किसानों को उद्यमिता के लिए प्रेरित करेंगे बदलाव
- भारतीय कृषि के लिए ऐतिहासिक दिन, कृषि मांग के साथ प्रत्यक्ष जुड़ाव के जरिये बाजार की मांग व रुझान की समझ में वृद्धि से किसान फसलों में और विविधता लाएंगे

- राजनाथ सिंह, केंद्रीय रक्षा मंत्री और पूर्व कृषि मंत्री
सं सद के दोनों सदनों में दो ऐतिहासिक कृषि विधेयकों के पारित होने के साथ ही हमने किसानों को उद्यमियों के रूप में परिवर्तित करने के विजन को पूरा करने की तरफ एक राष्ट्र के रूप में अगला कदम उठाया है। इससे उनकी आमदनी बढ़ेगी और जीवन बेहतर होगा। यह कदम वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति मजबूत करेगा और 'आत्मनिर्भर कृषिÓ को सुनिश्चित करेगा। बीते कुछ वर्षों में केंद्र सरकार ने किसानों और कृषि क्षेत्र के लिए कई साहसिक पहल की हैं जिसमें 10,000 किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के गठन के लिए 6,685 करोड़ रुपए की योजना शामिल है। इससे किसानों को बाजारों, वित्त और उत्पादन प्रौद्योगिकियों तक अच्छी पहुंच बनाने के लिए आत्मनिर्भर समूहों में संगठित किया जाएगा। इसमें अपनी तरह का एक लाख करोड़ रुपए का कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड भी शामिल है जो सामुदायिक कृषि संपदा बनाएगा और फसल की कटाई के बाद के प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे का निर्माण करेगा। इसके अलावा 2022 तक कृषि निर्यात दोगुना करके 60 बिलियन डॉलर करने के लिए राष्ट्रीय कृषि निर्यात नीति बनाई गई है।
नवीनतम सुधारों के साथ अब कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) अध्यादेश 2020, और कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अध्यादेश 2020 के जरिए हमने कृषि इकोसिस्टम का एक आधुनिक और विश्व स्तरीय आधार तैयार किया है जो न केवल किसानों, बल्कि उपभोक्ताओं, थोक विक्रेताओं, प्रसंस्करणकर्ताओं तथा स्टार्ट-अप को भी लाभान्वित करेगा। किसानों को किसी भी कदाचार से बचाने के लिए इन अधिनियमों में कड़े सुरक्षा उपाय किए गए हैं। मौजूदा प्रणालियों को खत्म करने की बजाय, इन सुधारों से इन प्रणालियों में प्रतिस्पर्धा, दक्षता और निपुणता आएगी। साथ ही किसानों को चुनने की स्वतंत्रता मिलेगी। किसान बुनियादी ढांचे में निवेश कर सकेंगे और कृषि व्यवसायों के साथ करार करके बाजार में गहरे संबंध बना सकेंगे। इनका नतीजा यह होगा कि गुणवत्ता सुनिश्चित होगी और किसान अधिक आय पा सकेंगे।
एक सफल कृषक उत्पादन संगठन के उदाहरण के रूप में महाराष्ट्र की सह्याद्री फार्मर्स प्रोड्यूसर लिमिटेड की शुरुआत छोटे संगठन के रूप में हुई थी, जो कि अब अंगूर और कई अन्य फसलों के सबसे बड़े निर्यातकों में से एक है। इस संगठन के तहत 8,000 से अधिक सीमांत किसान पंजीकृत हैं जो आज हर सीजन में 16,000 टन से अधिक अंगूर का निर्यात करते हैं। यह किसानों को तेजी से बिकने वाली उपभोक्ता वस्तुओं की प्रमुख कंपनियों के साथ करार करने और उच्च आय वाले बुनियादी ढांचे तक पहुंच बनाने में मदद करता है। लेकिन ऐसे उदाहरण कम होने का कारण वर्तमान बंधात्मक ढांचा और स्थितियां, जिन्होंने कृषि में निवेश को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं दिया। लेकिन नई पहल और सुधारों से हमारे पास सफलता की हजारों कहानियां होंगी।
बेहतर बाजार लिंकेज के साथ हम यह भी देखेंगे कि हमारे किसान उत्पादन में क्या परिवर्तन करते हैं। लंबे समय से भारत चावल, गेहूं सहित कई फसलों में आत्मनिर्भर हो गया है और हम साल-दर-साल सरप्लस में रहते हैं। कृषि मांग के साथ प्रत्यक्ष जुड़ाव के जरिये बाजार की मांग और रुझानों की समझ में वृद्धि से किसान फसल में और मिश्रण और विविधता लाएंगे।
बाजार से जुड़े सुधार पारंपरिक कृषि व्यवसाय में निवेश से परे इस क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा देंगे और नए व्यापार मॉडल विकसित करने की राह प्रशस्त करेंगे। विभिन्न व्यवसाय जैसे कि खेत प्रबंधन सेवाएं, गुणवत्ता ग्रेडिंग और परख केंद्र, ग्रेड-ए वेयरहाउसिंग कंपनियां, डिजिटल मार्केटप्लेस आदि वर्तमान में नए-नए हैं, लेकिन वे बढ़ रहे हैं। कृषि क्षेत्र की मुक्ति के साथ, नवोन्मेषी व्यवसाय मॉडल निवेशकों का अधिक धन आकर्षित करेगा, जिससे लाखों किसान लाभ हासिल कर सकेंगे।
भारत कृषि विकास के एक नए पायदान पर है। एक ऐसे पायदान पर, जिसे किसान, व्यवसायी, सरकार और उपभोक्ता मिलकर बनाएंगे। सरकार की कई अलग-अलग पहल के जरिये हम इस राह पर आए हैं और दो अधिनियमों के पारित होने के बाद अब हम किसानों की आय को दोगुना करने, भारत को दुनिया की खाद्य टोकरी के रूप में विकसित करने और कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में सार्थक आजीविका प्रदान करने के लिए अच्छी तरह से तैयार हैं।
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