प्रकृत ने पृथ्वी पर कुछ भी व्यर्थ नहीं बनाया है। हर जीव-जंतु पेड़-पौधे का अपना एक महत्व होता है। फिर भी पीपल, बरगद, नीम, आंवला, अशोक जैसे पेड़ों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। पीपल अधिक से अधिक लगाना चाहिए। साथ ही स्नेक प्लांट, मनी प्लांट, एरिका प्लांट, एलोवेरा और सबसे महत्वपूर्ण तुलसी जैसे पौधों को अपने घर में रख कर शुद्ध ऑक्सीजन प्राप्त कर सकते हैं। इनके अलावा किसानों को ऐसे पेड़ों को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो खेतों की मेड़ पर आसानी से लगकर उनकी अतिरिक्त आय में भी मददगार साबित हों।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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हर व्यक्ति को पौधरोपण को लेकर अपनी जिम्मेदारी खुद ही समझनी चाहिए। हर कार्य शासकीय योजनाओं के सहारे नहीं हो सकता। प्रकृति की सुरक्षा करना हर व्यक्ति का कर्तव्य है। हम हर तरह से प्रकृति का दोहन करते आए हंै। लगातार पेड़ कट रहे हैं, लेकिन भरपाई उतनी हो नहीं हो रही। हर वर्ष पौधरोपण तो बहुत होते हैं, पर उनमें से बहुत कम ही बढ़ पाते हैं। इसीलिए पौधरोपण ही पर्याप्त नहीं है। पौधों की रक्षा करना भी जरूरी है। पौधे भले ही कम लगाएं, लेकिन उनकी देखभाल जरूर करें।
-नटेश्वर कमलेश, चांदामेटा, छिंदवाड़ा
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पौधरोपण अभियान में हमें सबसे ज्यादा नीम एवं पीपल के पौधों को प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि यह प्रकृति के लिए भी अच्छे होते हैं और छायादार भी होते हैं। इनसे ऑक्सीजन अधिक मात्रा में मिलती है।
-रामअवतार कुमावत, जयपुर
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पहला सुख निरोगी काया माना गया है। पौधे जीवन के महत्त्वपूर्ण अंग हैं। हमें अब ऐसे पौधे रोपित करने चाहिए, जिनका इस्तेमाल औषधियां बनाने में होता हो। इन औषधीय पौधों ऑक्सीजन के साथ जड़ी-बूटियां भी मिलेंगी।
-विनोद मिश्र, दतिया, मप्र
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पौधरोपण अभियान में ऐसे पौधों को प्राथमिकता दी जाए, जिनके साथ धार्मिक मान्यता जुड़ी हो। बड़, पीपल, तुलसी, गिलोय, नीम, खेजड़ी सहित ऐसे औषधीय पौधे लगाने चाहिए, जो पर्यावरण शुद्धि के लिए काम तो करेंगे ही जड़ी-बूटी के रूप में भी काम आएं। धार्मिक मान्यताओं से भी जुड़े हों, ताकि उनको लोग कम नुकसान पहुंचाएं।
-रामस्वरूप चौधरी, दौलतपुरा प्रथम, अजमेर
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पौधरोपण अभियान में सर्वाधिक प्राथमिकता ऐसे पौधों की दी जानी चाहिए, जिनको अधिक पानी और सार-संभाल की आवश्यकता नहीं हो। साथ ही जिन पौधों को जानवर हानि नहीं पहुंचाएं, उनको भी पौधरोपण अभियान में शामिल करना उपयुक्त होता है, क्योंकि इस तरह के पौधों के जीवित रहने की संभावना अधिक रहती है। पौधरोपण में उन पौधों को भी शामिल करना बेहतर होगा, जो अधिकाधिक मात्रा में प्राणवायु ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। ये न केवल हमारे पर्यावरण के लिए, वरन समस्त जीव जगत के लिए लाभकारी होगा।
-धाकड़ भगतसिंह, कोटा
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पौधरोपण अभियान में इस तरह के पौधों को प्राथमिकता दिया जाए जो पर्यावरण के लिए ज्यादा फायदेमंद हों। जैसे बरगद का पेड़, जो अधिक मात्रा में ऑक्सीजन छोड़ता है। जड़ी-बूटी वाले पेड़-पौधे जो दवाइयां बनाने के काम आते हैं। आंवला, जामुन, अमरूद, अर्जुन, सहजन, नींबू, तुलसी, गिलोय के पौधे जरूर लगाएं। पीपल, नीम और फलदार वृक्ष जैसे आम, महुआ आदि को प्राथमिकता दी जा सकती है।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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प्रकृति के संरक्षण के लिए ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाए जाएं। ऐसे पौधे ज्यादा लगाए जाएं, जिनसे पक्षियों का भरण-पोषण होता हो। जैसे इमली, खेजड़ी और जाल लगाए जाएं। जलवायु के अनुसार पौधे लगाए जाएं।
-सुरेन्द्र कुमार राजपुरोहित, बीकानेर
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फल व औषधि युक्त छायादार वृक्ष लगाए जाएं
वृक्ष जहां प्राणी मात्र को छाया प्रदान कराते हैं, वहीं पर्यावरण की शुद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। वृक्ष कई जीवों का निवास होते हैं और वे इन्हीं वृक्षों से फल आदि प्राप्त कर अपनी क्षुधा शांत करते हैं। ये वृक्ष इन सभी जीवों के जीवन महत्वपूर्ण आधार होते हैं। वृक्ष ऑक्सीजन देते हैं, जो इंसानों के लिए भी जरूरी है। इसलिए बेहतर तो यह है कि फलदार व औषधियुक्त छायादार वृक्ष लगाए जाएं। बरगद, पीपल, जामुन,नीम जैसे वृक्ष न केवल अधिक छायादार होते हैं, बल्कि अनेक पक्षियों को आश्रय भी प्रदान करते हैं। साथ ही पर्यावरण शुद्धि में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
-सुदर्शन शर्मा, चौमूं, जयपुर
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राज्य वृक्ष का चयन वहां की भौगोलिक स्थिति, वातावरण, उपलब्ध संसाधन व उसकी उपयोगिता को ध्यान में रखकर किया जाता है। जैसे राजस्थान में खेजड़ी को कम पानी की आवश्यकता रहती है। सिंचाई योग्य जल अपर्याप्त है। कंटीली होने से खुद की रक्षा स्वयं करती है, उससे छाया, ईंधन, पशुओं को लूंंख, पौष्टिक सब्जी के लिए सांगरी प्राप्त होती है। पकी हुई सांगरी की फलियां (खोखे) पेड़ से ऊंट व बकरियां खा लेती हैं। इसकी उम्र भी ज्यादा होती है। प्रति वर्ष इनकी टहनियों की कटिंग होती है, जिससेे चारा व ईंधन प्राप्त होता है ।
-नेमीचन्द गहलोत, नोखा, बीकानेर
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प्रत्येक मनुष्य को दृढ़ संकल्पित होना चाहिए कि जन्मदिन के अवसर पर एक पौधा अवश्य लगाएं। लंबी उम्र वाले और घने वृक्ष बनने वाले पौधों का चयन करना चाहिए। पीपल, बरगद, नीम जैसे वृक्ष ज्यादा से ज्यादा लगाए जाएं। ये लंबे समय तक ऑक्सीजन देंगे।
-घनश्याम मौर्य मसूदा अजमेर
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पौधरोपण अभियान में मुख्य रूप से तुलसी, जायफल, अजवाइन, मीठा नीम जैसे औषधीय पौधों का रोपण करना चाहिए। ये पौधे मानवीय स्वास्थ्य के साथ- साथ पर्यावरणीय पारिस्थितिकी को भी संतुलित रखते है ।
-विनायक गोयल , रतलाम, मध्यप्रदेश
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अभी बारिश का मौसम शुरू हुआ है। अगले दो-तीन महीने अच्छी बारिश होने का पूर्वानुमान लगाया गया हैं। इस ऋतु में पौधरोपण करना बहुत अच्छा माना जाता है। पौधों को सींचने के लिए वर्षा का जल ही पर्याप्त होता है। इसके बाद शीत फिर ग्रीष्म ऋतु के आगमन तक ये पौधे अपनी जडें धरती में जमा लेते हैं। यानी अब इनकी देखभाल की आवश्यकता उतनी नहीं होती। पीपल, नीम, बरगद, सागौन, बांस जैसे पौधे बहुत तेजी से बढ़ते हैं। इनको पौधरोपण में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
-लक्ष्मण नायडू, रायपुर, छत्तीसगढ़
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पौधरोपण अभियान में हमें स्थानीय परिस्थितियों को ध्यान में रखकर पौधे लगाने चाहिए। जलवायु के अनुसार पौधे का विकास होता है। पानी, मिट्टी आदि की उपलब्धता भी पौधे को बढऩे के लिए आवश्यक है। अत: हमें जलवायु और पारिस्थितिकी संतुलन के अनुसार ही पौधे लगाने चाहिए।
-सत्तार खान कायमखानी, कुचेरा, नागौर
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कांटेदार पौधे ना ही लगाएं, तो बेहतर है क्योंकि इनका खास उपयोग नहीं होता। साथ ही जानवर नासमझ होते हैं । वे इन्हें खाते हैं और चोटिल हो जाते हैं।
-प्रियव्रत चारण, जोधपुर
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वर्षा ऋतु के दौरान ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण करें। पर्यावरण संरक्षण के लिए एवं मानव जीवन के लिए पौधरोपण जरूरी है। पौधों का चयन वहां की जलवायु, मिट्टी व जल की उपलब्धता के अनुसार करना चाहिए। पौधरोपण में छायादार, औषधियुक्त, कम जल से अधिक जल्दी बड़े होने वाले पौधे जैसे सहजन, पीपल व नीम जैसे पौधों को प्राथमिकता देनी चाहिए
– राजेन्द्र बांगड़ा, जायल