scriptअन्वेषी रचनाकार का जाना | Tribute to VS Naipaul | Patrika News

अन्वेषी रचनाकार का जाना

Published: Aug 13, 2018 01:33:19 pm

नायपॉल विचारों में भले विवादग्रस्त रहे, अपने आप को वे कथा-साहित्य से ही जुड़ा देखते थे। उन्होंने लिखा है, ‘उपन्यास कभी झूठ नहीं बोलता।’

opinion,work and life,rajasthan patrika article,

vs naipaul

– रवीन्द्र त्रिपाठी, लेखक-आलोचक

नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार वीएस यानी विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल का जन्म तो वैसे कैरेबियाई देश त्रिनिदाद और टोबेगो में हुआ, इंग्लैंड में वे पढ़े और रहे, फिर भी भारत के साथ उनका नाभिनाल का संबंध था। पूर्वजों की धरती को वे बार-बार अन्वेषित करते रहे। नायपॉल वैश्विक चेतना के अंग्रेजी लेखक थे। इससे उन्हें सुदूर बसे भारतीय मूल के निवासियों ही नहीं, भारतीय उपमहाद्वीप को भी तटस्थता से समझने में मदद मिली।
उन्हें ख्याति ‘द मिस्टिक मैस्यो’ (जिस पर इसी नाम से फिल्म बनी), ‘द सफरेज ऑफ एलवीरा’, ‘द हाउस ऑफ मिस्टर विश्वास’ या ‘ए बेंड इन द रिवर’ जैसी कृतियों से मिली। इनमें उनकी सूक्ष्म नजर, तिरछे हास्य और कथारस का परिचय मिलता था। नायपॉल ने कभी सब कुछ पहले से तय कर नहीं लिखा। वे आख्यायिका के पक्षधर थे। यानी कहानी कहते रहो, बात अपने आप आगे बढ़ेगी। उन्होंने तीस से ज्यादा कृतियां विश्व साहित्य को दी हैं। उन्होंने अपनी आजीविका लिखकर ही कमाई।
भारत पर केंद्रित उनके तीन चर्चित यात्रा वृत्तांत थे: ‘एन एरिया ऑफ डार्कनेस’ (अंधेरे का घेरा), ‘इंडिया: ए वूंडेड सिविलाइजेशन’ (एक आहत सभ्यता) और ‘इंडिया: ए मिलियन म्यूटनीज नाउ’ (लाखों क्रांतियां)। पहली दो किताबें काफी आलोचनात्मक थीं, जबकि तीसरी का मिजाज अलग है। वह मौजूदा भारत की आंतरिक सामाजिक-सांस्कृतिक बेचैनियों को समझने की कोशिश करती है।
इस्लामी और अफ्रीकी देशों को लेकर उनके यात्रा-वृत्तांत भी विश्व यात्रा-साहित्य की धरोहर हैं। ‘अमंग द बिलीवर्स’ के सत्रह वर्ष बाद एक बार फिर इस्लामी देशों को करीब से देख उन्होंने ‘बियोंड बिलीफ’ लिखी। उन पर इस्लाम विरोधी होने का आरोप लगा। दक्षिणपंथी उन्हें अपना समझने लगे। जबकि नायपॉल दकियानूसी कहीं से न थे। उनकी दूसरी पत्नी नादिरा खानम अल्वी मुस्लिम थीं, जो पाकिस्तान के एक अखबार से जुड़ी हुई थीं।
नायपॉल विचारों में भले विवादग्रस्त रहे, अपने आप को वे कथा-साहित्य से ही जुड़ा देखते थे। उन्होंने लिखा है, ‘उपन्यास कभी झूठ नहीं बोलता।’ यात्रा साहित्य में भी उन्होंने जो लिखा, हवाले और संदर्भ देते हुए लिखा।
कई बड़े लेखकों की तरह नायपॉल भी अंतर्विरोधों को जीते रहे। दूसरों को खुश करने या खुद को राजनीतिक रूप से सही साबित करने के लिए उन्होंने कभी नहीं लिखा। साहित्य जगत उनको बड़े गद्यकार के रूप में भी याद रखेगा।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो