अमीर-गरीब की बढ़ती खाई घातक
देश में बढ़ती आर्थिक असमानता के कारण देश के विकास की गति धीमी हो गई है। अमीरों का बैंक बैलेंस बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर गरीबों को रोटी, कपड़ा और मकान जैसी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। महंगाई ने पहले ही कमर तोड़ रखी है। बेरोजगारी और भुखमरी के कारण वे बेहाल हैं। आर्थिक असमानता के कारण अपराध बढ़ रहे हैं।
-विभा गुप्ता, मैंगलोर
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देश में बढ़ती आर्थिक असमानता के कारण देश के विकास की गति धीमी हो गई है। अमीरों का बैंक बैलेंस बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर गरीबों को रोटी, कपड़ा और मकान जैसी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। महंगाई ने पहले ही कमर तोड़ रखी है। बेरोजगारी और भुखमरी के कारण वे बेहाल हैं। आर्थिक असमानता के कारण अपराध बढ़ रहे हैं।
-विभा गुप्ता, मैंगलोर
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विकास में अवरोधक है विषमता
आर्थिक असमानता, भारत की उन्नति और विकास में अवरोध उत्पन्न करती है। आर्थिक विषमता जीवन के हर पहलू पर प्रभाव डालती है। एक बड़े वर्ग के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, सुरक्षा जैसी मूलभूत जरूरतें पूरी कर पाना असंभव सा हो गया है। इसके विपरीत कुछ लोगोंं के पास अकूत धन है। नतीजतन, शोषित और गरीब लोगों में क्षोभ पनपता है और अपराध बढ़ते हैं।
-अजिता शर्मा, उदयपुर
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आर्थिक असमानता, भारत की उन्नति और विकास में अवरोध उत्पन्न करती है। आर्थिक विषमता जीवन के हर पहलू पर प्रभाव डालती है। एक बड़े वर्ग के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, सुरक्षा जैसी मूलभूत जरूरतें पूरी कर पाना असंभव सा हो गया है। इसके विपरीत कुछ लोगोंं के पास अकूत धन है। नतीजतन, शोषित और गरीब लोगों में क्षोभ पनपता है और अपराध बढ़ते हैं।
-अजिता शर्मा, उदयपुर
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ठोस कदम उठाए सरकार
देश में बढ़ती आर्थिक असमानता से गरीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। अधिसंख्य लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की भी पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। आर्थिक असमाताओ को कम करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाएं लागू की जानी चाहिए।
-शेरू सांकडिय़ा, जैसलमेर
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देश में बढ़ती आर्थिक असमानता से गरीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती जा रही है। अधिसंख्य लोग अपनी मूलभूत आवश्यकताओं की भी पूर्ति नहीं कर पा रहे हैं। आर्थिक असमाताओ को कम करने के लिए सरकार को ठोस कदम उठाने चाहिए। लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए योजनाएं लागू की जानी चाहिए।
-शेरू सांकडिय़ा, जैसलमेर
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सबको मिले रोटी, कपड़ा और मकान
गरीब गरीब होता जा रहा है और अमीर अमीर होता जा रहा है। उद्योगपति बहुत पैसे वाले होते जा रहे हैं, और मजदूर व कृषक गरीब होते जा रहे हैं। सरकार रोटी, कपड़ा और मकान सबको देने की व्यवस्था करे।
-विजयवर्गीय रामप्रसाद उदयपुर
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गरीब गरीब होता जा रहा है और अमीर अमीर होता जा रहा है। उद्योगपति बहुत पैसे वाले होते जा रहे हैं, और मजदूर व कृषक गरीब होते जा रहे हैं। सरकार रोटी, कपड़ा और मकान सबको देने की व्यवस्था करे।
-विजयवर्गीय रामप्रसाद उदयपुर
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अमीर व गरीब में बढ़ती दूरी
आर्थिक असमानता के कारण अमीर ज्यादा अमीर हो रहा है, दूसरी ओर गरीब ज्यादा गरीब होता जा रहा है। देश में आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ रही है। बेरोजगारी से एक पूरी युवा पीढ़ी त्रस्त है। देश की बड़ी आबादी भुखमरी की शिकार है। महंगाई से आम आदमी परेशान है,लेकिन सरकार का इस ओर ध्यान हे।
-लता अग्रवाल चित्तौडग़ढ़
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आर्थिक असमानता के कारण अमीर ज्यादा अमीर हो रहा है, दूसरी ओर गरीब ज्यादा गरीब होता जा रहा है। देश में आर्थिक असमानता तेजी से बढ़ रही है। बेरोजगारी से एक पूरी युवा पीढ़ी त्रस्त है। देश की बड़ी आबादी भुखमरी की शिकार है। महंगाई से आम आदमी परेशान है,लेकिन सरकार का इस ओर ध्यान हे।
-लता अग्रवाल चित्तौडग़ढ़
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बढ़ते हैं अपराध
सरकार की नीतियों के चलते धनवान ज्यादा धनवान हो रहा है, गरीब अैर ज्यादा गरीब हो रहा है। मध्यमवर्गीय तबका पैसे वालों की बराबरी करने लगते हैं और दिखावे पर खूब खर्च करते हैं। नतीजन उनकी हालत भी खराब हो जाती है। गरीब व अमीर के बीच बढ़ती खाई से समाज में अपराध बढ़ते हैं।
-महावीर प्रसाद खटीक, छापर, चूरू
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सरकार की नीतियों के चलते धनवान ज्यादा धनवान हो रहा है, गरीब अैर ज्यादा गरीब हो रहा है। मध्यमवर्गीय तबका पैसे वालों की बराबरी करने लगते हैं और दिखावे पर खूब खर्च करते हैं। नतीजन उनकी हालत भी खराब हो जाती है। गरीब व अमीर के बीच बढ़ती खाई से समाज में अपराध बढ़ते हैं।
-महावीर प्रसाद खटीक, छापर, चूरू
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नहीं मिलता कार्य के अनुसार वेतन
देश में बढ़ती आर्थिक असमानता से अमीरी और गरीबी की खाई बढ़ती ही जा रही हैं। वेतन विसंगतियों के कारण सभी लोगों को उनके कार्य के अनुसार वेतन नहीं मिल रहा है। सरकारी विभागों में सभी कर्मचारी आठ घंटे तक कार्य करते हैं। फिर भी वेतनमान में भारी अंतर है। निजी क्षेत्र में कार्यरत लोगों की हालत तो और भी दयनीय हैं। अनेक लोग कर्ज में डूब कर आत्महत्या तक कर रहे हैं ।
-सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
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देश में बढ़ती आर्थिक असमानता से अमीरी और गरीबी की खाई बढ़ती ही जा रही हैं। वेतन विसंगतियों के कारण सभी लोगों को उनके कार्य के अनुसार वेतन नहीं मिल रहा है। सरकारी विभागों में सभी कर्मचारी आठ घंटे तक कार्य करते हैं। फिर भी वेतनमान में भारी अंतर है। निजी क्षेत्र में कार्यरत लोगों की हालत तो और भी दयनीय हैं। अनेक लोग कर्ज में डूब कर आत्महत्या तक कर रहे हैं ।
-सुनील कुमार माथुर, जोधपुर
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लघु और कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन दिया जाए
वैसे तो देश में आर्थिक असमानता का खत्मा तो नहीं किया जा सकता, लेकिन कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं, क्योंकि देश की जनसंख्या का एक बहुत बड़ा वर्ग अशिक्षित है और नशे की गिरफ्त में भी है। रोजगार के साधनों का अभाव है। इसलिए आर्थिक असमानता को कम करने के लिए जनता में शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करनी पड़ेगी। सरकार को नशाबंदी करनी पड़ेगी। लघु एवं कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देना होगा। साथ ही भ्रष्टाचार रोकना होगा।
-विनोद बोरदिया
वैसे तो देश में आर्थिक असमानता का खत्मा तो नहीं किया जा सकता, लेकिन कम करने के प्रयास किए जा सकते हैं, क्योंकि देश की जनसंख्या का एक बहुत बड़ा वर्ग अशिक्षित है और नशे की गिरफ्त में भी है। रोजगार के साधनों का अभाव है। इसलिए आर्थिक असमानता को कम करने के लिए जनता में शिक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करनी पड़ेगी। सरकार को नशाबंदी करनी पड़ेगी। लघु एवं कुटीर उद्योगों को प्रोत्साहन देना होगा। साथ ही भ्रष्टाचार रोकना होगा।
-विनोद बोरदिया