सिर्फ खानापूर्ति
गेंहू के निर्यात पर रोक काफी देरी से लगाई गई है। यह सिर्फ एक खानापूर्ति समझ में आ रही है। अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं में 500 से 1000 रुपए प्रति क्विंटल व अन्य में 200 से 900 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी दिखाई दी है। जनता की झोली में एक और महंगाई डाल दी गई है। गेहूं व अन्य खाद्य पदार्थों के निर्यात में निर्णय बहुत महत्वपूर्ण होते है सरकार को पहले देश की जनता के बारे में सोचना चाहिए।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
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गेंहू के निर्यात पर रोक काफी देरी से लगाई गई है। यह सिर्फ एक खानापूर्ति समझ में आ रही है। अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं में 500 से 1000 रुपए प्रति क्विंटल व अन्य में 200 से 900 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी दिखाई दी है। जनता की झोली में एक और महंगाई डाल दी गई है। गेहूं व अन्य खाद्य पदार्थों के निर्यात में निर्णय बहुत महत्वपूर्ण होते है सरकार को पहले देश की जनता के बारे में सोचना चाहिए।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, मध्यप्रदेश
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देर से ही सही, उचित कदम
आज हमारे यहां महंगाई चरम पर है, आटा भी ऊंचाइयां छू रहा है। गेहूं निर्यात जारी रहने से हालात और खराब हो सकते थे। सरकार ने निर्यात पर रोक लगाकर अच्छा कदम उठाया है। इससे हमें थोड़ी राहत मिल सकती है, हालांकि यह फैसला अगर जल्दी लिया जाता तो बेहतर होता।
-साजिद अली, इंदौर
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आज हमारे यहां महंगाई चरम पर है, आटा भी ऊंचाइयां छू रहा है। गेहूं निर्यात जारी रहने से हालात और खराब हो सकते थे। सरकार ने निर्यात पर रोक लगाकर अच्छा कदम उठाया है। इससे हमें थोड़ी राहत मिल सकती है, हालांकि यह फैसला अगर जल्दी लिया जाता तो बेहतर होता।
-साजिद अली, इंदौर
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सही फैसला
यूक्रेन संकट की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की मांग बढ़ गई है। साथ ही मौसम की वजह से भारत में गेहूं का उत्पादन कुछ कम अनुमानित है। अत: गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध का फैसला सही है।
- माधव सिंह, श्रीमाधोपुर, सीकर
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यूक्रेन संकट की वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की मांग बढ़ गई है। साथ ही मौसम की वजह से भारत में गेहूं का उत्पादन कुछ कम अनुमानित है। अत: गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध का फैसला सही है।
- माधव सिंह, श्रीमाधोपुर, सीकर
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फैसला पहले लिया जा सकता था
गेहूं उत्पादन कम होने और डिमांड ज्यादा होने के कारण भारत सरकार को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा, जो कि सही निर्णय है। यह निर्णय थोड़ा पहले ले लिया जाता, तो और बेहतर होता। इस बार गेहूं की बिजाई भी कम थी और तापमान बढऩे के कारण फसल पकने से पहले ही सूख गयी।
-मोनिका चोपड़ा, हनुमानगढ़
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गेहूं उत्पादन कम होने और डिमांड ज्यादा होने के कारण भारत सरकार को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना पड़ा, जो कि सही निर्णय है। यह निर्णय थोड़ा पहले ले लिया जाता, तो और बेहतर होता। इस बार गेहूं की बिजाई भी कम थी और तापमान बढऩे के कारण फसल पकने से पहले ही सूख गयी।
-मोनिका चोपड़ा, हनुमानगढ़
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अपने देश में हो रही कमी
गेहूं के निर्यात से देश दूसरे देशों में गेहूं पहुंच रहा था। वहीं खुद के लोग रोटी को तरस रहे थे। निर्यात पर रोक पहले ही लगानी चाहिए थी, जिससे गेहूं महंगा नहीं होता।
-रजनी गंधा, रायपुर, छत्तीसगढ़
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कीमतों पर नियंत्रण
गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना उचित निर्णय है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक बाजारों में गेहूं के दाम बेतहाशा बढ़े हैं, वहीं भारतीय बाजार में गेहूं और आटा महंगा हुआ है। गरीबों की थाली से रोटी गायब होने लगा थी। ऐसे में खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने, खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित रखने और जरूरतमंद विकासशील एवं पड़ोसी देशों का ख्याल रखते हुए सरकार का गेहूं के निर्यात पर रोक लगाना जरूरी था।
-विभा गुप्ता, बेंगलूरु
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गेहूं के निर्यात से देश दूसरे देशों में गेहूं पहुंच रहा था। वहीं खुद के लोग रोटी को तरस रहे थे। निर्यात पर रोक पहले ही लगानी चाहिए थी, जिससे गेहूं महंगा नहीं होता।
-रजनी गंधा, रायपुर, छत्तीसगढ़
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कीमतों पर नियंत्रण
गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाना उचित निर्णय है। रूस-यूक्रेन युद्ध के चलते वैश्विक बाजारों में गेहूं के दाम बेतहाशा बढ़े हैं, वहीं भारतीय बाजार में गेहूं और आटा महंगा हुआ है। गरीबों की थाली से रोटी गायब होने लगा थी। ऐसे में खाद्यान्नों की बढ़ती कीमतों को नियंत्रित करने, खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित रखने और जरूरतमंद विकासशील एवं पड़ोसी देशों का ख्याल रखते हुए सरकार का गेहूं के निर्यात पर रोक लगाना जरूरी था।
-विभा गुप्ता, बेंगलूरु
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गरीबी में आटा गीला
गेहूं के बढ़ते हुए दाम पिछले कई हफ्तों से सुर्खियों में हैं । इसका मुख्य कारण निजी कंपनियों द्वारा गेहूं की खरीद कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे दामों पर बेचना है। ऐसे में सरकार का गेहूं पर निर्यात रोक लगाने का फैसला थोड़ा विलंब से आया है। खाद्य सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन दिनों दिन बढ़ते गेहूं के दाम आम इंसान के रसोई के बजट को पूरी तरह से बिगाड़ रहे हैं । अगर दाल-रोटी भी नहीं मिलेगी, तो इंसान क्या खाएगा? सरकार तथा स्थानीय प्रशासन को गेहूं की जमाखोरी और कालाबाजारी करने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
-एकता शर्मा
गेहूं के बढ़ते हुए दाम पिछले कई हफ्तों से सुर्खियों में हैं । इसका मुख्य कारण निजी कंपनियों द्वारा गेहूं की खरीद कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में ऊंचे दामों पर बेचना है। ऐसे में सरकार का गेहूं पर निर्यात रोक लगाने का फैसला थोड़ा विलंब से आया है। खाद्य सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, लेकिन दिनों दिन बढ़ते गेहूं के दाम आम इंसान के रसोई के बजट को पूरी तरह से बिगाड़ रहे हैं । अगर दाल-रोटी भी नहीं मिलेगी, तो इंसान क्या खाएगा? सरकार तथा स्थानीय प्रशासन को गेहूं की जमाखोरी और कालाबाजारी करने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।
-एकता शर्मा