एक अनुमान के मुताबिक भविष्य में नब्बे प्रतिशत नौकरियां ऐसी होंगी, जिनमें किसी न किसी रूप में सूचना और संचार तकनीक का ज्ञान होना आवश्यक होगा। चिंता का विषय यह है कि मात्र तीन प्रतिशत महिलाएं ही सूचना और संचार तकनीक के विषयों को चुनती हैं। विज्ञान का महत्त्वपूर्ण भाग आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता के महत्व को नकारा नहीं जा सकता और इससे जुड़ी तकनीकों को पूर्वाग्रह से मुक्त रखने के लिए एआइ पर काम करने वाले लोगों में विविधता होना जरूरी है। इस बीच विश्व आर्थिक मंच की ग्लोबल जेंडर रिपोर्ट बताती है कि एआइ तकनीक पर कुल पेशेवरों में सिर्फ बाइस प्रतिशत ही महिलाएं हैं। इसके पीछे घिसी पिटी लैंगिक मान्यताएं और प्रोत्साहन देने वाले वातावरण की कमी है।
पितृ सत्तात्मक व्यवस्था विज्ञान और तकनीक से जुड़े क्षेत्र मे एकाधिकार बनाए रखना चाहती है। इसी सोच को अमरीका की विज्ञान इतिहासकार माग्रेट डब्ल्यू रोसिटर ने 1993 में ‘मटिल्डा इफेक्ट’ नाम दिया था। ‘मटिल्डा इफेक्ट’ महिला वैज्ञानिकों के प्रति एक तरह का पूर्वाग्रह होता है, जिसमें उनकी उपलब्धियों को मान्यता देने की बजाय उनके काम का श्रेय पुरुष सहकर्मियों को दे देते हैं।
(लेखिका समाजशास्त्री हैं और महिलाओं से जुड़े विषयों पर निरंतर लेखन करती हैं)