scriptक्या है सिमलीपाल के ‘काले बाघों’ की गहराती काली धारियों का रहस्य | What is the secret of the dark stripes of Simlipal's 'black tigers' | Patrika News

क्या है सिमलीपाल के ‘काले बाघों’ की गहराती काली धारियों का रहस्य

locationनई दिल्लीPublished: Sep 20, 2021 10:46:25 am

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Patrika Desk

– 8 बाघों में से 3 काले बाघ थे सिमलीपाल अभयारण्य में वर्ष 2018 में। भुवनेश्वर, चेन्नई और रांची अभयारण्य में भी हैं सूडोमेलनिस्टिक (गहरे या काले रंग की धारियों वाले) बाघ।
– 1993 में सिमलीपाल में बाघों के म्यूटेंट का पहला पुष्ट रेकॉर्ड प्रस्तुत किया गया था, जब एक आदिवासी युवक ने आत्मरक्षा में छद्म-रंग वाली बाघिन को मार डाला था।

Simlipal's 'black tiger'

Simlipal’s ‘black tiger’

वैज्ञानिकों ने केवल ओडिशा के सिमलीपाल टाइगर रिजर्व (Simlipal Tiger Reserve) में पाए जाने वाले तथाकथित ‘काले बाघों’ (black tigers) के रंग के रहस्य को उजागर करने में सफलता हासिल की है। अध्ययन में सामने आया है कि जीन में उत्परिवर्तन के कारण इन बाघों की धारियां असामान्य रूप से गहरे या काले रंग की हो जाती हैं। इसे सूडो-मेलनिज्म भी कहा जाता है जो वास्तविक मेलनिज्म से अलग है। नेशनल सेंटर फॉर बायोलॉजिकल साइंसेस (एनसीबीएस) बेंगलूरु ने इस अध्ययन की शुरुआत 2017 में की थी।

दुर्लभ क्यों होते हैं ‘काले बाघ-
म्यूटेंट, आनुवांशिक भिन्नताएं हैं जो अनायास हो सकती हैं लेकिन प्राकृतिक रूप से बार-बार नहीं। काले बाघों को देखे जाने का दावा 1773 से किया जाता रहा है। 1913 में म्यांमार में और 1950 में चीन में भी ऐसे ही दावे किए गए। 1993 में दिल्ली के नेशनल म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री में जब्त की गई काले बाघ की खाल प्रदर्शित की गई थी, जिसका स्रोत ज्ञात नहीं था। पूरे जीनोम के आंकड़ों और चिडिय़ाघरों के बाघों के संबंधों के विश्लेषण के जरिए अध्ययन में पाया गया कि छद्म-मेलनिज्म का संबंध ट्रांसमेम्ब्रेन एमिनोपेप्टिडेस क्यू में एक अकेले म्यूटेशन से है। काले बाघों और अन्य बाघों के बीच जीन प्रवाह बेहद दुर्लभ है, कारण अप्रभावी या छिपे हुए छद्म-मेलनिज्म जीन हैं। अप्रभावी जीन केवल प्रबल जीन की गैर-मौजदूगी में ही असर दिखा सकते हैं। ऐसे में अप्रभावी जीन वाले सामान्य पैटर्न के बाघ-बाघिन से चार में से एक ही काले बाघ के जन्म लेने की सम्भावना होती है।

सिमलीपाल के टाइगर सबसे अलग-
नंदनकानन (भुवनेश्वर), अरिग्नार अन्ना जूलॉजिकल पार्क (चेन्नई) और बिरसा जैविक पार्क (रांची) में जो छद्म-मेलनिज्म काले बाघ हैं, सभी का सिमलीपाल से पुश्तैनी रिश्ता है। पिछले अध्ययनों में बाघों के तीन आनुवांशिक समूहों का पता चला था। इसमें सिमलीपाल के बाघ आनुवांशिक रूप से सबसे अलग हैं। बाघों के अन्य आवासों की तुलना में सिमलीपाल गहरा वनाच्छादित, उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय और अलग-थलग क्षेत्र है।

बाघ अभयारण्यों में हो प्राकृतिक जुड़ाव-
बाघों के आवासों को छोटे-छोटे हिस्सों में बांटे जाने जैसी मानव-जनित बाधाओं का सिमलीपाल एकमात्र उदाहरण नहीं है, जो देश के कुछ हिस्सों में बाघों की कम आबादी की वजह है। दीर्घकाल में बाघों के तमाम रिजर्व, जंगलों और अभयारण्यों के बीच प्राकृतिक तौर पर जुड़ाव कायम करने का कोई विकल्प नहीं है।

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