कोरोना अभी खत्म नहीं हुआ है। हां, ये पहले के मुकाबले कमजोर जरूर पड़ा है। हमने बीते डेढ़-दो महीनों में जिस मजबूत इच्छाशक्ति के साथ कोरोना की दूसरी लहर का सामना किया है, उसी का नतीजा है कि कोरोना की दूसरी लहर अब कमजोर पड़ी है। लेकिन अभी यह लड़ाई खत्म नहीं हुई है। अभी यह लड़ाई लंबी चलने वाली है और हमें अब दोगुनी ताकत व मजबूत इरादों के साथ इसका सामना करना है। हमें समझना होगा कि लॉकडाउन में जो ढील दी जा रही है, उसका मकसद केवल हमारी बिगड़ी हुई अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाना है। हमें इस ढील का नाजायज फायदा न उठाकर इसका सम्मान करना होगा। कोरोना की दूसरी लहर ने हमें सिखा दिया है कि सब कुछ सरकारों के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। सरकार सिर्फ एक सिस्टम है, जिसका हम भी एक हिस्सा हैं।
हमारी जिम्मेदारियां पहले से बहुत बढ़ गई हैं, उनका निर्वहन करते हुए यह भी सुनिश्चित करना होगा कि जो गलतियां हमने पहले कीं, अब उन्हें नहीं दोहराएंगे। सरकारों को भी कोरोना की दूसरी लहर से सबक लेना चाहिए तथा उन गलतियों को नहीं दोहराना चाहिए जो उसने कोरोना की पहली लहर के धीमा पडऩे पर की थी। केंद्र तथा राज्य सरकारों को मिलकर रणनीति बनानी चाहिए तथा सुनिश्चित करना चाहिए कि कोरोना की तीसरी लहर का सामना देश को न करना पड़े। सरकारों का जोर इस समय सबसे अधिक वैक्सीनेशन पर होना चाहिए। राजनीतिक दलों को भी राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रनीति पर जोर देना चाहिए।
यदि सरकारें, तमाम राजनीतिक दल तथा देश की जनता अपनी पिछली गलतियों से सीखकर आगे बढ़ें तथा कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह से पालन करें तो कोरोना पर पूरी तरह से काबू पाया जा सकता है तथा लॉकडाउन के इस दौर से देश को पूरी तरह मुक्ति भी मिल सकती है।