जनता की बढ़ गई मुश्किल
कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है, पर बढ़ती महंगाई से लोगों का बचाव संभव नहीं है। एलपीजी सिलेंडर, डीजल और पेट्रोल के बढ़ते दाम जनता की मुश्किल बढ़ा रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से न जाने कितनों के रोजगार चले गए। साथ ही व्यापार क्षेत्र की भी रफ्तार धीमी गति से चल रही है। बढ़ती महंगाई के कारण जनता को गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। ऊपर से रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुओं का महंगा होना आम जनता का हाल बेहाल कर रहा है। नागरिकों की सहूलियत के लिए कर में कमी करनी चाहिए।
-शुभम् दुबे, इंदौर , मध्यप्रदेश
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कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है, पर बढ़ती महंगाई से लोगों का बचाव संभव नहीं है। एलपीजी सिलेंडर, डीजल और पेट्रोल के बढ़ते दाम जनता की मुश्किल बढ़ा रहे हैं। लॉकडाउन की वजह से न जाने कितनों के रोजगार चले गए। साथ ही व्यापार क्षेत्र की भी रफ्तार धीमी गति से चल रही है। बढ़ती महंगाई के कारण जनता को गुजारा करना मुश्किल हो रहा है। ऊपर से रोजमर्रा की उपयोगी वस्तुओं का महंगा होना आम जनता का हाल बेहाल कर रहा है। नागरिकों की सहूलियत के लिए कर में कमी करनी चाहिए।
-शुभम् दुबे, इंदौर , मध्यप्रदेश
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अर्थव्यवस्था के लिए घातक
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को लेकर लोगों में आक्रोश है। इसका बड़ा कारण इन वस्तुओं पर लगाए कर हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम कम होने के बावजूद सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ा दिया है। कोरोना संकट के कारण सरकारों पर राजस्व का दबाव बढ़ा है, लेकिन सरकार को राजस्व का बोझ आम आदमी पर नहीं डालना चाहिए। आम आदमी पहले से आर्थिक रूप से टूट चुका है। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें बढऩे का असर सामान की ढुलाई से जुड़ी सेवाओं पर भी पड़ता है, जिससे रसोई के बजट में इजाफा होता है। खाद्य तेलों और रसोई गैस के दाम पहले से ही आसमान छू रहे हैं। आम आदमी महंगाई से त्रस्त है। कोरोना महामारी की वजह से बाजार में मांग में पहले ही कमी है। अगर कीमतों पर नियंत्रण नहीं रखा गया तो मांग और आपूर्ति का गड़बड़ाता चक्र अर्थव्यवस्था के लिए घातक सिद्ध होगा।
-कनिष्क माथुर, जयपुर
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पेट्रोल-डीजल की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी को लेकर लोगों में आक्रोश है। इसका बड़ा कारण इन वस्तुओं पर लगाए कर हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम कम होने के बावजूद सरकार ने पेट्रोल-डीजल पर टैक्स बढ़ा दिया है। कोरोना संकट के कारण सरकारों पर राजस्व का दबाव बढ़ा है, लेकिन सरकार को राजस्व का बोझ आम आदमी पर नहीं डालना चाहिए। आम आदमी पहले से आर्थिक रूप से टूट चुका है। पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें बढऩे का असर सामान की ढुलाई से जुड़ी सेवाओं पर भी पड़ता है, जिससे रसोई के बजट में इजाफा होता है। खाद्य तेलों और रसोई गैस के दाम पहले से ही आसमान छू रहे हैं। आम आदमी महंगाई से त्रस्त है। कोरोना महामारी की वजह से बाजार में मांग में पहले ही कमी है। अगर कीमतों पर नियंत्रण नहीं रखा गया तो मांग और आपूर्ति का गड़बड़ाता चक्र अर्थव्यवस्था के लिए घातक सिद्ध होगा।
-कनिष्क माथुर, जयपुर
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बढ़ जाती है लागत
पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य में वृद्धि से आवागमन महंगा हो जाता है, जिस कारण सड़क मार्ग से सप्लाई होने वाले माल की लागत बढ़ जाती है। इससे उस वस्तु के मूल्य में वृद्धि हो जाती है। अंतत: उसका भार आम आदमी की जेब पर ही पड़ता है
-शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर
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पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्य में वृद्धि से आवागमन महंगा हो जाता है, जिस कारण सड़क मार्ग से सप्लाई होने वाले माल की लागत बढ़ जाती है। इससे उस वस्तु के मूल्य में वृद्धि हो जाती है। अंतत: उसका भार आम आदमी की जेब पर ही पड़ता है
-शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर
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मुश्किल बढ़ गई मजदूरों की
पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में हुई बेतहाशा वृद्धि से मजदूर वर्ग भी अछूता नहीं रहा। गरीब मजदूर के पास भले ही वाहन ना हो, पर डीजल-पेट्रोल के बढ़ रहे दामों से वह भी परेशान नजर आता है। गौरतलब है कि जब-जब भी पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़े, तो रोजमर्रा काम आने वाली चीजों की महंगाई का ग्राफ स्वत: ही ऊपर चढऩे लगता है। इससे मध्यम वर्ग के अलावा मजदूर वर्ग की मुश्किल भी बढ़ जाती है। काम नहीं मिले तो चिंता की लकीरें और बढ़ जाती है।
राजेंद्र कुमावत चिराना, झुंझुनूं
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पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में हुई बेतहाशा वृद्धि से मजदूर वर्ग भी अछूता नहीं रहा। गरीब मजदूर के पास भले ही वाहन ना हो, पर डीजल-पेट्रोल के बढ़ रहे दामों से वह भी परेशान नजर आता है। गौरतलब है कि जब-जब भी पेट्रोल-डीजल के भाव बढ़े, तो रोजमर्रा काम आने वाली चीजों की महंगाई का ग्राफ स्वत: ही ऊपर चढऩे लगता है। इससे मध्यम वर्ग के अलावा मजदूर वर्ग की मुश्किल भी बढ़ जाती है। काम नहीं मिले तो चिंता की लकीरें और बढ़ जाती है।
राजेंद्र कुमावत चिराना, झुंझुनूं
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कीमतों पर अंकुश जरूरी
पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी होने से परिवहन महंगा हो गया है। इससे बढ़ी महंगाई का असर व्यापार पर पड़ेगा। इससे क्रय शक्ति घटेगी। कीमतों पर अंकुश लगाना जरूरी है। पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में वृद्धि न देश के हित में है, न जनता के हित में।
-कल्पेश कटारा, डूंगरपुर
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पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बढ़ोतरी होने से परिवहन महंगा हो गया है। इससे बढ़ी महंगाई का असर व्यापार पर पड़ेगा। इससे क्रय शक्ति घटेगी। कीमतों पर अंकुश लगाना जरूरी है। पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में वृद्धि न देश के हित में है, न जनता के हित में।
-कल्पेश कटारा, डूंगरपुर
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गलत नीतियों का नतीजा
पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से आम जनता पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है, क्योंकि पेट्रोल-डीजल की कीमत बढऩे से आम जरूरत की वस्तुओं के दाम भी बढ़ जाते हैं। आसमान छूती महंगाई से जनता पहले से ही बहुत परेशान है। ऊपर से रोज पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। यह सब सरकार की गलत नीतियों का ही नतीजा है।
-महेश सक्सेना, भोपाल, मप्र
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पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी से आम जनता पर बहुत बुरा असर पड़ रहा है, क्योंकि पेट्रोल-डीजल की कीमत बढऩे से आम जरूरत की वस्तुओं के दाम भी बढ़ जाते हैं। आसमान छूती महंगाई से जनता पहले से ही बहुत परेशान है। ऊपर से रोज पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ रहे हैं। यह सब सरकार की गलत नीतियों का ही नतीजा है।
-महेश सक्सेना, भोपाल, मप्र
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आसमान छू रही है महंगाई
एक तरफ तो कोरोना संकट की वजह से नौकरी, धंधा, कारोबार ठप पड़ा है, तो दूसरी तरफ महंगाई जेब जला रही है। खाने के तेल से लेकर, सब्जियां, गैस सिलेंडर जैसी बुनियादी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हंै। पेट्रोल-डीजल के भाव बढऩे से ट्रांसपोर्ट महंगा हो गया है और उससे दूसरी चीजों पर भी बुरा असर हुआ है। महामारी की वजह से जनता पहले से ही परेशान है। ऐसे वक्त में महंगाई की मार ज्यादा पीड़ा देने वाली है।
-प्रियंका महेश्वरी, जोधपुर
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एक तरफ तो कोरोना संकट की वजह से नौकरी, धंधा, कारोबार ठप पड़ा है, तो दूसरी तरफ महंगाई जेब जला रही है। खाने के तेल से लेकर, सब्जियां, गैस सिलेंडर जैसी बुनियादी चीजों की कीमतें आसमान छू रही हंै। पेट्रोल-डीजल के भाव बढऩे से ट्रांसपोर्ट महंगा हो गया है और उससे दूसरी चीजों पर भी बुरा असर हुआ है। महामारी की वजह से जनता पहले से ही परेशान है। ऐसे वक्त में महंगाई की मार ज्यादा पीड़ा देने वाली है।
-प्रियंका महेश्वरी, जोधपुर
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जेब पर भारी
पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में बढ़ोतरी उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पडऩे लगी है। कीमतों में वृद्धि के कारण महंगाई भी बढ़ रही है। माल भाड़ा बढऩे से विभिन्न वस्तुओं की लागत भी बढ़ रही है, जिसके परिणाम स्वरूप महंगाई बढ़ रही है। इसका खमियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। साथ ही साथ देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में बढ़ोतरी उपभोक्ताओं की जेब पर भारी पडऩे लगी है। कीमतों में वृद्धि के कारण महंगाई भी बढ़ रही है। माल भाड़ा बढऩे से विभिन्न वस्तुओं की लागत भी बढ़ रही है, जिसके परिणाम स्वरूप महंगाई बढ़ रही है। इसका खमियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। साथ ही साथ देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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बढ़ रही है महंगाई
पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इससे खाद्य सामग्री के मूल्यों में भी निरंतर वृद्धि हो रही है। साथ ही दूसरी सामग्री भी महंगी हो गई है। महंगाई की मार से आम जनता त्रस्त हो रही है। महंगाई बढऩे का कारण लगातार पेट्रोल एवं पेट्रोलियम पदार्थों में निरंतर वृद्धि होना है।
-सुरेंद्र बिंदल, जयपुर
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करों में कटौती जरूरी
भारत में लगातार पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दामों में कटौती का भी भारतीय जनता को कोई फायदा नहीं हुआ। आर्थिक गतिविधियां हों या सामाजिक, इसके प्रभाव से कोई क्षेत्र नहीं बच पाए हैं। गरीबी, बेरोजगारी और ऊपर से पेट्रोल-डीजल की महंगाई ने आम इंसान को अपनी प्राथमिक आवश्यकताओं में कटौती करने पर मजबूर कर दिया है। सरकार को चाहिए कि वह आम इंसान के बजट को भी ध्यान में रखे और इस पेट्रोलियम पदार्थों पर करों में कटौती करे।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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पेट्रोल-डीजल के दाम लगातार बढ़ रहे हैं। इससे खाद्य सामग्री के मूल्यों में भी निरंतर वृद्धि हो रही है। साथ ही दूसरी सामग्री भी महंगी हो गई है। महंगाई की मार से आम जनता त्रस्त हो रही है। महंगाई बढऩे का कारण लगातार पेट्रोल एवं पेट्रोलियम पदार्थों में निरंतर वृद्धि होना है।
-सुरेंद्र बिंदल, जयपुर
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करों में कटौती जरूरी
भारत में लगातार पेट्रोलियम पदार्थों के दाम बढ़ रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल के दामों में कटौती का भी भारतीय जनता को कोई फायदा नहीं हुआ। आर्थिक गतिविधियां हों या सामाजिक, इसके प्रभाव से कोई क्षेत्र नहीं बच पाए हैं। गरीबी, बेरोजगारी और ऊपर से पेट्रोल-डीजल की महंगाई ने आम इंसान को अपनी प्राथमिक आवश्यकताओं में कटौती करने पर मजबूर कर दिया है। सरकार को चाहिए कि वह आम इंसान के बजट को भी ध्यान में रखे और इस पेट्रोलियम पदार्थों पर करों में कटौती करे।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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आम नागरिकों पर पड़ा असर
पेट्रोल शतक लगा चुका है। इसका सीधा असर आम नागरिक की जेब पर पड़ रहा है। पहले नोटबंदी और जीएसटी ने, अब कोरोना से लोगों की हालत खराब है। पेट्रोल-डीजल के बढ़ते दामों ने जनता की मुश्किल बढ़ा दी है।
-संजय दास, रायगढ़, छत्तीसगढ़
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बिगड़ गया आम आदमी का बजट
रोजाना पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों मे हो रही वृद्धि ने सबसे ज्यादा असर महंगाई पर डाला है, यह हर किसी को समझ आ रहा है। इन बढ़ते मूल्यों ने माल ढुलाई के साथ परिवहन को भी महंगा कर दिया है, जिसका खमियाजा हर किसी को भुगतना पड़ रहा है। इसका असर मध्यमवर्गीय परिवारों पर अधिक हो रहा है। सीमित आमदनी के चलते उन्हें रोजाना उपयोग की जाने वाली चीजें महंगे दामों पर खरीदनी पड़ रही हैं, जिससे उनका मासिक बजट बिगड़ रहा है।
-नरेश कानूनगो, बेंगलूरू, कर्नाटक
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मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित
पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में बढ़ोतरी से देश के मध्यमवर्गीय परिवारों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है, जिससे उनका गुजारा भी मुश्किल से हो रहा है। लोग कर्ज में डूब रहे हैं। इससे लोगों का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। युवा अपराध की राह पर जा रहे हैं।
-शेर मोहम्मद, नागौर
रोजाना पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों मे हो रही वृद्धि ने सबसे ज्यादा असर महंगाई पर डाला है, यह हर किसी को समझ आ रहा है। इन बढ़ते मूल्यों ने माल ढुलाई के साथ परिवहन को भी महंगा कर दिया है, जिसका खमियाजा हर किसी को भुगतना पड़ रहा है। इसका असर मध्यमवर्गीय परिवारों पर अधिक हो रहा है। सीमित आमदनी के चलते उन्हें रोजाना उपयोग की जाने वाली चीजें महंगे दामों पर खरीदनी पड़ रही हैं, जिससे उनका मासिक बजट बिगड़ रहा है।
-नरेश कानूनगो, बेंगलूरू, कर्नाटक
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मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित
पेट्रोलियम पदार्थों के मूल्यों में बढ़ोतरी से देश के मध्यमवर्गीय परिवारों पर अतिरिक्त बोझ बढ़ गया है, जिससे उनका गुजारा भी मुश्किल से हो रहा है। लोग कर्ज में डूब रहे हैं। इससे लोगों का मानसिक स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है। युवा अपराध की राह पर जा रहे हैं।
-शेर मोहम्मद, नागौर