आजादी की रक्षा के लिए नई पीढ़ी को तंबाकू से बचाएं
अब मोदी सरकार ने तंबाकू-नियंत्रण कानून कॉटपा को संशोधित करने का मसौदा तैयार कर लिया है। इसे जल्दी ही संसद से पारित कर देश भर में सख्ती से लागू किया जाना चाहिए, जिससे शीघ्रता से इस समस्या पर काबू पाया जा सके।
Published: July 12, 2022 08:12:22 pm
संग्राम सिंह
इंटरनेशनल प्रोफेशनल रेसलर और हेल्थ गुरु यह देखकर काफी दुख होता है कि बड़ी संख्या में बच्चों और युवाओं को धूम्रपान के जाल में फंसाया जा रहा है। ताजा अध्ययन बताते हैं कि 10 साल से भी छोटी उम्र में बच्चे तंबाकू उत्पादों की गिरफ्त में फंस रहे हैं। तब उन्हें इस बात की जानकारी भी नहीं कि ये चीजें उन्हें जीवनभर की परेशानी दे सकती हैं। जीवन बहुमूल्य है और हमें इस जीवन को खुल कर जीना चाहिए, इसका भरपूर आनंद उठाना चाहिए। कितना अच्छा होता कि जो बच्चे आज तंबाकू का सेवन कर रहे हैं और जीवन को धुएं में उड़ा रहे हैं, वे अपनी सेहत पर इसके असर को समझते। हमारे पूर्वजों ने देश को आजादी बहुत मुश्किल से दिलाई है। अपनी जान की बाजी लगाई है, लेकिन आज हमारी युवा पीढ़ी तंबाकू उत्पादों की गुलामी में फंस रही है। आजाद भारत के लिए जो सपना देखा था, यह उसे ध्वस्त कर सकता है।
ताजा आंकड़े बताते हैं कि धूम्रपान करने वालों में से बड़ी संख्या में लोग पहली बार 10 साल से कम उम्र में ही इसका सेवन कर लेते हैं। ऐसा देश जिसकी आधी से ज्यादा आबादी 25 साल से कम उम्र की है, उसके लिए यह अच्छा संकेत नहीं है। सोचने की बात है कि इतनी कम उम्र में बच्चे क्यों आखिर इस जहर की ओर आकर्षित हो रहे हैं। दरअसल, सीधे और अप्रत्यक्ष विज्ञापनों के जरिए उन्हें लुभाया जा रहा है। भारत ने तंबाकू से लडऩे के लिए सख्त कानून तो बनाया है, लेकिन कुछ कमियां इसमें छूट गई हैं। कंपनियां उन्हीं छोटी-छोटी कमियों का फायदा उठा कर हमारी नई पीढ़ी को अपना उम्र भर का ग्राहक बना रही हैं। भारत में 2003 से ही तंबाकू नियंत्रण का कानून कॉटपा (सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद अधिनियम) लागू है, जो तंबाकू उत्पादों के प्रचार और विज्ञापन पर रोक लगाता है। अभी कंपनियां इस कानून की कमियों का फायदा उठा कर दुकानों पर तंबाकू उत्पादों का धड़ल्ले से प्रचार करती हैं। साथ ही बच्चों और युवाओं को आकर्षित करने के लिए दुकानों पर टॉफी-चॉकलेट आदि के बीच तंबाकू उत्पादों को सजा कर रखा जाता है। आप कभी गौर कीजिएगा, इन जगहों पर तंबाकू उत्पादों के विज्ञापन इस तरह इतनी ऊंचाई पर लगाए जाते हैं कि बड़ों को भले नहीं दिखें, लेकिन बच्चों की नजर में आसानी से आ सकें। अभी कानून में एक कमी यह भी है कि एयरपोर्ट, होटल और ऐसे कई सार्वजनिक स्थानों पर धूम्रपान करने के लिए जगह दी जाती है, जबकि हमें सार्वजनिक स्थलों को पूरी तरह तंबाकू-मुक्त बनाना है। तंबाकू उत्पादों का सेवन घटाने के लिहाज से यह बहुत प्रभावी कदम होगा। सार्वजनिक जगहों पर धूम्रपान के लिए जो स्मोकिंग जोन बनाए जाते हैं, वे दरअसल तंबाकू सेवन को बढ़ावा देने का जरिया हैं। मैंने देखा है कि कोई भी जगह हो, वहां से धुआं बाहर निकलता है और वहां बैठे बच्चों और महिलाओं को अपना निशाना बनाता है। वे अनजाने ही अप्रत्यक्ष धूम्रपान से होने वाली बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों से वैपिंग और ई-सिगरेट का खतरा युवा पीढ़ी के लिए काफी तेजी से बढ़ा था। इसे भांपते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सही समय पर ई-सिगरेट को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया। यह एक स्वागतयोग्य कदम है।
अब मोदी सरकार ने तंबाकू-नियंत्रण कानून कॉटपा को संशोधित करने का मसौदा तैयार कर लिया है। इसे जल्दी ही संसद से पारित कर देश भर में सख्ती से लागू किया जाना चाहिए, जिससे शीघ्रता से इस समस्या पर काबू पाया जा सके। आज हम आजादी का अमृत महोत्सव मनाने की तैयारी में हैं। भारत की आजादी को संभाल कर रखने के लिए जरूरी है कि हम अपनी नई पीढ़ी को इस गुलामी से बचाएं।

आजादी की रक्षा के लिए नई पीढ़ी को तंबाकू से बचाएं
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