना होता है। यानी इश्क में नाकामी के बाद दिल में विस्फोट होता है और मजे की बात कि दिल टूट कर चाहे कितने ही खंडों में विभक्त हो, आवाज नहीं होती।

अर्थात् यह सारी प्रक्रिया बड़ी खामोशी से सम्पन्न हो जाती है अलबत्ता आशिक हो या माशूक रातों को अपना तकिया आंसुओं से बहाता हुआ गाता है- इस दिल के टुकड़े हजार हुए, कोई यहां गिरा, कोई वहां गिरा और सुबह उठ कर नोट बदलवाने के लिए रिजर्व बैंक की लाइन में जाकर खड़ा हो जाता है। क्योंकि आजकल सामान्य बैंकों में तो नोट बदलवाना बंद हो चुका है। सवाल उठता है कि क्या दिल सिर्फ प्रेम, प्यार या इश्क में ही टूटते हैं? यह पुराने इश्किया जमाने में ही होता था जब आदमी के पास ढेर सारा वक्त था और तब वह बड़े मजे से ‘प्रेम’ जैसे गैर उत्पादन वाले काम कर सकता था।

आजकल के इस भागते, दौड़ते युग में नव शादीशुदा जोड़ों के पास भी प्रेम करने का समय नहीं। बेचारे कम्पनी-सरकार की नौकरी करें या प्रेम करें। सुबह हबड़ा-तबड़ी में उठते हैं, कच्चा-पक्का खा-पीकर बस, टे्रन या शेयर की हुई कार पकड़ते हैं, दिन भर ऑफिस में खटते हैं और रात को थके-हारे फ्लैट में आते हैं, तब खाने -सोने के अलावा कुछ सूझता ही नहीं। किसी जमाने में दिल तोडऩे का ठेका प्रेमी या प्रेमिका के पास था अब वह ‘टेण्डर’ नेताओं ने छुड़ा लिया।

जैसे विवाह पूर्व एक प्रेमी अपनी प्रेमिका से ‘आकाश-पाताल’ एक करने के वादे करता है वैसे ही नेता चुनावों से पहले कैसी-कैसी बातें करते हैं और शीघ्र ही प्रेमी की बातें झांसों में और नेता के वादे जुमलों में बदल जाते हैं और आदमी का दिल टूट जाता है। दुनिया में ऐसा इंसान खोजना मुश्किल है जिसका दिल साबुत हो, अब तो इस जहां में टूटे दिल वाले ही बसते हैं। .

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