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आपकी बात, खाद की कालाबाजारी और किल्लत का क्या कारण है?

Published: Oct 19, 2021 06:36:45 pm

Submitted by:

Gyan Chand Patni

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

आपकी बात, खाद की कालाबाजारी और किल्लत का क्या कारण है?

आपकी बात, खाद की कालाबाजारी और किल्लत का क्या कारण है?

मांग व आपूर्ति में असंतुलन
जब भी किसी वस्तु की मांग व आपूर्ति में संतुलन बिगड़ जाता है, तो उस वस्तु की कालाबाजारी शुरू हो जाती है। बाजार में सामान मिलने में थोड़ी सी भी देर हो जाती है, तो कालाबाजारी का माहौल बन जाता है। व्यापारी वर्ग ज्यादा मुनाफे के लालच में एक साथ माल बाजार में नहीं निकालता है। दूसरी ओर जब लोगों को बाजार में माल कम होने की भनक मिलती है, तो जरूरत से ज्यादा माल खरीद लेते हैं। इन कारणों के चलते बाजार में खाद की कालाबाजारी व किल्लत हो रही है।
-लता अग्रवाल, चित्तौडग़ढ़
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खाद की उपलब्धता में कमी
किसानों की समस्याओं का अंत होने का कोई ओर-छोर नजर नहीं आ रहा है। पहले से ही किसान अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर चल रहे हैं और अब खेती के लिए खाद की कमी आग में घी डालने जैसा है। सरकार भले ही खाद की आपूर्ति के दावे कर रही है, लेकिन हकीकत यह है कि खाद की भारी कमी है। अगर उपलब्धता है भी तो कालाबाजारी के चलते किसान परेशान हो रहा हंै। अब तक किसानों को खाद उपलब्ध करवाने का नेटवर्क मजबूत नहीं हो पाया है। यह वाकई चिंता की बात है।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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आपूर्ति और वितरण का कार्य गड़बड़ाया
कोरोना के चलते किसानों को पहले ही उनकी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल रहा था और अब महंगी खाद खरीदनी पड़ रही है। कोरोना काल में खाद की आपूर्ति और वितरण का कार्य प्रभावित हुआ है। किसान खाद के लिए परेशान हैं। सहकारी समितियों पर खाद की किल्लत है। जो बाजार में उपलब्ध है, वह बहुत महंगा है। किसान अपने खेतों में धान की निराई कर चुके हैं और अब समय से उन्हें खाद न मिलने के कारण धान की खेती के बर्बाद होने का डर सता रहा है। ऐसे हालात का फायदा उठाने के कारण कालाबाजारी बढ़ गई है।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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किसानों की मजबूरी
सरकारी और खुदरा बाजार में खाद की कीमतों में अंतर के कारण समस्या बढ़ गई है। जब सरकारी दुकानों पर खाद नहीं मिलती, तो किसानों को मजबूरी में बाहर से खाद लेनी पड़ती है। इन दिनों गन्ने और धान की खेती में यूरिया खाद की ज्यादा आवश्यकता है। खाद सरकारी दुकानों पर नहीं मिलने की वजह से मुनाफाखोरों की चांदी हो गई है। फसल बचाने के लिए मुंह मांगे दामों पर खाद खरीदनी पड़ रही है।
-नरेश कानूनगो, बैंगलूरु
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किसानों को मिले सब्सिडी
उर्वरक बनाने वाली कंपनी को सब्सिडी दी जाती है। जब तक उर्वरक पर मिलने वाली सब्सिडी का पैसा किसानों के खाते में नहीं जाने लगेगा, तब तक खाद की कालाबाजारी चलती रहेगी।
-राजीव दुबे, कटनी, मध्य प्रदेश
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सामंजस्य नहीं
खाद की किल्लत का मुख्य कारण सरकार की नीतियां एवं बाजार में खाद का स्टॉक करना है। किसान खाद के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं । केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सामंजस्य नहीं होने से भी खाद की किल्लत हो रही है
-जुगल किशोर शर्मा, किशनगढ़, अजमेर
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मिलीभगत का परिणाम
जैसे ही रबी या खरीफ की फसल की बुवाई का समय आता है, खाद की मांग होने लगती है। व्यापारियों को पता रहता है कि किसान परेशान होकर अधिक दाम देगा। ये लोग खाद की किल्लत पैदा कर देते हैं और पिछले दरवाजे से अधिक मूल्य पर खाद की बिक्री करते हैं। किसान मजबूरी में खरीदते हैं। सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों को यह सब पता रहता है, लेकिन मिलीभगत एवं भ्रष्टाचार के कारण कोई कार्रवाई नहीं होती।
-गजेन्द्र सिंह राठौर मंदसौर म,प्र,
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खाद का आवंटन कम
कालाबाजारी और किल्लत का प्रमुख कारण भारत सरकार द्वारा खाद का आवंटन कम किया जाना है। प्रशासन सीजन से पूर्व खाद का भण्डारण नहीं करता है। प्रशासन और बिचौलियों के बीच सांठगांठ भी प्रमुख कारण है।
लाल चन्द जैदिया, बीकानेर
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हो सकता है समस्या का समाधान
सरकार किसान को खाद, बीज, कीटनाशक, कृषि मजदूरी के लिए ऋण उपलब्ध करवाती है। किसान अपने लोन पावर से समय पूर्व ही खाद बीज,कीटनाशक की सहकारी समिति के माध्यम से अग्रिम बुकिंग करवा ले या खरीद कर घर पर रख ले तो किल्लत, कालाबाजारी की समस्याओं का सहज समाधान पाया जा सकता है। छोटे किसान के पास भंडारण जगह की परेशानी के चलते सरकार को भी चाहिए कि किसान द्वारा सहकारी समितियों के माध्यम से सरकारी या निजी वेयरहाउस में अग्रिम बुकिंग भुगतान द्वारा किसानों के लिए खाद बीज, पेस्टीसाइड का स्टॉक किसान के नाम से ही किराए पर रखने की व्यवस्था करें।
-बाल कृष्ण जाजू, जयपुर
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अंधाधुंध खाद का उपयोग
किसान खाद का उचित मात्रा में उपयोग नहीं कर हद से ज्यादा खाद डाल रहे हैं। इससे भी खाद की कमी हो जाती है। मृदा स्वास्थ्य कार्ड के अनुसार यदि खाद काम में लिया जाए तो हालात बदल सकते हैं। कुछ व्यापारी पैसों के लिए खाद की कालाबाजारी भी करते हैं।
-एस. पी. कुमावत, राजसमंद
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