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जब अलेग्जेंडर ने इस वर्जना को तोड़ा

locationनई दिल्लीPublished: Oct 17, 2018 01:05:45 pm

Submitted by:

Manoj Sharma

‘उसे हर वक्त भावनात्मक, स्वास्थ्य संबंधी और वित्तीय संकट से जूझना पड़ता है। लगातार हिंसा का खतरा बना रहता है और उसका सबसे पहला उद्देश्य होता है जिंदा बचे रहना।‘

Karan Thapar

जब अलेग्जेंडर ने इस वर्जना को तोड़ा

करन थापर

वरिष्ठ पत्रकार और टीवी शख्सियत

क्या आप कारोबारी शख्सियतों के साथ यौनकर्मियों की किसी तुलना की कल्पना कर सकते हैं, वो भी पूरी गंभीरता और समझदारी के साथ जहां तुलना के बाद यौनकर्मी उनसे बेहतर नजऱ आती हों? आप में से अधिकतर को यह बात या तो बेढंगी जान पड़ेगी या फिर एक मज़ाक लगेगा। ऐसा नहीं है। इस महीने बाजार में आने वाली एक किताब में इसी तर्ज पर एक विश्लेषण किया गया है, जो किताब के बाकी अध्यायों जितना ही दिलचस्प है। मेरे पास लोकार्पण से पहले किताब की एक प्रति आई थी। मुझे यह काफी दिलचस्प लगी।
किताब का नाम है ‘’ए स्ट्रेंजर ट्रूथ’’ और इसे लिखा है प्रतिभाशाली लेकिन अजनबी लेखक अशोक अलेग्जेंडर ने, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय कंसल्टेंसी मैकिंसी एंड कंपनी के साथ एक बड़े पद पर अपना पेशेवर करियर शुरू किया था‘’। फिर यहां से नौकरी छोड़ कर वे बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के एचआइवी निरोधक कार्यक्रम आवाहन के मुखिया बने। उन्होंने एक दशक तक इस संगठन को चलाया। यह किताब इसी के अनुभवों पर आधारित है।
किताब की शुरुआत चौंकाने वाले एक घटनाक्रम से होती है। ‘सेक्स कर रहे लोगों के ऊपर पैर न रख देना!’ एनजीओ वाली महिला ने धीरे से चेताया जब हम उस घुप्प अंधेरे में घुसे। ‘‘यह यौनकर्मियों के साथ अलेग्जेंडर का पहला साक्षात्कार था। उनके नाम थे पार्वती, वत्सला और जयंती। मैं मैदान में बिखरे जोड़ों के बीच से राह बना रहा था।
छठा अध्याय ‘’लीडरशिप सीक्रेट्स ऑफ द कॉमर्शियल सेक्स वर्कर्स’’ यानी पेशेवर यौनकर्मियों के नेतृत्वकारी रहस्य। अलेग्जेंडर लिखते हैं, ‘’हर बार जब मैं यौनकर्मियों से मिलता और उनसे बात करता, एक बुनियादी सवाल मेरे मन में उमड़ता था कि आखिर ये यौनकर्मी किसी बिजनेस लीडर के मुकाबले कहीं ज्यादा नेतृत्वकारी गुणों का प्रदर्शन कैसे कर पाती हैं? इसका जवाब सीधा सा है- जरूरत के चलते।‘’
अलेग्जेंडर कहते हैं कि कारोबारी शख्सियतों में जरूरत के हिसाब से गुण विकसित हो जाते हैं और ‘’अकसर एक या दो गुण ही उनके लिए पर्याप्त होते हैं।

महिला यौनकर्मी बिलकुल अलग होती हैं। ‘’उसकी दुनिया बहुत जटिल और चुनौतीपूर्ण होती है। उसे हर वक्त भावनात्मक, स्वास्थ्य संबंधी और वित्तीय संकट से जूझना पड़ता है। लगातार हिंसा का खतरा बना रहता है और उसका सबसे पहला उद्देश्य होता है जिंदा बचे रहना। उसके पास कोई ताकत नहीं होती, लेकिन वह मुकाबला करती है। अपने खेल में केवल इक्का-दुक्का दांव के सहारे वह नहीं जीत सकती। उसे खेल के सारे नियम जानने होते हैं।‘’
अलेग्जेंडर ने यौन कर्मियों को बहुत अच्छे से समझा है। वे कहते हैं कि यौनकर्मी ‘’दैहिक भाषा पर जबरदस्त पकड़ रखती हैं।‘’ अपना अस्तित्व बचाने के लिए यह गुण विकसित करना पड़ता है। वे ‘’लोगों को, खासकर पुरुषों को बहुत अच्छे से समझती हैं।‘’
आश्चर्य की बात नहीं कि उनके सबसे अहम गुणों में एक है मोलभाव। वे लिखते हैं, ‘’अकेले बिजनेस लीडर को ही मोलभाव में पारंगत नहीं होना पड़ता। एक यौनकर्मी हमेशा अपने ग्राहक से मोलभाव करती है। है। यह यौनकर्मी की जिंदगी को तय कर सकता है।
अलेग्जेंडर का निष्कर्ष सहज और सपाट है। ‘’मैं लगातार जिंदगी, नेतृत्व और मूल्यों के बारे में यौनकर्मियों से सीखता रहा हूं।‘’ मुझे लगता है कि मैकिंसी का यह पूर्व कर्मचारी आज एक बेहतर इंसान होगा।
अलेग्जेंडर के विश्लेषण में कुछ भी चौंकाने वाला नहीं है। मामला यह है कि इस विषय के बारे में बात करना तो दूर, हम सोचते तक नहीं हैं। अलेग्जेंडर ने इस वर्जना को तोड़ा है। इसका नतीजा एक ऐसा सच है जिसे वह अनूठा कहते हैं लेकिन जिसे नकारा नहीं जा सकता।
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