scriptलॉकडाउन से निजात व सम्बल दोनों जरुरी | We need to free from lock down and required support | Patrika News

लॉकडाउन से निजात व सम्बल दोनों जरुरी

locationनई दिल्लीPublished: May 01, 2020 12:23:37 pm

Submitted by:

Prashant Jha

भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए दो तरह के कदम तत्काल उठाने जरूरी हैं। पहला, राजकोषीय विस्तार की स्पष्ट योजना और दूसरा लॉकडाउन को समाप्त करने के साथ-साथ सार्थक तरीके से आर्थिक गतिविधियों पर से प्रतिबंध हटाना।

nagaur

शराब की दुकानों का ई-ऑक्शन

-डॉ. जयंतीलाल भंडारी, अर्थशास्त्री

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने पिछले दिनों कहा कि कोविड-19 महामारी की वजह से भारत का राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3.5 प्रतिशत से ऊपर जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि टिकाऊ स्तर पर राजकोषीय घाटा को ध्यान में रखकर मुश्किलों के दौर से गुजर रही भारतीय अर्थव्यवस्था तथा उद्योग-कारोबार व रोजगार को बचाने के लिए तर्कसंकत और संतुलित कदम उठाए जाने की जरूरत है।

यह भी उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा लॉकडाउन और कोरोना प्रकोप की चुनौतियों से निपटने के परिप्रेक्ष्य में राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ पूर्व में की गई वीडियो कांफ्रेंस में कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने राजकोषीय घाटे के आकार में उपयुक्त वृद्धि करने की माँग की थी। कहा गया था कि नए वित्तीय वर्ष 2020-21 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी के 3.5 प्रतिशत निर्धारित है, इसे बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया जाना उपयुक्त होगा। यह भी कहा गया था कि वर्ष 2009-10 में वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भी इसे बढ़ाकर 4 प्रतिशत किया गया था।
वास्तव में लॉकडाउन के बाद देश में आर्थिक, औद्योगिक एवं कारोबार क्षेत्र में जो गिरावट आई है, जो मुश्किलें बढ़ी है, उन्हें रोकने के लिए सरकार से राजकोषीय सहारा जरूरी है। ज्ञातव्य है कि लॉकडाउन के बाद प्रमुख आर्थिक संकेतकों निर्यात, तेल खपत, बिजली उत्पादन, रेल, ट्रक परिवहन, वाहन बिक्री, सीमेंट और स्टील खपत आदि में भारी गिरावट आई है। गौरतलब है कि 27 अप्रैल को सोशल मीडिया और कम्युनिटी प्लेटफॉर्म लोकल सर्किल के द्वारा लॉकडाउन के बाद की स्थिति पर प्रकाशित सर्वे के मुताबिक देश के 47 प्रतिशत स्टार्टअप्स, छोटे और मध्यम व्यवसायों के पास नकदी नहीं बची है। इसकी वजह से उन्हें वेतन देने में भी कठिनाई आ रही है।
सर्वे में शामिल 61 प्रतिशत इकाइयों ने कहा कि उद्योग-कारोबार में अभी और गिरावट आएगी। 20 प्रतिशत इकाइयों ने वर्तमान व्यवसाय को बेचने या बंद करने की बात भी कही। इसी तरह ट्रांसयूनियन सिबिल ने हाल ही में प्रकाशित अपनी अध्ययन रिपोर्ट में कहा है कि छोटे उद्योग-कारोबार को दिए गए 2.32 लाख करोड़ रुपए के कर्ज पर डिफॉल्ट होने का सबसे ज्यादा खतरा है। खासतौर से इनमें सबसे ज्यादा 10 लाख रुपए से कम के बकाया कर्ज जोखिम भरे हो गए हैं।
निसंदेह लॉकडाउन की अवधि में इजाफा अब अर्थव्यवस्था को बहुत अधिक प्रभावित कर रहा है। ऐसे में खासतौर से सूक्ष्म, लघु और मझोले
उद्योग-कारोबार के लिए सरकार की अधिक मदद जरूरी होगी। उद्योग संगठन भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग महासंघ (फिक्की) और भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंडल (एसोचैम) ने देश की अर्थव्यवस्था को बचाए रखने के लिए सरकार से करीब 200 से 300 अरब डॉलर यानी करीब 15 लाख करोड़ से 22 लाख करोड़ रुपए के प्रोत्साहन पैकेज की मांग की है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी कहा है कि भारत के द्वारा अभी बड़े राहत पैकेज संबंधी नीतिगत पहल करना जरूरी है ताकि उद्योग-कारोबार और अर्थव्यवस्था को बचाया जा सके। बड़े पैमाने पर उद्योग-कारोबार के नाकाम होने पर वित्तीय तंत्र और बेरोजगारी पर अधिक असर होगा तथा सुधार की प्रक्रिया बहुत अधिक कठिन हो जाएगी।
ऐसे में अब पूरे देश के कोने-कोने से विभिन्न आर्थिक औद्योगिक संगठनों के द्वारा लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को हुए नुकसान से बचाने के लिए केंद्र सरकार से अब तक के सबसे बड़े राहत पैकेज की अपेक्षा की जा रही है। इसके तहत छोटे कारोबारियों और उद्यमियों को तीन लाख करोड़ रुपए की बैंक गांरटी देने की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने की भी अपेक्षा की जा रही है। जिससे छोटे उद्यमियों और कारोबारियों के द्वारा फिर से अपना कारोबार पटरी पर लाया जा सके। इसी तरह ऐसी राहत भी अपेक्षित है, जिससे छोटे उद्योग-कारोबार अपनी क्रेडिट सीमा को 20 प्रतिशत अतिरिक्त कर्ज सीमा तक बढ़ा सके। साथ ही छोटे उद्योग-कारोबार द्वारा कोई निर्धारित किस्त भरने से चूकने पर उसकी भरपाई के लिए एक विशेष कोष की स्थापना भी अपेक्षित है।
ऐसे में निश्चित रूप से अर्थव्यवस्था को मुश्किलों से बचाकर फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार के द्वारा विभिन्न राजकोषीय और मौद्रिक नीति का समर्थन प्रदान किया जाना जरूरी होगा| सचमुच यह समय राजकोषीय अनुशासन की बहुत चिंता करने का नहीं है| कोरोना संकट की चुनौतियों से निपटने के लिए देश में राजकोषीय अनुशासन को कुछ दरकिनार करते हुए राजकोषीय खर्च बढ़ाना इस समय की सबसे बड़ी जरूरत है। कोरोना प्रकोप के बीच दुनिया के कई देश अपनी-अपनी जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर राजकोषीय सहयोग के पैकेज देते हुए दिखाई दे रहे हैं| जबकि अभी तक हमारे देश में राहत पैकेज का आकार बहुत कम करीब 5 प्रतिशत के करीब दिखाई दे रहा है|
यह बात भी उल्लेखनीय है कि न केवल देश के आर्थिक और औद्योगिक संगठनों के द्वारा कोरोना की चुनौतियों के लिए बड़े राजकोषीय प्रोत्साहन की मांग की जा रही है। वरन दुनिया के आर्थिक संगठन भी भारत को कोरोना की बढ़ती हुई चुनौतियों से बचाने और अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए बार-बार जोरदार राजकोषीय प्रोत्साहन के सुझाव देते हुए दिखाई दे रहे हैं| संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा प्रकाशित विश्व की आर्थिक स्थिति और संभावना रिपोर्ट 2020 में कहा गया है कि भारत में राजकोषीय प्रोत्साहन की बड़ी जरूरत है| इससे एक और उद्योग-कारोबार को बचाया जा सकेगा वहीं दूसरी ओर आम आदमी की क्रय शक्ति में वृद्धि की जा सकेगी। ऐसा होने पर ही अर्थव्यवस्था को बचाया जा सकेगा।
इस तरह एक ओर जहाँ सरकार के द्वारा राजकोषीय प्रोत्साहन दिए जाने जरूरी है, वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन समाप्त करने की रणनीति के साथ-साथ आर्थिक गतिविधियों से प्रतिबंध सार्थक तरीके से हटाए जाने भी जरूरी है। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि देश लॉकडाउन की भारी कीमत चुका रहा है। गरीबी बढ़ रही है। बेरोजगारी भी बढ़ रही है। कई छोटे और मझोले उपक्रमों के सामने अस्तित्व का संकट उत्पन्न हो गया है और रोजगार को स्थायी क्षति हो रही है। ऐसे में अब अगर लॉकडाउन जारी रहा तो केंद्र एवं सरकारों की आर्थिक गतिविधियों में सुधार की क्षमता बुरी तरह प्रभावित होगी। कम राजस्व प्राप्ति की चिंताएँ बढ़ेगी। इसके अलावा विभिन्न क्षेत्रों में नागरिकों की समस्या बढ़ेगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 30 अप्रैल को कोविड-19 के खिलाफ अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए रणनीतियों पर चर्चा करने के लिए एक व्यापक बैठक भी की है। ऐसे में इस समय निश्चित रूप से भारतीय अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए शीघ्रतापूर्वक दो तरह के कदम उठाने जरूरी हैं। एक, राजकोषीय विस्तार के लिए स्पष्ट योजना और दो, लॉकडाउन को समाप्त करने के साथ-साथ सार्थक तरीके से आर्थिक गतिविधियों पर से प्रतिबंध हटाना।
हम उम्मीद करें कि अब सरकार अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और भारत के लिए दिखाई दे रहे नए निवेश और नए निर्यात मौकों को आकर्षित करने के लिए एक ओर राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4 प्रतिशत तक ले जाने की डगर पर आगे बढ़ेगी, वहीं दूसरी ओर लॉकडाउन समाप्त करके आर्थिक गतिविधियां शुरू करने की व्यापक योजना की डगर पर भी आगे बढ़ेगी।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो