घंटों लाइन में लगकर भी लोग कोरोना वैक्सीन का जुगाड़ नहीं कर पा रहे हैं। जैसे-जैसे महामारी का कहर बढ़ता जा जा रहा है, लाइन लंबी होती जा रही है। 18 प्लस के लिये टीकों की जब से घोषणा हुई है, इसके लिए जद्दोजहद काफी तेज होती जा रही है। ऐसे में वैक्सीन की कमी अखरने वाली है। बेहतर तो यह है कि जब पर्याप्त टीकों की व्यवस्था हो तभी टीकाकरण शुरू किया जाए। फिलहाल दूसरी डोज वालों की ही सुध ली जाए। एक समय था जब लोग टीके के नाम से डर रहे थे और समझाइश के बाद भी लोग केंद्रों पर नहीं पहुंचे, लेकिन महामारी का तांडव शुरू हुआ, तो टीकाकरण केंद्रों पर अपार भीड़ उमडऩे लगी।
-नितेश मंडवारिया, नीमच, मप्र
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सर्वप्रथम टीकाकरण युवाओं का होना चाहिए था, क्योंकि बुजुर्ग घरों में बैठे थे। कोरोना काल में बाजार से सामान लाने वाला और नौकरी करने वाला युवा ही था। ऐसे में यदि उनका टीकाकरण पहले हो जाता, तो दूसरी लहर युवाओं के लिए इतनी घातक नहीं होती। युवा टीकाकरण में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेता।
-डॉ. प्रियदर्शी ओझा, उदयपुर
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केंद्र सरकार ने वैक्सीन कार्यक्रम को बहुत शिथिलता से चालू किया। सरकार ने कोवैक्सीन का उत्पादन बढ़ाने के लिए भारत बायोटेक को न तो अनुमति दी और न ही आवश्यक सुविधा व धनराशि उपलब्ध करवाई गई। इसी प्रकार कोविशील्ड के उत्पादन के लिए भी सरकार ने कच्चा माल अमरीका से आयात करने में सहयोग नहीं किया। समय निकल जाने के बाद सरकार की आंखें खुलीं। वैज्ञानिकों की चेतावनियों को सरकार ने गंभीरता से नहीं लिया। सरकार का ध्यान केवल 5 राज्यों के चुनावों की तरफ था।
-राजेन्द्र आचार्य राजन, भवानीमंडी
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उत्पादन की उपेक्षा
भारत में कोरोना की पहली लहर के दौरान सख्ती और डर के कारण कोरोना नियंत्रित हुआ। वैक्सीन बनने के बाद आशा की नई किरण जगी, लेकिन सरकार ने वैक्सीन उत्पादन पर खास ध्यान नहीं दिया। इससे वैक्सीन कार्यक्रम ने गति नहीं पकड़ी, जिससे दूसरी लहर ज्यादा प्राणघातक साबित हुई है।
-जानकी वल्लभ शर्मा, आमेर, जयपुर
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कोरोना की दूसरी लहर की वजह से देश में हालात बहुत बुरे हो गए हैं। कोरोना से बचने के लिए लोग वैक्सीन लगाना चाहते हैं। इसलिए कोरोना वैक्सीन की मांग बहुत ज्यादा बढ़ गई, लेकिन उत्पादन अभी कम है। इसके कारण टीकाकरण केंद्रों पर भीड़ बढ़ गई है।
-सुरेंद्र बिन्दल, जयपुर
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कोरोना वैक्सीन नीति अव्यवस्था व केन्द्र-राज्यों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का ही शिकार रही है। पहली लहर के धीमी होने पर सरकार व जनता दोनों के लापरवाह होने का सीधा असर कोरोना वैक्सीनेशन पर भी पड़ा है। पर्याप्त वैक्सीनेशन नहीं हुआ और कोरोना की दूसरी लहर आ गई।
-अशोक दुआ, श्रीगंगानगर
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वर्तमान में कोरोना के बढ़ते मामलों पर नियंत्रण स्थापित करने का एक ही समाधान नजर आ रहा है और वह है टीकाकरण। टीके की खोज हुए इतना समय हो जाने के बावजूद जनसंख्या का बड़ा हिस्सा टीकाकरण से वंचित है। वैक्सीन निर्मित करने वाली दो स्वदेशी कंपनियां होने के बावजूद सरकार ने सही आंकड़ों के अनुसार आर्डर नहीं दिया, जिसकी वजह से टीकों की कमी आई है। टीकाकरण के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर टीका लगवाने तक आम-जन को अव्यवस्थाओं का सामना भी करना पड़ रहा है।
-पंकज कुमावत, जयपुर
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भारत में कोरोना वैक्सीन नीति में कई खामियां हैं, जिस पर गौर करना बेहद जरूरी है।शहरों के साथ गांवों में अभी तक व्यवस्थित तरीके से वैक्सीनेशन नहीं हो पाया है। कई राज्यों की सरकारों का केन्द्र सरकार के साथ वैक्सीन की सप्लाई को लेकर मतभेद साफ तौर पर देखा जा रहा है। वैक्सीन निर्माण करने वाली कंपनियां सीमित हैं और अपेक्षाकृत मांग अधिक है। केंद्र सरकार कोरोना वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक रखने में विफल रही है।
-प्रकाश चन्द्र राव, भीलवाड़ा
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फ्रंट लाइन वर्कर और वरिष्ठ नागरिकों को टीका लगाने की घोषणा के साथ ही दूसरे देशों को भी टीके भेज दिए गए। पहली पंगत साठ साल वालों की उठी नहीं कि, पैंतालीस साल वालों को बैठा दिया। फिर तुरंत ही अठारह वर्ष वाले बैठ गए। परिणाम स्वरूप सब को भूखा उठना पड़ रहा हैं।
-प्रहलाद यादव, महू, मध्य प्रदेश
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सरकार ने कोरोना को हराने की घोषणा कर दी और टीके का निर्यात भी शुरू कर दिया। कोरोना जीत की गलतफहमी में टीकों की कीमत और टीकों की बुकिंग का ध्यान ही नहीं रखा। वैज्ञानिकों और शोधकर्ता चिकित्सकों की चेतावनियों के बावजूद टीकाकरण को प्राथमिकता नहीं दी। सुधार करने की बजाय टीकाकरण खामियों की तरफ ध्यान आकर्षित करने वाले नागरिकों को धमकाया गया।
-मुकेश भटनागर, वैशालीनगर, भिलाई
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भारत में टीकाकरण का अभियान जनवरी 2021 से शुरू हुआ, पर कुछ ही महीनों में वैक्सीन कमी की खबरें आने लगीं। सरकार की अदूरदर्शिता की वजह से भारत आज वैक्सीन की कमी से जूझ रहा है। 45 साल से ऊपर के लोगों का टीकाकरण पूर्ण होने से पूर्व कोरोना की दूसरी लहर की आहट के बीच भारत सरकार ने 18 साल से ऊपर के लोगों का टीकाकरण आरम्भ कर दिया। परिणामस्वरूप कई वैक्सीन सेंटर बंद हो गए। वैक्सीन निर्माता उत्पादन बढ़ाने में विफल रहे। समय रहते सरकार को सक्षम नागरिकों के लिए विदेशी वैक्सीन का आयात का रास्ता खोलना चाहिए था।
-भगवान प्रसाद गौड़, उदयपुर
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भारत में वैक्सीन तैयार होते ही सरकार ने म्यांमार, श्रीलंका, साउथ अफ्रीका, मालदीव सहित कई देशों को वैक्सीन भेज दी। ये भारत की सबसे बड़ी गलती थी। वैक्सीन की ये डोज देश के नागरिकों को लगाई होती तो कई जिंदगियां बच जाती।
-विभा गुप्ता, बैंगलुरु
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कोरोना वैक्सीन जरूरत के हिसाब से नहीं मिल रही। वैक्सीन का मूल्य भी केंद्र, राज्यों और निजी अस्पतालों के लिए अलग-अलग है। करोना वैक्सीन पर भी जीएसटी लगाया जा रहा है। इससे केंद्र सरकार की नीतियों पर सवालिया निशान तो लगता ही है।
-प्रदीप सिंह, संगरिया,हनुमानगढ़
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जितनी संख्या में वैक्सीन बन रही है, उससे कई गुना ज्यादा वैक्सीन की आवश्यकता है। इसके अतिरिक्त कई लोगों को वैक्सीन लगवाने का अवसर मिलने पर भी वह वैक्सीन लगवाने को तैयार नहीं है क्योंकि वैक्सीन के प्रति उनमें कई तरह के भ्रम हैं। यदि लोगों में जागरूकता लायी जाती, तो आज हमें वैक्सीनेशन का ज्यादा सकारात्मक परिणाम मिलता।
-सुदर्शन सोलंकी, मनावर, मप
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भारत में वर्ष के प्रारंभ से ही वैक्सीन का उत्पादन बड़े स्तर पर हो गया था। स्थिति यह थी कि हम दूसरे देशों को वैक्सीन का निर्यात कर रहे थे, लेकिन आज हालात ऐसे है कि वैक्सीन की किल्लत है। राज्य सरकारों और केंद्र सरकार के बीच तकरार चल रही है। राज्यों को पर्याप्त मात्रा में कोरोना वैक्सीन का वितरण नहीं किया जा रहा है। कोरोना के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए हमें वैक्सीन की कमी दूर करनी होगी। जगह-जगह वैक्सीनेशन कैंप लगाने होंगे, तभी हम इस महामारी से छुटकारा पाएंगे।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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टीकाकरण अभियान में शुरू से ही सर्वसम्मति का अभाव रहा। जिनको टीका लगाना था, उन्होंने कम उत्साह दिखाया। इससे कई टीके बर्बाद हो गए। दूसरी तरफ जो लोग टीके लगवाना चाहते थे, वे टीकाकरण केंद्रों से बैरंग वापस आ गए।
-सिद्धार्थ शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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भारत ने वैक्सीन विदेशों मे भेजकर गलती की । भारत की जनसंख्या ज्यादा है। इसलिए यहां टीके ज्यादा चाहिए। सामान्य सा नियम है कि पहले अपना पेट भरना चाहिए, फिर दूसरों को बांटना चाहिए।
– प्रियव्रत चारण, जोधपुर