scriptनर्मदा किनारे जलसंकट | water crisis at the bank of narmada river | Patrika News

नर्मदा किनारे जलसंकट

locationइंदौरPublished: Mar 09, 2020 01:55:33 am

Submitted by:

Hari Om Panjwani

मप्र के तमाम क्षेत्रों, कस्बों, शहरों में जलसंकट बड़ी समस्या है, क्योंकि, जलस्रोत धीरे-धीरे सिमटते जा रहे हैं। बारिश का आंकड़ा भी कम हो रहा है। बुंदेलखंड इलाके में बारिश कम होने से जलसंकट वर्षों पुरानी समस्या है। लेकिन, प्रदेश का महाकोशल क्षेत्र पानीदार माना जाता है। खासकर जबलपुर शहर की लाखों की आबादी को नर्मदा मैया का किनारा उपहार में मिला है। ऐसे में यहां के हजारों रहवासियों को भी हर साल गर्मी में पेयजल के लिए जूझना पड़े, तो जिम्मेदारों पर सवाल जरूर खड़े होते हैं।

narmada river in jabalpur

जबलपुर में नर्मदा नदी

प्रसंगवश. मप्र के तमाम क्षेत्रों, कस्बों, शहरों में जलसंकट बड़ी समस्या है, क्योंकि, जलस्रोत धीरे-धीरे सिमटते जा रहे हैं। बारिश का आंकड़ा भी कम हो रहा है। बुंदेलखंड इलाके में बारिश कम होने से जलसंकट वर्षों पुरानी समस्या है। लेकिन, प्रदेश का महाकोशल क्षेत्र पानीदार माना जाता है। खासकर जबलपुर शहर की लाखों की आबादी को नर्मदा मैया का किनारा उपहार में मिला है। ऐसे में यहां के हजारों रहवासियों को भी हर साल गर्मी में पेयजल के लिए जूझना पड़े, तो जिम्मेदारों पर सवाल जरूर खड़े होते हैं।
कहने को जबलपुर शहर में निगम के तीन प्लांट से जलापूर्ति की व्यवस्था है। देखा जाए, तो इन प्लांट से पूरे शहर को 24 घंटे पानी की आपूर्ति की जा सकती है। लेकिन, असल में यहां कई क्षेत्रों में बारिश के दिनों में भी पेयजल का संकट बना रहता है। घरों तक पहुंचने से ज्यादा पानी बर्बाद हो जाता है। सार्वजनिक नलों से पानी के फव्वारे फूटते रहते हैं। पाइपलाइन जगह-जगह फूटी रहती हैं। टंकियों में पानी भरने से पहले ही नालियों में चला जाता है। इस बार भी गर्मी की दस्तक होने के साथ यहां जलसंकट की आहट होने लगी है। कई इलाकों में रोजाना की जलापूर्ति व्यवस्था प्रभावित हो रही है। कुछ क्षेत्रों में टैंकर नहीं पहुंच रहे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों के भयावह जलसंकट की तस्वीर अभी से दिखने लगी है।
एक बार फिर से नगर निगम के जल प्रबंधन पर सवाल उठने लगे हैं। सवाल उठने भी चाहिए। क्योंकि, यहां पर्याप्त जलस्रोत हैं। जरूरी संसाधन हैं। यदि पीने का पानी सभी घरों तक नहीं पहुंच रहा है, तो यह प्रकृति का प्रकोप नहीं है। यह निगम के जिम्मेदारों की नाकामी है। अभी गर्मी की शुरुआत हुई है। जलस्तर अभी ज्यादा नीचे नहीं गया है। जिम्मेदारों को चाहिए कि वाटर हार्वेस्टिंग के लिए लोगों को जागरूक करें। जहां ज्यादा जलसंकट होता है, वहां की टंकियों तक पानी पहुंचाने की पुख्ता व्यवस्था करें। पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा किया जाए। सबसे जरूरी है कि पानी बर्बाद नहीं होने दिया जाए।
जबलपुर में पानी की किल्लत है, लेकिन नर्मदा के किनारे का एक शहर होशंगाबाद तो नर्मदा होने के बावजूद इससे महरूम रहता है। वहां के बाशिंदों को नर्मदा का पानी पीने को नहीं मिलता है। शासन प्रशासन का होशंगाबाद को नर्मदा का पानी पिलाने का विचार है, लेकिन इसे आगे बढ़ाने का काम पूरी शिद्दत से नहीं हो रहा हैै। सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए और विचार को मूर्त रूप देने का रास्ता खोजना चाहिए, ताकि लाखों और लोगों को नर्मदा का पानी सुलभ हो सके।
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