script

कानून के उल्लंघन पर कार्रवाई तो होनी चाहिए

Published: Dec 09, 2017 03:48:37 pm

हम लोग यानी भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन पहले से ही कहता रहा है कि मुस्लिम विवाह के मामले में सख्त कानून बनना चाहिए।

muslim issue

muslim women

– नूरजहां सफिया नियाज

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी फोन पर ही या फैक्स के जरिए तीन बार तलाक बोलकर तलाक की कोशिश हो रही हैं। इंसान जब बदलने को तैयार नहीं हो तो ऐसे में ऐसा सख्त कानून बने जो प्रचलित प्रक्रिया पर लगाम लगा सके।
हम लोग यानी भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन पहले से ही कहता रहा है कि मुस्लिम विवाह के मामले में सख्त कानून बनना चाहिए। इसमें एक साथ तीन बार तलाक बोलकर तलाक प्रक्रिया को अपनाने वाले को सजा का प्रावधान होना चाहिए। जानकारी मिली है कि सरकार की ओर से इस दिशा में कानून बनाया जा रहा है। इसके मसौदे पर खासी चर्चा हो भी रही है लेकिन हमें फिलहाल मसौदे का प्रारूप नहीं मिल सका है। हम चाहते हैं कि उस मसौदे को तत्काल सार्वजनिक किया जाए जिसे हम देखें और उस पर सरकार के साथ चर्चा कर सकें। सरकार को इस मामले में अपनी ओर से सुझाव भी दें ताकि इस दिशा में बेहतर कानून बनाया जा सके।
हमने सरकार को अपनी ओर से तीन तलाक की मुस्लिम रूढि़ को समाप्त करने के लिए, हलाला प्रथा रोकने के लिए, मुस्लिमों में शादी के लिए लडक़े के लिए 21 वर्ष और लडक़ी के लिए 18 वर्ष की अधिकतम उम्र तय करने आदि के सुझाव दिए हैं। हम चाहते भी कि इन मामलों में कानून बने। यद्यपि हमने अपने सुझाव में एक साथ तीन बार तलाक की व्यवस्था नहीं मानने पर क्या जुर्माना हो,यह सुझाव नहीं दिया है लेकिन हमारा मानना है कि इस मामले में सजा का प्रावधान जरूर होना चाहिए। कहने को तो यूं भी कहा जा सकता है कि सर्वोच्च न्यायालय ने जब तीन तलाक की व्यवस्था को अनुचित ठहरा दिया है तो कानून की आवश्यकता ही क्या है। लेकिन, हमारा तर्क यह है कि न्यायालय के फैसले और कानून में फर्क होता है।
आज भी हमारे पास अनेक मामले ऐसे आ रहे हैं जिनमें फोन पर ही या फैक्स के जरिए तीन बार तलाक बोलकर तलाक हासिल करने की कोशिश की गई है। ऐसा सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी हो रहा है। इंसान जब बदलने को तैयार नहीं हो तो ऐसे में इस बात की जरूरत महसूस की जा रही है कि ऐसा सख्त कानून बने जो परिवार के विखंडन को रोक सके और प्रचलित प्रक्रिया पर लगाम लगा सके। स्पष्ट कर दूं कि हम तलाक के विरुद्ध नहीं है। परिवार में यदि ऐसी स्थिति बन गई है कि साथ नहीं रहा जा सकता है तो जरूर तलाक होना चाहिए लेकिन एकतरफा तलाक किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए।
तलाक के लिए उचित और बराबरी की प्रक्रिया अपनाई जानी चाहिए, चाहे यह तलाक मुस्लिम पुरुष मांगे या फिर मुस्लिम औरत। हम इस बात को मानते हैं कि यदि कड़ा कानून आता है तो कम से कम मुस्लिम पुरुष जो अदालत के फैसले के बाद भी फोन, एसएमएस या अन्य किसी भी सरल तरीके को अपनाकर तलाक लेने की बात करते हैं, वे कम से कम सजा के डर से शायद रुक जाएं। उम्मीद है कि गलत फैसले लेने से पहले संभावित नए कानून के कारण एक बार जरूर सोचेंगे।

ट्रेंडिंग वीडियो