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खेती-किसानी की योजनाओं में कटौती क्यों?

locationजयपुरPublished: Feb 15, 2017 12:51:00 pm

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जहां परंपरागत खेती व इससे जुड़े परंपरागत ज्ञान के पक्ष में बड़ी बातें की जाती है, वहां सबसे अधिक कटौती भी इन्हीं से जुड़ी योजनाओं में की गई।

प्राय: बजट के समय इस सवाल को नजरंदाज कर दिया जाता है कि पिछले वर्ष विभिन्न मदों में जो धन आवंटित हुआ उसका इस्तेमाल कहां तक हो पाया? खेती-किसानी के लिए गत वित्तीय वर्ष 2016-17 में कुछ अहम योजनाओं के बजट प्रावधानों का आकलन करें तो पता लगता है कि मूल बजट में आवंटित रकम को भी बाद में कम कर दिया गया।
जहां परंपरागत खेती व इससे जुड़े परंपरागत ज्ञान के पक्ष में बड़ी बातें की जाती है, वहां सबसे अधिक कटौती भी इन्हीं से जुड़ी योजनाओं में की गई। परंपरागत कृषि विकास योजना के लिए गत वर्ष के बजट में 297 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया जिसे बाद में आधे से भी कम यानी 120 करोड़ रुपए कर दिया गया। 
सरकार की एक बहुप्रचारित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए पिछले वर्ष के बजट में 5767 करोड़ का आवंटन था पर बाद में इसे कम कर 5182 करोड़ रुपए का कर दिया गया। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के बजट से तो और भी अधिक कटौती की गई। इसके लिए मूल आवंटन 5400 करोड़ रुपए का था जिसे बाद में 3550 करोड़ रुपए कर दिया गया। 
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के लिए वर्ष 2016-17 के बजट में मूल रूप से 1700 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था जिसे बाद में 1280 करोड़ रुपए कर दिया गया। तिलहन व खाद्य तेलों का उत्पादन नहीं बढ़ेगा तो आयातित खाद्य तेलों पर निर्भरता बढ़ती जाएगी।
आयातित खाद्य तेलों में जी.एम. तिलहन के उपयोग की संभावना बढऩे से स्वास्थ्य संबंधी खतरों की आशंका अधिक हो गई है। ऐसे में तिलहन व खाद्य तेल का घरेलू उत्पादन बढ़ाना पहले से और भी जरूरी हो गया है। तिलहन व आयल पॉम के राष्ट्रीय मिशन के लिए वर्ष 2016-17 के बजट में मूल रूप से 500 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया था पर बाद में इसे कम कर 376 करोड़ रुपए कर दिया गया।
ऐसा लगता है कि राष्ट्रीय महत्व के उद्देश्यों को उचित प्राथमिकता नहीं मिल रही है। तभी ऐसा हो रहा है कि अधिक राष्ट्रीय महत्व की योजनाओं के बजट में कभी-कभी तो बहुत भारी कटौती कर दी जाती है। परंपरागत कृषि योजना के लिए आवंटित बजट के संदर्भ में भी ऐसा ही किया गया। बजट प्रावधान करने के बाद ऐसी कटौती चिंताजनक है। 
भविष्य में कभी-कभी विशेष कारणों से सरकार को ऐसी जरूरत महसूस हो तो उसे यह कटौती गुपचुप ढंग से नहीं करनी चाहिए। इसके बारे में स्पष्ट बताना चाहिए कि यह कटौती क्यों की गई ताकि इसके बारे में खुली चर्चा हो सके।
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