उन्हें बार-बार अपना प्यार जताने की जरूरत क्यों पड़ती है? हमने कभी अपने दादा-दादी और बाबूजी-अम्मा को आई लव यू कहते नहीं सुना और न ही हम श्रीमती जी को प्रेम के तीन शब्द कह पाए। लेकिन ईश्वर की कृपा से प्रतिदिन नौंक-झोंक होने के बावजूद प्रेम में कोई कमी नहीं आई है।
अलबत्ता कॉफी हाउस और रेस्तांरा में हमने तोता-मैनओं को बार-बार ‘आई लव यू’ कहने के बावजूद जोड़े बदलते जरूर देखा है। अब आप यही कहेंगे कि हम इश्क, प्यार और मोहब्बत की बातें क्यों किए जा रहे हैं?
दरअसल आजकल एक गीत ने हमें परेशान कर रखा है जिसके बोल हैंं- प्यार किया है अंग्रेजी में- यह वाक्य सुनकर हमारे पेट में बेइंतहा गुदगुदगी हो रही है। हम कहना चाहते हैं कि अरे भाई! प्रेम की कोई भाषा नहीं होती।
आप किसी से प्रेम जताना चाहें तो वह सिर्फ आंखों से ही बयां कर सकते हैं। हम इतने दावे से इसीलिए कह सकते हैं कि हमने अपनी जवानी में नैन-मटक्का का खेल खूब खेला है।
इस मामले में आप हमें चाहे ‘इश्क का तेंदुलकर’ खिताब दे सकते हैं क्योंकि सचिन ने भी अपने से पांच- सात बरस बड़ी से प्रेम किया था और माशाअल्लाह उसे बड़ी संजीदगी से निभा रहे हैं। प्रेम करने की भाषा और तरीके पर हमें अपना कीका मामा याद आता है।
जब मामा के बेटे का ब्याह हुआ बोला-पापा मैं तो अपनी वाइफ से नए तरीके से प्रेम का इजहार करुंगा। सारा यूरोप घूमे मामा ने कहा- सुण रे छोरे! प्रेम का इजहार तो तुझे उसी तरह से करना पड़ेगा, जैसे मेरे दादा ने तेरी दादी और से और मैंने तेरी मम्मी से किया था। सारे विश्व में प्रेम जाहिर करने का तरीका एक ही है, वह रोम हो या राजगढ़।
व्यंग्य राही की कलम से