जाति और धार्मिक ध्रुवीकरण का पूरा संचालन राजनीति से होता है। अफसोस की बात है अपनी सत्ता पर पकड़ बनाए रखने के लिए नेता जाति और धार्मिक ध्रुवीकरण करते हैं। यह ध्रुवीकरण राष्ट्रीय एकता एवं लोकतंत्र की भावना के विपरीत है। नेताओं को जातीय और धार्मिक ध्रुवीकरण से बाज आना चाहिए।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ कोरिया, छत्तीसगढ़
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हमारे देश में विभिन्न धर्मों व जातियों से जुड़े लोग रहते हैं। साथ ही प्रजातांत्रिक व्यवस्था में संख्या बल का अधिक महत्व होता है। अत: सभी राजनीतिक दल चुनाव में अपनी-अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए जातीय और धार्मिक ध्रुवीकरण करते हैं ।
– व्यग्र पाण्डे, गंगापुर सिटी
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मानव सभ्यता की स्थापना से ही मानव मानव का दुश्मन रहा है और दूसरों पर शासन करने की इच्छा ही ध्रुवीकरण का मूल कारण है। जाति और धर्म के नाम पर लाखों लोगों को मौत के घाट उतारा गया है। व्यक्ति अपने हित साधने के लिए ही जातीय और धार्मिक ध्रुवीकरण का सहारा लेता है
-शुभम वैष्णव, सवाई माधोपुर
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राजनीतिक दल सत्ता में आने के लिए या सत्ता पर पकड़ मजबूत करने के लिए जातीय और धार्मिक ध्रुवीकरण का सहारा लेते हैं । चुनाव के दौरान उम्मीदवार इसे और हवा दे देते हैं, जो लोकतंत्र में कतई स्वीकार्य नहीं होना चाहिए। मुश्किल यह है कि सब समझ कर भी नासमझ बन जाते हैं! सोशल मीडिया के दौर में जाति और धार्मिक ध्रुवीकरण को बहुत बढ़ावा मिला है। इसका समूल अंत होना ही राष्ट्र के हित में रहेगा।
मधु भूतड़ा, जयपुर
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चुनाव की आहट के साथ ही धार्मिक और जातीय आधार पर मतदाताओं को बांटने का खेल चलने लगता है। जातीय और धार्मिक समीकरणों के आधार पर ही राजनीतिक दल टिकट देते हैं । लोग इसी आधार पर जीत और हार का दावा करने लगते हैं।
-सरिता प्रसाद, पटना, बिहार
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धर्म और जाति के प्रति सभी लोग संवेदनशील होते हैं। स्वार्थी राजनीतिज्ञ, धर्म और जाति के ठेकेदार अपना मतलब सिद्ध करने के लिए इसका लाभ उठाते रहते हैं और स्वहित साधते रहते हैं।
-शकुंतला महेश नेनावा, इंदौर, मध्य प्रदेश .
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जातीय और धार्मिक ध्रुवीकरण जनता की अज्ञानता के कारण होता है । जनता की इसी अज्ञानता का फायदा उठाकर अयोग्य नेता ध्रुवीकरण करके चुनाव जीतने में सफल हो जाते हैं। सभी को जाति-धर्म से ऊपर उठकर आपसी सद्भाव से राष्ट्र के प्रति समर्पित रहना चाहिए।
-श्रीकृष्ण पचौरी, ग्वालियर, मध्यप्रदेश
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लोगों को जाति और धर्म के आधार पर बांटना बहुत आसान होता है। इससे आम जनता विकास के मुद्दों को भूलकर जाति-वर्ग में उलझती रहती है। राजनेताओं के लिए ध्रुवीकरण वोट बैंक का सशक्त हथियार है।
-हरेन्द्र कुमार त्यागी, धौलपुर
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राजनीतिज्ञों का एकमात्र लक्ष्य सत्ता हासिल करना हो गया है। भारत में राजनीति जाति और धर्म आधारित होने का कारण अधिकांश नागरिकों का स्वार्थपरक रवैया है। नेताओं ने नागरिकों को इस प्रकार सम्मोहित कर लिया है कि वे सही गलत की परख करना भी जरूरी नहीं समझते।
-विजय महाजन, वृंदावन, मथुरा
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भारतीय राजनीति में जाति और धर्म के नाम पर जो ध्रुवीकरण है, वह देश को भटकाने का कार्य करता है। यह जरूरी मुद्दों से भटका कर जनता में धर्म और जाति के नाम पर वैमनस्य उत्पन्न करता है, जिससे नेता अपने स्वार्थ की पूर्ति आसानी से कर लेते हैं और जनता के भावनाओं से खिलवाड़ करते हैं। यह देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है।
-शत्रुघ्न सिंह, जयपुर