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अवैध हथियारों की तस्करी क्यों नहीं रुक पा रही है?

Published: Jun 18, 2021 05:44:33 pm

Submitted by:

Gyan Chand Patni

पत्रिकायन में सवाल पूछा गया था। पाठकों की मिलीजुली प्रतिक्रियाएं आईं, पेश हैं चुनिंदा प्रतिक्रियाएं।

अवैध हथियारों की तस्करी क्यों नहीं रुक पा रही है?

अवैध हथियारों की तस्करी क्यों नहीं रुक पा रही है?

साठगांठ का नतीजा
अवैध हथियारों की बिक्री इन दिनों काफी जोरों पर है। कोई भी अवैध कारोबार बिना मिलीभगत के संभव नहीं है। नेता, अपराधी और पुलिस के गठजोड़ के बूते ही अवैध धंधे चलते हैं। सबको सब कुछ पता होता है, फिर भी अवैध कारोबार चलता है। जो लोग पकड़े जाते हैं वे तो मोहरे भर होते हैं, जो अक्सर जमानत पर छूट जाते हंै। असली सरगनाओं तक पहुंचने की कभी कोशिश ही नहीं की जाती है। जब तक इन सरगनाओं को गिरफ्त में नहीं लिया जाता, तब तक इस कारोबार को रोकना असंभव है।
-कमलेश कुमार कुमावत, चौमूं, जयपुर
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लालच है बड़ा कारण
हथियारों की तस्करी करने वाले और इस काम में सहयोग देने वाले खूब पैसा कमाते हैं। हथियारों की तस्करी के पीछे राजनीतिक कारण भी होते हैं। कुछ लोग तो गरीबी और बेरोजगारी के कारण इस काम में जुट जाते हैं, कुछ लालच के कारण यह अवैध कारोबार करने लगते हैं।
-निर्मल पोकरण, बैंगलूरु
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मिलीभगत का खेल
असुरक्षा और गलत कार्य की भावना की वजह से लोग अवैध हथियार जुटा रहे हैं। तस्करी के इस खेल में गिरोह सक्रिय होता है, जिसे राजनीतिक व प्रशासनिक प्रश्रय प्राप्त रहता है। अवैध हथियारों का इस्तेमाल अधिकतर गलत कार्यों के लिए किया जा रहा है। पुलिस को अभियान चलाकर तस्करी के नेटवर्क को खत्म करना चाहिए।
—मनोज जैन, टोंक
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संयुक्त अभियान की जरूरत
पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों से भारत में मादक पदार्थ और हथियार अवैध रूप से आते रहते हैं। यह वाकई चिंता की बात है। इससे देश की आंतरिक सुरक्षा को गंभीर खतरा पैदा हो गया है। समस्या के निराकरण के लिए नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, इंटेलिजेंस ब्यूरो एवं रॉ को संयुक्त रूप से काम करना होगा। देश की समस्त खुफिया एजेंसियों के बीच सूचनाओं का आदान-प्रदान होना चाहिए।
-विनायक गोयल, रतलाम, मध्यप्रदेश
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आतंकी गतिविधियां बढ़ीं
अवैध हथियारों की तस्करी बढ़ रही है। इससे दूसरे अपराध भी बढ़ रहे हैं। आतंकी और नक्सली भी आसानी से हथियार हासिल कर लेते हैं। अवैध हथियारों की तस्करी के कारण आतंकी गतिविधियां बढ़ती ही जा रही हैं, यह चिंता का विषय है। इस मामले में पुलिस को सजगता दिखाते हुए देश के बाहरी दुश्मनों के साथ देश के अंदर के दुश्मनों पर भी विशेष नजर रखनी चाहिए।
-शुभम् दुबे, इंदौर, मप्र.
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राजनीतिक संरक्षण
अपराधियों को आसानी से आधुनिक हथियार मिल जाते हैं। कभी-कभी पुलिस कार्रवाई में तस्कर गिरफ्तार भी होते हैं, तो जमानत पर रिहा होकर फिर वही काम करने लगते हैं। इन तस्करों को नेताओं का संरक्षण भी प्राप्त है। यह गठजोड़ तोडऩा होगा।
-मुकेश भटनागर, भिलाई, छत्तीसगढ़
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भ्रष्टाचार के कारण बढ़ी समस्या
वर्तमान समय में सभी राज्यों में अवैध हथियारों की तस्करी खूब हो रही है। हथियारों की अवैध बिक्री धड़ल्ले से हो रही है। पुलिस अवैध हथियारों की तस्करी रोकने में विफल रही है। इसका सबसे बड़ा कारण लापरवाही और भ्रष्टाचार है।
-सुरेंद्र बिंदल, जयपुर
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घूसखोरों का बोलबाला
विभिन्न राज्यों की सीमा से होते अवैध हथियारों की तस्करी में अवश्य संलिप्त पुलिस और प्रशासन का हाथ हैं। पुलिस और प्रशासन के कुछ अधिकारियों- कर्मचारियों को केवल जेब गम होने से मतलब है। घूस मिलते ही तस्करी करने की मौन स्वीकृति मिल जाती है। ईमान और आत्मसम्मान को बेचकर भ्रष्ट अधिकारी अपनी जिम्मेदारी को भूल चूके हैं। हथियारों की तस्करी यदि नहीं रोकी गई, तो अपराधों की संख्या में बढ़ोतरी होगी।
-मनु प्रताप सिंह , चींचडौली, खेतड़ी
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अभियान की जरूरत
देश में हथियारों की तस्करी में लगातार इजाफा हो रहा है। कभी बॉर्डर पार से हथियारों की तस्करी की बात उठती है, तो कभी देश के ही भीतर विभिन्न राज्यों के तस्कर पुलिस के हत्थे चढ़ते हैं। तस्करी में लिप्त ज्यादातर लोग बेरोजगार या अन्याय का शिकार हुए लोग होते हैं। तस्करी के बढऩे का कारण सरकारी तंत्र की मिलीभगत भी है। इसे रोकने के लिए जिला स्तर पर पुलिस की स्पेशल टीम गठित करनी चाहिए और अवैध हथियारों की तस्करी रोकने के लिए अभियान चलाना चाहिए।
-सुनीता सिंह, जयपुर
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इच्छाशक्ति की मजबूती जरूरी
अवैध हथियारों की तस्करी हो या नकली दवाइयों का कारोबार या फिर कालाबाजारी, अवैध शराब, मादक पदार्थों की तस्करी की मुख्य वजह पुलिस, प्रशासन, राजनेताओं की साठगांठ और भ्रष्टाचार है। सरकारी इच्छाशक्ति की मजबूती व अवैध कारोबार, तस्करी करने वालों व उनसे साठगांठ करने वालों के खिलाफ अभियान चला कर उन्हें कानून के शिकंजे में लाना होगा।
-शिवजी लाल मीना, जयपुर
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खुफिया तंत्र मजबूत हो
अवैध हथियारों की तस्करी में लिप्त तस्कर जमानत के बाद फिर वही काम करने लगते हैं। देश के कमजोर कानून का फायदा उठाकर अंतरराष्ट्रीय तस्कर अवैध हथियारों की तस्करी मे लिप्त रहते हैं। छापों में अवैध हथियारों के जखीरे में, जर्मनी, ब्रिटेन, अमरीका, इटली, रूस जैसे देशों से बने स्वचालित अत्याधुनिक अवैध हथियार बरामद होते हैं। यह वाकई चिंता की बात है। देश के खुफिया तंत्र को मजबूत बनाया जाए और लगातार कार्रवाई की जाए।
-सतीश उपाध्याय, मनेंद्रगढ़ कोरिया, छत्तीसगढ़
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स्थानीय प्रशासन की जिम्मेदारी
बेरोजगारी भी अवैध हथियारों की बढ़ती तस्करी का कारण है। सरकारें युवाओं को रोजगार उपलब्ध नहीं करवा पाती हैं। इसके कारण युवा वर्ग आपराधिक गतिविधियों में लिप्त हो जाते हैं। स्थानीय प्रशासन और पुलिस की निष्क्रियता के कारण अपराधी अवैध हथियारों का जमावड़ा कर लेते हैं।
-शिवओम पाराशर, अहमदाबाद, गुजरात
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बेरोजगारी है मुख्य वजह
देश में गरीबी और बेरोजगारी से परेशान युवा भ्रमित होकर हथियार माफियाओं के संपर्क में आ जाते हैं तथा माफिया उनको चंद पैसों का लालच देकर अवैध हथियारों की तस्करी में धकेल देते हैं। इसके साथ-साथ माफिया की उच्च अधिकारियों से साठगांठ भी अवैध हथियारों की तस्करी पर सवालिया निशान लगाती हैं।
-सुरेन्द्र जी कड़वासरा, रावतसर, हनुमानगढ़
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निगरानी की जरूरत
राजस्थान में हथियारों की तस्करी में लगातार इजाफा हो रहा है। कभी बॉर्डर पार से हथियार सप्लाई की बातें उठती हैं, तो कभी देश के ही विभिन्न राज्यों के तस्कर हथियारों के साथ पुलिस के हत्थे चढ़ते हैं। पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है, लेकिन वह तस्करों पर लगाम नहीं लगा पा रही। पुलिस जिन हथियार तस्करों को गिरफ्तार कर जेल भेजती है, वे जल्द जमानत पर छूट जाते हैं। जेल से बाहर आते ही वे फिर से अपने नेटवर्क के जरिए अवैध हथियार बनाने और बेचने में जुट जाते हैं। पुलिस अगर इनकी निगरानी करे, तो अवैध हथियार बनाने वाली फैक्ट्रियों का संचालन बंद हो सकता है।
-डॉ.अजिता शर्मा, उदयपुर
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साठगांठ का नतीजा
अवैध हथियारों की तस्करी आपसी मिलीभगत का परिणाम है। कुछ अधिकारियों के अपराधियों के साथ साठगांठ के बिना यह संभव नहीं है। इस काम में कुछ नेताओं की मिलीभगत है। आज जो आधुनिक हथियार हमारी सेना के पास पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं , वे अपराधियों और नक्सलियों के पास बड़ी संख्या में उपलब्ध रहते हैं। साथ ही आम जनता में जागरूकता का अभाव भी है। यदि जनता अपने आस-पास ऐसी गतिविधियों को देखती है, तो एक जागरूक नागरिक होने के नाते इसकी सूचना पुलिस को देनी चाहिए।
-एकता शर्मा, गरियाबंद, छत्तीसगढ़
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निगरानी व्यवस्था में सुधार जरूरी
कुछ पड़ोसी देशों में हथियारों के निर्माण का काम गृह उद्योग के रूप में हो रहा है। भारत से शत्रुता रखने वाले देश भी भारत में हथियारों की तस्करी को बढ़ावा देते हैं, ताकि देश की कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़े। कुछ देशों में तो अत्याधुनिक हथियारों के डुप्लीकेट बहुत कम दामों पर मिल जाते हैं। सीमा पर ही निगरानी की व्यवस्था में सुधार जरूरी है।
-राजेन्द्र कुमार सुराणा,रायपुर
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