सामुदायिक प्रयासों से बनेंगे ‘क्लाइमेट-प्रूफ’
जयपुरPublished: Nov 07, 2022 10:15:20 pm
जलवायु परिवर्तन से निपटने का सामथ्र्य जुटाने की सामुदायिक गतिविधियां दूसरों के लिए बन सकती हैं सीख


मिलन जैकब, कम्युनिकेशन स्पेशलिस्ट और श्रेया वधावन, रिसर्च एनालिस्ट गैर-लाभकारी नीति शोध संस्था काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) से जुड़े हैं
................................................................................................................................................ विश्व के अग्रणी देश मिस्र में आयोजित वार्षिक संयुक्त राष्ट्र (यूएन) जलवायु शिखर सम्मेलन (कॉप27) में जुट रहे हैं, जहां जलवायु प्रेरित ‘हानि व क्षति’ चर्चा के केंद्र में रहने की संभावना काफी ज्यादा है। अक्सर ‘हानि व क्षति’ से सर्वाधिक प्रभावित छोर पर कमजोर अनुकूलन क्षमता वाले विकासशील देश ही खड़े मिलते हैं। 2022 में असम, बिहार, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे भारतीय राज्यों के ग्रामीण इलाकों में बाढ़ के कारण 180 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए, उनके घरों, फसलों और जमीनों को भारी नुकसान पहुंचा। हाल के महीनों में लगातार बारिश के बाद नई दिल्ली और बेंगलूरु जैसे शहर भी जलमग्न हो गए थे। काउंसिल ऑन एनर्जी, इनवायरनमेंट एंड वॉटर (सीईईडब्ल्यू) के अध्ययन के अनुसार, भारत में 10 में से 8 लोग चक्रवात, बाढ़ और सूखे जैसी चरम जलवायु घटनाओं के जोखिम वाले जिलों में रहते हैं। इससे भी ज्यादा चिंताजनक है कि इनमें से लगभग 25 प्रतिशत लोगों के पास इन बढ़ते प्रभावों से अनुकूलन यानी परिस्थितियों के अनुरूप बदलाव करने की क्षमता नहीं है।