कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है, यह सब जानते हैं। लेकिन देशवासियों को यह महसूस भी होना चाहिए। पिछले सालों में कश्मीर में वह सब हुआ जो पहले शायद नहीं हो पाया था। सवाल अनुच्छेद 370 हटने का ही नहीं है। आतंकवाद को बढ़ावा देने में सहयोग करने वालों पर छापेमारी हुई। गिरफ्तारियां भी हुईं। अलगाववादी संगठनों पर भी कार्रवाई हुई। देश के खिलाफ काम करने वाले अनेक सरकारी कर्मचारियों को सरकारी सेवा से हटाया भी गया। हवाला के जरिए आतंकियों तक पैसे पहुंचाने वालों पर भी शिकंजा कसा गया। इसके नतीजे भी सामने आए हैं। गृहमंत्री ने तीन दिवसीय दौरे के दौरान अनेक मुद्दों को समझा होगा। कश्मीर को देश की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए और क्या कदम उठाए जाने चाहिए, इस पर भी विचार-विमर्श किया होगा। जाहिर है कि केंद्र सरकार को इस समय ऐसे कदम उठाने की जरूरत है, जिनसे कश्मीरी देश से जुड़ सकें और गैर कश्मीरी वहां से निकलने की भी न सोचें।
देश को कमजोर करने के प्रयासों में जुटे चंद लोग एक बार फिर कश्मीर में भय का माहौल पैदा करना चाहते हैं। कश्मीर मुद्दा संवेदनशील है। देश की जनभावना से जुड़ा है। इसको लेकर राजनीतिक लाभ उठाने के प्रयासों से भी बचने की जरूरत है। क्योंकि इसका फायदा उठाने की कोशिश देशविरोधी ताकतें करती हैं। कश्मीर को लेकर पहले ही बहुत राजनीति हो चुकी है। जरूरी लगे तो अब तक के हालात की जानकारी साझा करने के लिए सर्वदलीय बैठक भी बुलाई जा सकती है, ताकि सभी को विश्वास में लिया जा सके। वोटों की राजनीति अपनी जगह है, पर यह राष्ट्रीय मुद्दों पर हावी नहीं होनी चाहिए। यह समय आरोप-प्रत्यारोप का भी नहीं है। कश्मीर के लिए सभी को एकजुट होना होगा।