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आपकी बात, धर्म की आड़ मे हिंसा को बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है?

Published: Jun 30, 2022 03:51:41 pm

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Patrika Desk

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

आपकी बात, धर्म की आड़ मे हिंसा को बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है?

आपकी बात, धर्म की आड़ मे हिंसा को बढ़ावा क्यों दिया जा रहा है?


असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश
एक के बाद एक धार्मिक मुद्दे उछाल कर लोगों को हिंसा की तरफ मोड़ा जा रहा है। लोगों को उकसाने का यह काफी चिंताजनक तरीका है। धर्म के नाम पर लोग कुछ भी करने को तैयार हो जाते हैं। इस से लोग आपस में ही उलझे रहते हैं।
रजनी गंधा, रायपुर
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सोशल मीडिया जिम्मेदार
सोशल मीडिया वैसे तो उपयोगी है ही, लेकिन अफवाह फैलाने का भी कारण बनता जा रहा हैं। इससे धार्मिक लोग एक-दूसरे को मारने पर उतारू हो जाते हैं।
– प्रियव्रत चारण, जोधपुर
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देश और समाज को नुकसान
राजनीतिक लाभ के लिए धर्म की आड़ में हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है। इससे देश और समाज पर काफी बुरा असर पड़ रहा है। विकास चक्र में भी अवरोध आता है। समाज में वैमनस्यता बढ़ रही है।
-रामा शंकर सिंह, जमशेदपुर, झारखंड
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धर्म के नाम पर उकसाने की प्रवृत्ति
धर्म की आड में हिंसा को बढ़ावा देना आसान हो गया है। लोग अपने मतलब के लिए लोगों को लड़वा रहे हैं। हर इंसान के दिल में अपना धर्म बसा होता है और उसी को फायदा उठा कर उल्टी – सीधी बातों से लोगों को अन्य धर्म के खिलाफ भड़काया जाता है। इससे हालात बिगड़ते हैं।
धर्मेंद्र पूनमसिंह सिंगाड़ , झाबुआ, एमपी
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मजहब नहीं सिखाता
कहाज जाता है िक मजहब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना। फिर भी धर्म के नाम पर हिंसा हो रही है। इसका कारण है युवाओं को शिक्षा से दूर रखकर, बाहरी दुनिया से अप्रभावित रख इस प्रकार प्रशिक्षित किया जाता है कि वे धर्म के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
-शिवानी विश्वकर्मा, नरसिंहपुर, एमपी
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राजनीति भी जिम्मेदार
राजनेताओं की ये रणनीति है कि पहले घाव करो और फिर उस घाव पर मरहम लगाकर जनता का विश्वास जीतने का जतन करो। सब यह अच्छी तरह से जानते हैं कि जाति-धर्म के नाम पर लोगों के बीच वैमनस्य पैदा करना, नफरत फैलाना और हिंसा करना बहुत आसान है। इसीलिए पहले तो सांप्रदायिक दंगे करवाते हैं, फिर उनके बीच जाकर संवेदना जताते हैं और दंगे से हुए नुकसान की भरपाई के लिए मुआवजोंं का पिटारा खोल लोगों खुद की अलग छवि बनाने का प्रयास करते हैं ।
विभा गुप्ता, मैंगलोर
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मानव धर्म ही सर्वोपरि
भारत जैसे शांतिप्रिय देश में धर्म और जाति को लेकर इस तरह की घटनाएंं होना बिल्कुल गलत है। हम सबका कोई धर्म होना चाहिए तो वह है मानव धर्म।
पिंकी कांसोटीया
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हिंसक घटनाएं बढऩा चिंताजक
धर्म की आड़ में देश में लगातार हिंसक घटनाओं में वृद्धि हो रही है। यह निंदनीय है। सरकारों को चाहिए कि वे किसी भी कीमत पर देश में धर्म के नाम पर अशांति फैलाने व हिंसा करने वालों को नहीं बख्शें। देश के सभी न्यूज चैनलों पर डिबेट के लिए धार्मिक मुद्दों पर केंद्र सरकार को विशेष रूप से ध्यान देना चाहिए।
-आलोक वालिम्बे, बिलासपुर, छत्तीसगढ़
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