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शादी का लड्डू

सड़कों पर भीड़ देख हम हैरत में पड़ गए। हमने कहा- राधे। लगता है आज शहर में तेरे सिवाय कोई कुंआरा नहीं बचने वाला

Nov 25, 2015 / 11:32 pm

शंकर शर्मा

Opinion news

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देवउठनी ग्यारस की सांझ अपनी चमचमाती कार से निकल कर राधे धड़धड़ाता हुआ हमारे घर में घुसा और हमारी मेज पर पांच छह शादी के कार्ड पटक कर बोला- भाई। खड़ा हो। मुंह धो। स्कूटर निकाल और चल। सात शादियों में कन्यादान देना है। हमने कहा- मुझे भी। दो ब्याहों में कन्यादान देना है और एक बारात में शामिल होना है। राधे बोला- तो ठीक है। पहले बेटियों के ब्याह में कन्यादान निपटाएंगे और बाद में छोरे की बारात में नाचेंगे, पियेंगे और खायेंगे। हम बोले-राधे तेरी नई कार किस दिन काम आएगी। स्कूटर पर क्यूं चले।

कार में क्यूं नहीं। क्या तू अपनी कार का पेट्रोल बचाना चाहता है? हमारे व्यंग्य को नजरअंदाज करके राधो बोला- तेरे इस सवाल का जवाब मैं रात को घर लौट कर दूंगा। अभी तो झटपट निकल। हम तैयार हो निकल पड़े। सड़कों पर भारी भीड़ देख हम हैरत में पड़ गए। हमने कहा- राधे। लगता है आज शहर में तेरे सिवाय कोई कुंआरा नहीं बचने वाला।

राधे हंस के बोला- सच कहूं भाई। छोटे भाई बहनों को पढ़ाने, उनकी शादी करते-करते मेरी उम्र कब निकल गई पता ही नहीं चला। हमने कहा- राधे। तू मुझ से दो साल ही तो छोटा है कर ले ब्याह। राधे ने हंस कर पूछा- तेरे ब्याह को कितने साल हो गए। हमने कहा- अड़तीस हो गए। राधे बोला- तब तो मेरे बच्चे तेरे पोते को चाचा कहेंगे और तुझे पड़दादा। बहरहाल इसी तरह की बकवास करते हम एक के बाद एक शादी निपटाते रहे। हमने पूछा- राधे।

आज के दिन होने वाले हजारों शादियों में दूध, दही, पनीर कहां से आता होगा। क्या ब्याह शादी के दौरान गाय- भैंस ज्यादा दूध देना शुरू कर देती है? राधे ने कहा- भाई। अपना देश महान है। यहां जो चाहे उसका तुरंत उत्पादन हो सकता है। तभी अचानक हम एक चौराहे पर ट्रैफिक में फंस गए। सैकड़ों कार और गाडि़यां एक दूजे से अड़ी खड़ी थी।

राधे बोला- भाई। तू पीछे बैठ। मैं स्कूटर चलाता हूं। और इसके बाद राधे ने स्कूटर को कभी इधर से कभी उधर कर जाम से निकाला। हमने कहा- अब समझा तू कार क्यों नहीं लाया। बस इसी तरह चलते-चलते हम आखिरी शादी में पहुंच तो हाल बेहाल हो गए। बाराती की जगह हम कबाड़ी नजर आ रहे थे।

भीतर पहुंच कर राधे ने जेब से एक प्लास्टिक की शीशी निकाली और बोला- ले भाई। इस देव तुल्य पेय की दो लम्बी घूंट खींच ले। मूड फ्रेश हो जाएगा। सचमुच दो घंूट के बाद हम बूढ़े से घोड़े हो गए और बारात की घोड़ी के सामने जाकर नाचने लगे। बैंड वाले बजा रहे थे- यह देश वीर जवानों का। राधे एक तरफ खड़ा-खड़ा मुस्कुराता हुआ दूल्हे के बाप के साथ देवतुल्य पेय पी रहा था।
राही


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